औपचारिक पत्र (Aupcharik Patra) : विद्यार्थियों की परीक्षा में पत्र लेखन से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। परीक्षा के लिए व्याकरण एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है। इसमें औपचारिक पत्र लेखन (Formal Letter in Hindi) से भी प्रश्न पूछे जाते हैं। औपचारिक पत्र वे पत्र होते हैं जो पेशेवर या सरकारी कार्यों के लिए लिखे जाते हैं। इन पत्रों में व्यवसायिक संवाद, प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र, आवेदन पत्र, सरकारी विभागों को लिखे गए पत्र और संपादक के नाम पत्र शामिल होते हैं। इस लेख में हम औपचारिक पत्र की परिभाषा, औपचारिक पत्र का प्रारूप और औपचारिक पत्र (Formal Letter in Hindi) लिखने के उदाहरण सहित इसके अन्य पहलुओं के बारे में विस्तार से जानेंगे।
औपचारिक पत्रों की भाषा शिष्ट और सरल होती है, जिससे पत्र का उद्देश्य स्पष्ट और प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया जा सके। औपचारिक पत्र लेखन छात्रों के लिए एक आवश्यक कौशल है, जो उन्हें जीवन में कई बार मदद करता है। इसमें छात्रों को सही तरीके से संवाद स्थापित करने की कला सिखाई जाती है, ताकि वे अपने विचारों को शिष्ट और प्रभावी तरीके से व्यक्त कर सकें।
औपचारिक पत्र (Formal Letter in Hindi) – हिंदी में पत्र लेखन एक कला है इसलिए पत्र लिखते समय पत्र में सहज, सरल तथा सामान्य बोलचाल की भाषा का प्रयोग करना चाहिए, जिससे पत्र को प्राप्त करने वाला पत्र में व्यक्त भावों को अच्छी प्रकार से समझ सकें। पत्र-लेखन के माध्यम से हम अपने भावों और विचारों को व्यक्त कर सकते हैं। पत्रों के माध्यम से एक व्यक्ति अपनी बातों को लिखकर दूसरों तक पहुंचा सकता है।
दूर रहने वाले अपने सबंधियों अथवा मित्रों की कुशलता जानने के लिए और अपनी कुशलता का समाचार देने के लिए पत्र लिखे जाते हैं। आजकल हमारे पास बातचीत करने के लिए, हालचाल जानने के लिए अनेक आधुनिक साधन उपलब्ध हैं, जैसे- टेलीफ़ोन, मोबाइल फ़ोन, ईमेल, वाट्सएप, फेसबुक, इंस्टा, एक्स आदि।
अब सवाल यह है कि फिर भी पत्र-लेखन सीखना क्यों आवश्यक है? पत्र लिखना महत्वपूर्ण ही नहीं अत्यंत आवश्यक भी है, फ़ोन आदि पर बातचीत अस्थायी होती है, इसके विपरीत लिखित दस्तावेज स्थायी रूप ले लेता है। उदाहरण- जब आप स्कूल नहीं जा पाते, तब अवकाश के लिए प्रार्थना पत्र लिखना पड़ता है।
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औपचारिक पत्र उन्हें लिखा जाता है जिनसे हमारा कोई निजी संबंध ना हो। व्यवसाय से संबंधी, प्रधानाचार्य को लिखे प्रार्थना पत्र, आवेदन पत्र, सरकारी विभागों को लिखे गए पत्र, संपादक के नाम पत्र आदि औपचारिक-पत्र कहलाते हैं। औपचारिक पत्रों की भाषा सहज और शिष्टापूर्ण होती है। इन पत्रों में केवल काम या अपनी समस्या के बारे में ही बात कही जाती है। औपचारिक पत्र लेखन में मुख्य रूप से संदेश, सूचना एवं तथ्यों को ही अधिक महत्व दिया जाता है। इसमें संक्षिप्तता अर्थात कम शब्दों ने केवल काम की बात करना, स्पष्टता अर्थात पत्र प्राप्त करने वालों को बात आसानी से समझ आये ऐसी भाषा का प्रयोग तथा स्वतः पूर्णता अर्थात पूरी बात एक ही पत्र में कहने की अपेक्षा (उम्मीद) की जाती है।
औपचारिक पत्र लेखन एक महत्वपूर्ण कौशल है, जो किसी भी पेशेवर या सरकारी संवाद को प्रभावी और शिष्ट बनाने के लिए आवश्यक होता है।
हिंदी पत्र लेखन के प्रकार और उसके उदाहरण जानें
पत्र लेखन दो प्रकार के होते हैं:
औपचारिक पत्र (Formal Letter)
औपचारिक पत्र का फॉर्मेट
औपचारिक पत्र (Formal Letter) का फॉर्मेट को नीचे लिखे 9 अंगों में बांटा जा सकता है:
पता (Sender's Address) : पत्र लिखने वाले का पता, जो पत्र के ऊपर बाईं ओर लिखा जाता है।
तारीख (Date): पत्र लिखने की तारीख, जो नीचे से एक पंक्ति छोड़कर लिखी जाती है।
प्राप्तकर्ता का पता (Receiver's Address): पत्र प्राप्त करने वाले का पता, जो दाहिनी ओर लिखा जाता है।
विषय (Subject): पत्र का मुख्य विषय या उद्देश्य, जो संक्षिप्त और स्पष्ट रूप से लिखा जाता है।
संबोधन (Salutation): पत्र के शुरुआत में उपयुक्त संबोधन, जैसे "मान्यवर", "आदरणीय", "प्रिय", आदि।
पत्र का मुख्य भाग (Body of the Letter): पत्र का मुख्य संदेश, जिसमें समस्या, निवेदन या जानकारी विस्तार से दी जाती है।
समाप्ति (Complimentary Close): पत्र के अंत में विनम्र शब्द जैसे "आपका विश्वासपात्र", "सादर", "धन्यवाद" आदि।
हस्ताक्षर (Signature): पत्र लिखने वाले का नाम और हस्ताक्षर।
नाम और पद (Name and Designation): पत्र लिखने वाले का नाम और यदि आवश्यक हो तो पदनाम भी।
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(1) ‘सेवा में’ लिख कर, पत्र प्रापक का पदनाम तथा पता लिख कर पत्र की शुरुआत करें।
(2) विषय – जिसके बारे में पत्र लिखा जा रहा है, उसे केवल एक ही वाक्य में शब्द-संकेतों में लिखें।
(3) संबोधन – जिसे पत्र लिखा जा रहा है- महोदय/महोदया, माननीय आदि शिष्टाचारपूर्ण शब्दों का प्रयोग करें।
(4) विषय-वस्तु– इसे दो अनुच्छेदों में लिखना चाहिए-
पहला अनुच्छेद – “सविनय निवेदन यह है कि” से वाक्य आरंभ करना चाहिए, फिर अपनी समस्या के बारे में लिखें।
दूसरा अनुच्छेद – “आपसे विनम्र निवेदन है कि” लिख कर आप उनसे क्या अपेक्षा (उम्मीद) रखते हैं, उसे लिखें।
(5) हस्ताक्षर व नाम– धन्यवाद या कष्ट के लिए क्षमा जैसे शब्दों का प्रयोग करना चाहिए और अंत में भवदीय, भवदीया, प्रार्थी लिखकर अपने हस्ताक्षर करें तथा उसके नीचे अपना नाम लिखें।
(6) प्रेषक का पता– शहर का मुहल्ला/इलाका, शहर, पिनकोड आदि।
(7) दिनांक।
औपचारिक-पत्रों को तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-
(1) प्रार्थना-पत्र – जिन पत्रों में निवेदन अथवा प्रार्थना की जाती है, वे ‘प्रार्थना-पत्र’ कहलाते हैं। प्रार्थना पत्र में अवकाश, शिकायत, सुधार, आवेदन आदि के लिए लिखे गए पत्र आते हैं। ये पत्र स्कूल के प्रधानाचार्य से लेकर किसी सरकारी विभाग के अधिकारी को भी लिखे जा सकते हैं।
(2) कार्यालयी-पत्र – जो पत्र कार्यालय संबंधी काम-काज के लिए लिखे जाते हैं, वे ‘कार्यालयी-पत्र’ कहलाते हैं। ये सरकारी अफसरों या अधिकारियों, स्कूल और कॉलेज के प्रधानाध्यापकों और प्राचार्यों को लिखे जाते हैं। इन पत्रों में डाक अधीक्षक, समाचार पत्र के सम्पादक, परिवहन विभाग, थाना प्रभारी, स्कूल प्रधानाचार्य आदि को लिखे गए पत्र आते हैं।
(3) व्यवसायिक-पत्र – व्यवसाय में सामान खरीदने व बेचने अथवा रुपयों के लेन-देन के लिए जो पत्र लिखे जाते हैं, उन्हें ‘व्यवसायिक-पत्र’ कहते हैं। इन पत्रों में दुकानदार, प्रकाशक, व्यापारी, कंपनी आदि को लिखे गए पत्र आते हैं।
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(i) औपचारिक-पत्र एक निश्चित नियमों में बंधे हुए होते हैं।
(ii) इस प्रकार के पत्रों में भाषा का प्रयोग ध्यानपूर्वक किया जाता है। इसमें अनावश्यक बातों (कुशल-मंगल समाचार आदि) का उल्लेख नहीं किया जाता।
(iii) पत्र का आरंभ व अंत प्रभावशाली होना चाहिए।
(iv) पत्र की भाषा-सरल, लेख स्पष्ट और सुंदर होना चाहिए।
(v) यदि आप कक्षा अथवा परीक्षा भवन से पत्र लिख रहे हैं, तो कक्षा अथवा परीक्षा भवन (अपने पता के स्थान पर) तथा क. ख. ग. (अपने नाम के स्थान पर) लिखना चाहिए।
(vi) पत्र के पेज पर बाई ओर से हाशिए (Margin Line) के साथ मिलाकर लिखें।
(vii) पत्र को एक पेज में ही लिखने का प्रयास करना चाहिए ताकि तारतम्यता/लयबद्धता बनी रहे।
(viii) प्रधानाचार्य को पत्र लिखते समय प्रेषक के स्थान पर अपना नाम, कक्षा व दिनांक लिखना चाहिए।
औपचारिक-पत्र की प्रशस्ति (आरम्भ में लिखे जाने वाले आदरपूर्वक शब्द), अभिवादन व समाप्ति में किन शब्दों का प्रयोग करना चाहिए-
प्रशस्ति (आरम्भ में लिखे जाने वाले आदरपूर्वक शब्द) – श्रीमान, श्रीयुत, मान्यवर, महोदय आदि।
अभिवादन – औपचारिक-पत्रों में अभिवादन नहीं लिखा जाता।
समाप्ति – आपका आज्ञाकारी शिष्य/आज्ञाकारिणी शिष्या, भवदीय/भवदीया, निवेदक/निवेदिका, शुभचिंतक, प्रार्थी आदि।
औपचारिक पत्र लेखन एक महत्वपूर्ण कौशल है, जो किसी भी पेशेवर या सरकारी संवाद को प्रभावी और शिष्ट बनाने के लिए आवश्यक होता है। इसके सही फॉर्मेट का पालन करके हम अपने संदेश को स्पष्ट और प्रभावी तरीके से प्रस्तुत कर सकते हैं।
नीचे कुछ औपचारिक पत्र लेखन के उदाहरण दिए गए हैं, जो परीक्षा में पूछे जाने वाले विषय के साथ दिए गए हैं। अधिक जानकारी के लिए पूरे लेख को ध्यानपूर्वक पढ़ें :
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
डी.ए.वी. स्कूल,
गुरुग्राम (हरियाणा)
दिनांक – 12/10/2025
विषय – बहन की शादी के लिए अवकाश प्रदान हेतु प्रार्थना पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय के कक्षा 9वीं का विद्यार्थी हूं। मेरे घर में मेरी बहन की शादी है। तिलक समारोह दिनांक 20 नवंबर 2025 और विवाह 24 नवंबर 2025 सुनिश्चित है। मैं अपने पिता का इकलौता पुत्र हूं। अतः शादी में बहुत से कार्यों में मेरा होना अति आवश्यक है। इसी कारण मुझे 13/11/2024 से 26/11/2025 तक का अवकाश चाहिए।
अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि आप मुझे अवकाश प्रदान करने की कृपा करें, इसके लिए मैं आपका आभारी रहूंगा।
धन्यवाद
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
नाम – अभिराज कुमार
कक्षा – 9वीं
रोल नंबर – 14
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सेवा में,
अध्यक्ष,
उप्र राज्य परिवहन निगम,
लखनऊ
दिनांक- 25 अगस्त, 2025
विषय – बस में छूटे बैग का वापस मिलना।
महोदय,
कल दिनांक 24 अगस्त, 2025 को मैंने लखनऊ में कार्य समाप्ति पर बलिया के लिए चारबाग बस स्टैण्ड से वातानुकूलित (एयर कंडीशनिंग) बस पकड़ी थी। सफर पूर्ण हो जाने के बाद मैं बस से उतर कर बलिया चला गया।
मेरी ख़ुशी की उस समय कोई सीमा ना रही जब तीन घंटे के बाद बस के कंडक्टर श्री जितेंद्र सिंह मेरे घर का पता पूछते हुए मेरे घर पहुंचे। तब तक मुझे यह ज्ञात ही नहीं था कि मैं अपना जरुरी बैग बस में ही भूल आया था। इस बैग में मेरे बहुत जरूरी कागज आधार, पैन व अन्य कागज के साथ कुछ रुपये थे। उसी पर लिखे पते के कारण कंडक्टर मेरे घर का पता ढूंढ़ने में सफल हुए थे। मुझे कंडक्टर का यह व्यवहार बहुत ही सराहनीय और प्रशंसनीय लगा। उनकी ईमानदारी से प्रभावित हो कर मैं उन्हें कुछ ईनाम देना चाहता था परन्तु उन्होंने यह कह कर टाल दिया कि यह तो उनका कर्तव्य था।
मैं चाहता हूं कि इस तरह के ईमानदार कर्मचारियों को पुरस्कृत किया जाना चाहिए जिससे दूसरे कर्मचारी भी ईमानदारी का पाठ सीख सकें। मैं कंडक्टर श्री जितेंद्र सिंह का फिर से आभार व्यक्त करता हूं।
धन्यवाद
भवदीय
रमेश कुमार
मेन रोड, मंगल पांडे चौराहा,
बलिया, यूपी
फोन नंबर – xxxxxxxxxx
सेवा में,
अधीक्षक,
मुख्य डाकघर, वाराणसी
दिनांक-25 सितंबर, 2025
विषय- मनीआर्डर की प्राप्ति नहीं होने पर कार्यवाही हेतु पत्र।
महोदय,
मैं वाराणसी का रहने वाला हूं। मेरे घर से मेरे पिताजी ने दिनांक 3 सितंबर, 2025 को 1000 रुपये का मनीआर्डर (रसीद संख्या xxxx) किया था। परन्तु अभी तक यह मनीआर्डर मुझे प्राप्त नहीं हुआ है। इस विषय पर मैंने अपने क्षेत्र के पोस्ट आफिस के स्टाफ से संपर्क किया। परन्तु उनका कहना है कि उनको इसकी कोई जानकारी नहीं है। हमारा परिवार बहुत गरीब है और पिताजी दिहाड़ी की मजदूरी मेहनत करके मुझे पैसे भेजते हैं।
आपसे निवेदन है कि इस दिशा में कुछ ठोस कदम उठाएं और जल्द-से-जल्द मुझे मनीआर्डर वाले पैसे दिलवाएं। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप मेरी इस समस्या पर ध्यान देते हुए, उचित कार्यवाही करेंगे। मैं सदैव आपका आभारी रहूंगा।
धन्यवाद
भवदीय
हिमांशु कुमार
47, पहाड़िया
वाराणसी
दूरभाष – 98723xxxxxx
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परीक्षा भवन,
अ. ब. स.(परीक्षा भवन का नाम)
दिनांक -14 सितंबर, 2025
सेवा में,
प्रबंधक नेशनल बुक ट्रस्ट
मुख्य डाकघर
नई दिल्ली
विषय – पुस्तक मंगवाने हेतु प्रार्थना-पत्र।
महोदय,
हमने छोटे बच्चों के लिए एक सार्वजनिक पुस्तकालय की शुरुआत की है। जिसमें छोटी-छोटी कहानियों का संग्रह, नेताओं की जीवनी, रामायण व महाभारत संबंधित पुस्तकों का संकलन होगा। मुझे निम्नलिखित दस पुस्तकें शीघ्र भिजवा दें। इस आर्डर की पुस्तकों की कीमत की राशि 2000 रुपये का बैंक ड्राफ्ट नं xxxxx दिनांक 20 सितंबर, 2025 इस पत्र के साथ भेज रहा हूं। पुस्तकें भेजते हुए पहले यह सुनिश्चित कर लीजियेगा कि पुस्तकें अंदर से या बाहर से कटी-फटी न हों और सभी पुस्तकों पर कवर लगा हुआ हो।
आपसे हाथ जोड़कर अनुरोध है कि सारी पुस्तकें बच्चों के सार्वजनिक पुस्तकालय के लिए हैं, अतः हमारे द्वारा मांगी गई सभी किताबों, पत्र-पत्रिकाओं पर जितनी हो सके उतनी छूट दें।
आपसे विनम्र निवेदन है जितनी शीघ्र हो सके, निम्न पुस्तकों की 5-5 प्रतियां भिजवा दें –
1- मन्दाकिनी
2- अमन, प्रेम व आजादी
3- चम्पक
4- चन्द्रकान्ता
5- नन्दन
6- पंचतन्त्र की कहानियां
7- बच्चों की जातक कथाएं
8- जंगल बुक
9- सिंहासन बत्तीसी
10- हितोपदेश
धन्यवाद।
सचिव, सार्वजनिक पुस्तकालय
मनीआर्डर भेजने का पता –
राजेश प्रसाद
नई दिल्ली
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सेवा में,
सम्पादक महोदय,
दैनिक जागरण,
पाटलिपुत्र कॉलोनी,
पटना
दिनांक-26 सितंबर, 2025
विषय- योग-शिक्षा का महत्त्व
महोदय,
जन-जन की आवाज, जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रसिद्ध आपके पत्र के माध्यम से मैं विद्यालय में योग-शिक्षा के महत्त्व को बताना चाहती हूं और प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचाना चाहती हूं।
योग-शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थी स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होंगें। योग शिक्षा उनके स्वास्थय के लिए बहुत अधिक लाभदायक है। योग के माध्यम से वे अपने शरीर की नकारात्मक ऊर्जा को बाहर निकाल सकते हैं और सकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण कर सकते हैं। योग के जरिए वे अपने तन-मन दोनों को स्वस्थ रख सकते हैं और उनके सर्वांगीण विकास में भी सहायता मिलती रहेगी।
आपसे विनम्र निवेदन है कि आप अपने समाचार-पत्र के माध्यम से पाठकों को योग के प्रति जागरूक करे और लोगों को योग-शिक्षा ग्रहण करने के लिए आग्रह करें।
धन्यवाद।
भवदीया
(नाम, पता, दूरभाष)
प्रेषक का पता
अजीत कुमार,पटना
तारीख: 17 अक्टूबर 2025
प्राप्तकर्ता का पता
प्रधानाचार्य
ABC स्कूल
दिल्ली
विषय: स्कूल में छुट्टी के लिए आवेदन
मान्यवर,
सविनय निवेदन है कि मैं, ABC, कक्षा 9 का छात्र, 20 अक्टूबर 2025 को एक पारिवारिक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए छुट्टी लेना चाहता हूँ। इस दिन मेरे परिवार में एक महत्वपूर्ण आयोजन है, जिसके कारण मुझे स्कूल में उपस्थित नहीं रह पाऊँगा। कृपया मुझे उस दिन छुट्टी प्रदान करने की कृपा करें।
आपकी सहायता के लिए मैं आपका आभारी रहूँगा।
धन्यवाद।
आपका विद्यार्थी,
रोहित कुमार
प्रेषक का पता
जयराम प्रसाद
123, सरोजनी नगर,
लखनऊ, उत्तर प्रदेश
तारीख: 16 अक्टूबर 2025
प्राप्तकर्ता का पता
कार्यकारी अधिकारी,
जल आपूर्ति विभाग,
लखनऊ, उत्तर प्रदेश
विषय : जल आपूर्ति में समस्या के समाधान के लिए पत्र
मान्यवर,
सविनय निवेदन है कि हमारे क्षेत्र, सरोजनी नगर में पिछले एक सप्ताह से जल आपूर्ति में गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। कई बार शिकायत करने के बावजूद इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। पानी की आपूर्ति केवल एक-दो घंटे ही हो रही है, जिससे हमें बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। कृपया इस समस्या का शीघ्र समाधान करें ताकि हम सभी नागरिकों को जल संकट से निजात मिल सके।
आपकी सहायता के लिए हम आपके आभारी रहेंगे।
धन्यवाद।
जयराम प्रसाद
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