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भारत में प्राचीन काल से ही गुरु-शिष्य की परंपरा का बहुत अधिक महत्व रहा है। यहां गुरुओं को हमेशा से विशेष स्थान दिया गया है। यहां तक कि उन्हें भगवान और माता-पिता से भी ऊपर माना गया है। ऐसे में शिक्षक दिवस भारत देश में कोई आम दिन नहीं रह जाता। देश भर में शिक्षकों और गुरुओं के प्रति अगाध आस्था है, जिसके चलते उनको बहुत सम्मान दिया जाता है और शिक्षक दिवस भारत देश में विशेष महत्व का दिन बन जाता है। यही वजह है कि शिक्षक दिवस पर भारत के हर छोटे-बड़े स्कूल, कोचिंग सेंटर, कॉलेज आदि के छात्र इस दिन को विशेष बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
हिंदी दिवस पर कविता | हिंदी दिवस पर भाषण | हिंदी दिवस पर निबंध
शिक्षक दिवस के अवसर पर सभी अपने गुरुओं, शिक्षकों तथा मार्गदर्शकों को याद करते हैं। कई स्टूडेंट शिक्षक दिवस कार्ड (teacher day card) बना कर अपने प्रिय शिक्षक को शुभकामना के तौर पर देते हैं। इस निबंध में शिक्षक दिवस कैसे मनाया जाता है, शिक्षक दिवस पर निबंध कैसे तैयार करें, शिक्षक दिवस पर निबंध (Teachers Day essay in Hindi) तैयार करने के लिए उपयोगी सामग्री उपलब्ध कराई गई है।
शिक्षक दिवस पर भाषण | फेयरवेल स्पीच
शिक्षक दिवस के अवसर पर सभी अपने जीवन में शिक्षकों के योगदान और उनसे जुड़े अपने अनुभव साझा करते हैं, गुरुओं के महत्व और इसे मनाए जाने के कारण को भी शिक्षक दिवस पर दिए जाने वाले भाषणों में जगह दी जाती है। इस दिन आयोजित किए जाने वाले विभिन्न कार्यक्रमों के दौरान छात्र अपने शिक्षकों के सामने शिक्षक दिवस पर भाषण (shikshak divas per speech) भी देते हैं। कई जगहों पर वाद-विवाद प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है, जहां छात्रों को शिक्षक दिवस पर निबंध 100 शब्दों में या फिर शिक्षक दिवस पर निबंध 10 लाइन (10 lines on teachers day in hindi) में बोलने के लिए कहा जाता है। इसके अलावा इस दिन के विशेष महत्व की वजह से कई बार स्कूलों में परीक्षा में शिक्षक दिवस पर निबंध हिंदी में (teachers day essay in hindi) लिखने के लिए भी कहा जाता है।
ये भी देखें :
कुल मिलाकर देखा जाए तो शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak din nibandh) एक ऐसा विषय है जिस पर हर छात्र से कभी न कभी प्रश्न तो पूछा ही जाता रहा है। कभी किसी परीक्षा में अच्छे अंकों के लिए शिक्षक दिवस पर निबंध (essay on teachers day in hindi) लिखने को कहा जाता है, तो कभी सर्दी या गर्मियों की छुट्टियों में होमवर्क के तौर पर शिक्षक दिवस पर निबंध (essay on teachers day in hindi) लिखने का कार्य दे दिया जाता है। इसके अलावा कभी-कभी तो रिश्तेदारों के सामने अभिभावक ही बच्चों से शिक्षक दिवस पर निबंध (essay on teachers day in hindi) लिखने या शिक्षक दिवस भाषण देने या शिक्षक दिवस पर विचार व्यक्त करने को कह देते हैं।
कुछ ऐसे भी छात्र होते हैं जिनकी हिंदी बेहतर नहीं होती है, ऐसे में उन्हें शिक्षक दिवस पर निबंध हिंदी में (teachers day essay in hindi) या फिर शिक्षक दिवस पर भाषण हिंदी में (teachers day speech in hindi) तैयार करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। असल में शिक्षक दिवस पर निबंध और शिक्षक दिवस पर भाषण की सामग्री में विशेष अंतर नहीं होता, अंतर होता है अभिव्यक्ति के माध्य में। शिक्षक दिवस पर निबंध में विचार जहां लिखकर व्यक्त किए जाते हैं, वहीं शिक्षक दिवस पर भाषण में उन्हें बोलकर बताया जाता है। शिक्षक दिवस पर भाषण में विचार जिस मंच पर साझा किया जाना है, उसके श्रोताओं का भाषण के शुरू और अंत में अभिवादन करने की भी आवश्यकता होती है। शेष बातें शिक्षक दिवस पर निबंध और भाषण में एक जैसी ही रहेंगी।
उपयोगी लिंक
यही वजह है कि इस महत्वपूर्ण विषय पर पूर्ण ज्ञान प्रदान करने और आपकी जानकारी को बढ़ाने के लिए हम इस 5 सितंबर शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak din nibandh) लिखने का छोटा सा प्रयास कर रहे हैं। शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak din nibandh) से आपके अंदर न सिर्फ शिक्षक दिवस पर निबंध (teachers day essay in hindi), बल्कि अन्य विषयों पर भी निबंध को लिखने की एक समझ विकसित होगी, जिससे आपका मनोबल भी ऊंचा होगा। हालांकि, हम आपसे अनुरोध करेंगे कि बजाय इसके कि आप इस शिक्षक दिवस निबंध (shikshak diwas nibandh) को पूरा कॉपी करें, बेहतर होगा कि इस शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak diwas par nibandh) का उपयोग, बस ज्ञान लेने व शिक्षक दिवस पर निबंध हिंदी में (shikshak diwas essay in hindi) लिखने व समझने की सामग्री के तौर पर करें।
ऐसा इसलिए क्योंकि इस विषय को बेहतर तरीके से समझ लेने से न सिर्फ आप आज, बल्कि भविष्य में भी अपने चयनित शब्दों में एक बेहतरीन शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak din nibandh) लिखने के साथ-साथ शिक्षक दिवस पर भाषण भी बेहद आसानी से लिख व दे पाएंगे। इस लेख में शिक्षक दिवस पर निबंध 100 शब्दों (teachers day essay in hindi in 100 words) में या फिर शिक्षक दिवस पर निबंध 10 लाइन (10 lines on teachers day in hindi) लिखने या बोलने हेतु शिक्षक दिवस के लिए सभी महत्वपूर्ण बिंदु भी दिए गए हैं, जोकि आपको इस लेख के अंत में मिलेंगे।
महत्वपूर्ण लेख :
शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak diwas par nibandh) की शुरुआत करने से पहले आइए सबसे पहले शिक्षक दिवस के इस मौके पर पूज्य शिक्षकों की स्तुति करते हुए शिक्षकों के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करें। इसके लिए दोनों हाथों को जोड़कर निम्नलिखित मंत्रों का पाठ करें :
1 - गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर:।
गुरुर्साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:।।
2 - ॥ॐ वेदाहि गुरु देवाय विद्महे परम गुरुवे धीमहि तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्॥
आपको बताते चलें कि निम्नलिखित लेख शिक्षक दिवस पर निबंध (essay on teachers day) के प्रारूप में लिखा गया है। हालांकि आप इसका उपयोग शिक्षक दिवस पर भाषण हिंदी में (teachers day speech in hindi) देने के लिए भी कर सकते हैं। शिक्षक दिवस पर भाषण (shikshak divas per speech) देने से पहले निम्नलिखित निबंध से पहले भाषण स्थल पर मौजूद अतिथि व दर्शकों / श्रोताओं का अभिवादन करें। इसके बाद निम्नलिखित शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak divas nibandh) का उपयोग आप शिक्षक दिवस पर भाषण (shikshak divas per speech) की तरह कर सकते हैं।
महत्वपूर्ण लेख:
शिक्षक का हर मानव के जीवन में विशेष स्थान होता है। यह शिक्षक ही है, जो किसी मनुष्य को इंसान बनाता है। शिक्षक का स्थान मानव जीवन में भगवान और माता-पिता से भी ऊपर है। यही वजह है कि शिक्षक के बारे में जितना भी कहा जाए कम ही है। तभी तो स्वयं कबीर दास जी इस विषय पर कहते हैं:-
सब धरती कागज करूँ, लिखनी सब बनराय।
सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाय॥
इसका अर्थ यह है कि यदि सम्पूर्ण पृथ्वी को कागज के रूप में परिवर्तित कर दिया जाए, साथ ही सातों समुद्र की स्याही बना ली जाए और क्यों न सभी जंगलों की कलम भी बना ली जाए, लेकिन इसके बावजूद भी शिक्षक की महिमा का संपूर्ण गुणगान किया जा सके, यह मुमकिन नहीं है।
भारत में प्राचीन काल से ही गुरु-शिष्य की परंपरा का बहुत अधिक महत्व रहा है। हमारी संस्कृति के निमार्ण में गुरु-शिष्य परंपरा का बहुत अधिक योगदान है। मानव के जीवन निर्माण के सभी स्तंभों में शिक्षक सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है। इसलिए ही कहा जाता है कि -
गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर:।
गुरुर्साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:।।
शिक्षक अपने शिष्य के जीवन के साथ साथ उसके चरित्र निर्माण में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। कहा जाता है कि इंसान की सबसे पहली गुरु उसकी माँ होती है, जो अपने बच्चों को जीवन प्रदान करने के साथ-साथ जीवन के आधार का ज्ञान भी देती है। इसके बाद अन्य शिक्षकों का स्थान होता है। किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण करना बहुत ही विशाल और कठिन कार्य है। व्यक्ति को शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उसके चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण करना उसी प्रकार का कार्य है, जैसे कोई कुम्हार मिट्टी से बर्तन बनाने का कार्य करता है। इसी प्रकार शिक्षक अपने छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के साथ साथ उसके व्यक्तित्व का निर्माण भी करते हैं। इसलिए ही कबीर कहते हैं :
गुरु कुम्हार शिष कुंभ है, गढ़ि-गढ़ि काढ़ै खोट।
अन्तर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट॥
इस दोहे का अर्थ यह है कि शिक्षक उस कुम्हार की तरह है जो अपने छात्र रूपी घड़े की कमियों को दूर करने के लिए भीतर से हाथ का सहारा देकर बाहर से थापी से चोट करता है। ठीक इसी तरह शिक्षक भी कभी-कभी शिक्षक छात्रों पर क्रोध करके भी उसके चरित्र का निर्माण करते हैं तथा उन्हें बेहतर मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। यही वजह है कि शिक्षक और शिक्षक दिवस का महत्व भारतीय संस्कृति में कहीं ज्यादा है।
यह तो हुई शिक्षक की विशेषताओं के बारें में चर्चा अब शिक्षक दिवस का आरंभ और यह क्यों मनाया जाता है, इसके बारे में विचार करते हैं।
भारत में सबसे पहले शिक्षक दिवस 5 सितंबर, 1962 को मनाया गया था। भारत में भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण के जन्म दिवस अर्थात 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। उन्होंने अपने छात्रों से अपने जन्म दिवस पर शिक्षक दिवस मनाने की इच्छा जताई थी। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे बचपन से ही किताबें पढ़ने के शौकीन थे और स्वामी विवेकानंद से काफी प्रभावित थे। डॉ. राधाकृष्णन का निधन चेन्नई में 17 अप्रैल, 1975 को हुआ था। भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण के सम्मान में ही उनके जन्म दिवस पर भारत में शिक्षक दिवस मनाने की शुरुआत हुई।
वैसे तो विश्व भर में 100 से भी अधिक देशों में शिक्षक दिवस मनाया जाता है, मगर अन्य देशों में यह दिवस अलग-अलग दिन पर मनाया जाता है। भारत में यह दिवस 5 सितंबर को मनाया जाता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में मनाया जाता है। इस दिन विश्व के सभी शिक्षकों को उनके बहुमूल्य योगदान के लिए भी सम्मानित किया जाता है।
शिक्षक, शिक्षक दिवस और जनहित में उनका योगदान
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्ण कहा करते थे कि : “पुस्तकें वह साधन हैं, जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के मध्य पुल बनाने का कार्य कर सकते हैं।”
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्ण का यह कथन न सिर्फ सत्य और अपने आप में प्रासंगिक है, बल्कि दो संस्कृतियों के साथ-साथ मनुष्यों के मध्य भी बेहतर संबंधों का निर्माण करने हेतु शिक्षा बहुत आवश्यक है।
शिक्षा के प्रसार से ही किसी समाज या किसी देश का निर्माण हो सकता है। शिक्षित होना हमेशा से बहुत महत्वपूर्ण रहा है। बेहतर जीवन की परिकल्पना में शिक्षा आधार का कार्य करती है। इसके साथ ही एक बेहतर मनुष्य होने में भी शिक्षा एक महत्वपूर्ण किरदार अदा करती है। यह मनुष्य को दूरद्रष्टा बनाकर उसके भीतर विचारों के प्रवाह को सही दिशा प्रदान करने जैसा जरूरी कार्य करती है, लेकिन यह केवल तभी संभव है जब मनुष्य को एक सही शिक्षक मिले जो उसे सही दिशा प्रदान करे। मनुष्य को योग्य बनाने का कार्य शिक्षक द्वारा ही किया जाता है।
शिक्षक हमारे जीवन में मार्गदर्शन का कार्य करते हैं। जीवन में आने वाले संघर्षों का तटस्थता के साथ सामना करने के लिए हमें शिक्षक ही तैयार करते हैं। ताकि हम कभी जीवन में किसी के सामने न झुकें। बेहतर जीवन की परिकल्पना शिक्षा के बिना अधूरी है और शिक्षा के साथ-साथ जीवन में मौलिकता तथा शिष्टाचार प्राप्त करना भी बेहद जरुरी है। शिक्षित होने के साथ-साथ व्यक्ति का शिष्ट होना बेहद आवश्यक है, यदि व्यक्ति शिष्ट है तब ही तो वह मानव है और यदि नहीं है तो उसे पशु की उपाधि दी जाती है। यह शिष्टता प्राप्त करने के लिए ही हम गुरु के सानिध्य में आते है, ताकि हम बेहतर जीवन प्राप्त करने के साथ-साथ बेहतर इंसान भी बन सके। इसिलए भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्ण जी कहते थे :
“भगवान हम सबके भीतर है, महसूस करता है और कष्ट सहता है और समय के साथ उनके गुण, ज्ञान, सौन्दर्य और प्रेम हममें से हर एक के मन में उजागर होंगे”
शिक्षक दिवस मूलतः इसलिए मनाया जाता है, ताकि हम अपने सभी शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता जता सकें। उन्हें हमें बेहतर शिक्षा प्रदान करने तथा हमारे व्यतित्व का निर्माण करने के लिए धन्यवाद देना ही इस दिन को मनाने का उद्देश्य है। एक राष्ट्र के निर्माण में शिक्षकों का योगदान अतुल्य है, जिसके लिए उनका जितना भी धन्यवाद किया जाए कम है। एक राष्ट्र विकसित तब ही हो सकता है, जब उसके शिक्षक योग्य हों। वैसे तो विश्व के सभी शिक्षक पूजनीय हैं, मगर कुछ शिक्षक ऐसे भी हुए जिन्होंने अपने कार्यों से भारत को सफलता की ऊँचाइयों तक ले जाने का कार्य किया। वैसे तो इनकी सूची लंबी है, मगर इसमें राजा राम मोहन राय, स्वामी विवेकानंद, डॉ भीम राव अम्बेडकर, मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद, एपीजे अब्दुल कलाम ऐसे शिक्षक थे, जिन्होंने अपने राष्ट्र के निर्माण में अनंत योगदान प्रदान किया।
सामाजिक तौर पर मनुष्य का साथ रहना, मनुष्य का स्वभाव है। समाज कई लोगों से मिलकर बनता है, जिसमें अच्छे व बुरे, दोनों ही तरह के लोग होते हैं। जाहिर है कि अच्छे लोगों ने समाज को कुछ बेहतर बनाने की कोशिश की, तो वहीं बुरे लोगों की वजह से समाज में बुराइयाँ, कुंठा, घृणा, कुरीतियाँ आदि जैसी चीजों ने भी जन्म लिया। ऐसे में हमारे शिक्षकों ने अपने योगदान के माध्यम से उन कुंठाओ, कुरीतियों, अज्ञानता आदि को दूर करने का प्रयास किया है। आज भी हमारे देश में कई ऐसे शिक्षकों के उदाहरण मिलते हैं, जिनके बारे में सुनकर हमारा ह्रदय गौरवान्वित हो उठता है। अभी हाल ही में सोनम वांगचुक जैसे वैज्ञानिक का उदाहरण हमारे सामने आया, जो लद्दाख जैसे सुदूर क्षेत्र में शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ नए-नए अविष्कार भी कर रहे हैं। यह केवल एक उदाहरण है। ऐसे हमारे देश में ऐसे न जाने कितने उदाहरण होंगे जिसका हमें पता तक नहीं चल पाता है। देखा जाए तो शिक्षक एक राष्ट्र या समाज के वो सुपरहीरोज हैं, जो अपनी पहचान के लिए तरसे बगैर लगातार समाज को बेहतर करने का निरंतर प्रयास करते रहते हैं।
हमारे शिक्षकों का ही योगदान है जो आज हमारा देश तेजी से सफलता के मार्ग पर अग्रसर है। आज विश्वभर में भारतीय हर क्षेत्र में अपने देश का नाम रौशन कर रहें है। आज विश्व का हर चौथा डॉक्टर या इंजीनियर एक भारतीय ही है। विज्ञान के क्षेत्र में हम अमेरिका और रूस जैसी महाशक्तियों के समकक्ष खड़े हैं। राजनीति, अर्थशास्त्र, कला आदि क्षेत्रों में भी भारतीयों के कार्य को विश्वभर में सराहा जाता है और न जाने कितने ही भारतीय इन क्षेत्रों में विश्व के लिए प्रेरणास्रोत हैं। इसके अलावा इस देश की साक्षरता दर 77.7 प्रतिशत है। मगर इतना कुछ एक विकासशील देश के लिए आखिर मुमकिन हो कैसे पाया? जाहिर है, यह मुकाम हमारे देश के शिक्षकों के बगैर नामुमकिन था, जिसक लिए उनका जितना भी धन्यवाद किया जा सके, उतना कम है। शिक्षकों के बिना एक स्वस्थ और शालीन समाज व राष्ट्र की कल्पना भी बेईमानी है।
अन्य लेख पढ़ें-
क्रम संख्या | शिक्षक दिवस कोट्स | किसने कहा |
1 | मेरा सौभाग्य होगा यदि अलग से मेरा जन्मदिवस मनाने की बजाए 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए। | पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण |
2 | शिक्षक और छात्र एक साथ कार्य करते हैं , अतः अध्यापक के व्यक्तित्व का प्रभाव छात्र पर सर्वाधिक पड़ता है। ’’ लड़के पुस्तकों तथा व्याख्यानों की अपेक्षा ‘‘ अध्यापकों के जीवन से अधिक सीखते हैं। | महात्मा गांधी |
3 | गुरु के प्रति विश्वास, नम्रता, विनय और श्रद्धा के बिना हममें धर्म का भाव पनप नहीं सकता। | स्वामी विवेकानंद |
4 | अच्छी प्रकार की शिक्षा वह है जो समाज को ऊपर उठा सके तथा गलत प्रकार की शिक्षा वह है जो समाज को अवनति के मार्ग पर ले जाए। | पंडित जवाहर लाल नेहरू |
5 | व्यक्ति को हमेशा अपने गुरु को पिता के समान ही सम्मान देना चाहिए। गुरु का सम्मान करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी भी असफल नहीं हो सकता है। | चाणक्य |
6 | यदि आप अपने बच्चे को हर संभव बेहतर शिक्षा दिलाना चाहते हैं, तो उसके लिए शानदार स्कूल ढूंढ़ने की बजाए शानदार शिक्षक ढूंढ़िए। | बिल गेट्स |
7 | गुरु पारस को अन्तरो, जानत हैं सब सन्त। वह लोहा कंचन करे, ये करि लये महन्त॥ अर्थात : गुरु और पारस - पत्थर में अन्तर है, यह सब सन्त जानते हैं। पारस तो लोहे को सोना बनाता है, परन्तु गुरु शिष्य को अपने समान महान बना लेता है। | संत कबीर |
8 | एक महान शिक्षक बनने के लिए तीन बातें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती हैं – ज्ञान, जुनून और करुणा। | डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम |
9 | दोयम दर्जे का शिक्षक बताता है। अच्छा शिक्षक समझाता है। श्रेष्ठ शिक्षक प्रदर्शित करता है। महान शिक्षक प्रेरित करता है। | विलियम ऑर्थर वर्ड |
10 | शिक्षक चाहें तो चॉक और चुनौतियों के सही मिश्रण के सहारे जीवन बदल सकते हैं। | जॉयस मेयर |
इन्हें भी देखें :
हम उम्मीद करते हैं कि शिक्षक दिवस निबंध (essay on teachers day in hindi) आपको पसंद आया होगा। हालांकि इसके बावजूद भी कई ऐसे छात्र होंगे, जो किसी परीक्षा के दृष्टिकोण से शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak diwas nibandh) लिखने की सोच रहे हैं, ऐसे में वे भविष्य में शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak diwas nibandh) लिखने के लिए नीचे दिए गए 10 महत्वपूर्ण बिन्दुओं या फिर कहें तो शिक्षक दिवस पर पैराग्राफ (paragraph on teachers day in hindi) को याद रख सकते हैं तथा अपनी सुविधा अनुसार इसे विस्तृत कर परीक्षा में लिख सकते हैं। साथ ही इन 10 महत्वपूर्ण बिन्दुओं को याद रखने से आपको शिक्षक दिवस पर भाषण (teachers day speech in hindi) लिखने में भी सहायता मिलेगी। इसके अलावा इन बिंदुओं की सहायता लेते हुए छात्र छोटे लेख जैसे कि शिक्षक दिवस पर निबंध 100 शब्दों में (shikshak diwas par nibandh) भी लिख सकते हैं। शिक्षक दिवस पर निबंध 10 लाइन (10 lines on teachers day in hindi) में ये रहे :
भारत में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण के जन्म दिवस अर्थात 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। उन्होंने अपने छात्रों से अपने जन्म दिवस पर शिक्षक दिवस मनाने की इच्छा जताई थी।
पूर्व राष्ट्रपति डॉ राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
डॉ राधाकृष्णन का देहांत चेन्नई में 17 अप्रैल, 1975 को हुआ था।
भारत में सबसे पहले शिक्षक दिवस 5 सितंबर, 1962 को मनाया गया था।
भारत में शिक्षक दिवस 5 सितंबर को मनाया जाता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में मनाया जाता है।
शिक्षक दिवस विश्व भर के 100 से भी अधिक देशों में मनाया जाता है।
शिक्षक दिवस के दिन देश भर के शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के सम्मान में छात्रों द्वारा रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।
छात्र इस दौरान अपने शिक्षकों के सम्मान में, उनकी महत्ता का बखान करते हुए शिक्षक दिवस पर भाषण देते हैं। साथ ही कई जगहों पर इस दिन छात्र अपने शिक्षकों को उपहार भी भेंट में देते हैं।
एक राष्ट्र विकसित तब ही हो सकता है, जब उसके शिक्षक योग्य हों।
शिक्षकों के बगैर इस देश का विकास नामुमकिन था, जिसक लिए उनका जितना भी धन्यवाद किया जा सके, उतना कम है। शिक्षकों के बिना एक स्वस्थ और शालीन समाज व राष्ट्र की कल्पना भी बेईमानी है।
हम आशा करते हैं कि शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak diwas par nibandh) या फिर कहें तो शिक्षक दिवस पर भाषण (shikshak diwas par speech) से निबंध/भाषण संबंधी आपकी सभी शंकाओं का समाधान हो गया होगा। आपको बताते चलें कि शिक्षक दिवस पर निबंध / शिक्षक दिवस पर भाषण (shikshak diwas par nibandh / shikshak diwas par speech) के साथ-साथ आप अन्य विषयों पर भी हमारे लिखे निबंध / भाषण इस लेख में उपलब्ध लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं। शिक्षक दिवस पर निबंध / शिक्षक दिवस पर भाषण (shikshak diwas par nibandh / shikshak diwas par speech) के अलावा कई छात्र शिक्षक दिवस को विशेष बनाने के लिए रंग-बिरंगे पोस्टर्स तैयार करते हैं, जिस पर वे शिक्षकों को लेकर महापुरुषों के कथन / विचार (teachers day quotes) चाहते तो हैं, मगर उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। ऐसे में इस लेख में शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak diwas par nibandh) के अलावा दस शिक्षक दिवस कोट्स (teachers day quotes) नीचे दिए हैं -
महत्वपूर्ण प्रश्न :
शिक्षक दिवस पर शिक्षक को क्या उपहार दें?
अनेक विद्यार्थी शिक्षक दिवस के अवसर पर अपने प्रिय शिक्षक को शिक्षक दिवस कार्ड (teacher day card) उपहारस्वरूप देते हैं जिसमें शुभकामना संदेश अंकित रहता है। कई बच्चे हाथ से बनाकर भी शिक्षक दिवस कार्ड (teacher day card) गिफ्ट देते हैं। कई विद्यार्थी दुकान से खरीदकर शिक्षक दिवस कार्ड (teacher day card) भेंट करते हैं। इसके अलावा शिक्षक दिवस पर पेन, कोई अन्य वस्तु, किताबें भी भेंट स्वरूप प्रदान किया जाता है।
शिक्षक दिवस के दिन छात्र-छात्रएं अपने प्रिय शिक्षक के लिए शुभकामना संदेश लिख कर देते हैं। टीचर्स डे पर अपने फेवरेट टीचर्स के लिए बच्चे रंग-बिरंगे पेपर पर सुंदर डिजाइन बनाकर रंग-बिरंगे लिखावट के साथ अपनी शुभकामनाएं और बधाई शिक्षक को देते हैं। शुभकामना संदेश में बच्चे शिक्षक दिवस कार्ड बनाकर इस तरह के संदेश अधिक लिखते हैं- जैसे- 1. आपने मुझे सिर्फ पढ़ाया ही नहीं, बल्कि मुझे एक अच्छा इंसान बनना भी सिखाया है। 2. आपने मुझे सपने देखने और उनको पूरा करने के लिए हमेशा प्रेरित किया है। 3. आपने मुझे हमेशा प्रोत्साहित किया और मेरी गलतियों से सीखने में मदद की। आपने मुझे बताया कि असफलता से हम सीखते हैं और आगे बढ़ते हैं। आदि।
भारत में शिक्षक दिवस 5 सितंबर को मनाया जाता है ।
भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण ने अपने जन्म दिवस अर्थात 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की इच्छा व्यक्त की थी। उनके सम्मान में ही भारत में प्रत्येक वर्ष उनकी जन्मतिथि को शिक्षक दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण के जन्म दिवस अर्थात 5 सितम्बर 1962 को पहला शिक्षक दिवस मनाया गया था ।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में मनाया जाता है।
भारत की साक्षरता दर 77.7 प्रतिशत है।
शिक्षक दिवस पर निबंध (essay on teachers day in hindi) की शुरुआत डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन परिचय से की जा सकती है। इसके बाद व्यक्तिगत जीवन में शिक्षकों के महत्व के साथ-साथ राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों के योगदान के लिए उनका धन्यवाद करते हुए इसे खत्म किया जा सकता है। विस्तृत जानकारी के लिए इस लेख को पढ़ें।
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