अनौपचारिक पत्र (Aupcharik Patra) : विद्यार्थियों की परीक्षा में पत्र लेखन से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। परीक्षा के लिए व्याकरण एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है। इसमें औपचारिक पत्र लेखन (Formal Letter in Hindi) और अनौपचारिक पत्र (Aupcharik Patra) से भी प्रश्न पूछे जाते हैं। औपचारिक पत्र वे पत्र होते हैं जो पेशेवर या सरकारी कार्यों के लिए लिखे जाते हैं। इन पत्रों में व्यवसायिक संवाद, प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र, आवेदन पत्र, सरकारी विभागों को लिखे गए पत्र और संपादक के नाम पत्र शामिल होते हैं।
पत्र दो तरह के होते हैं : औपचारिक पत्र और अनौपचारिक पत्र। अनौपचारिक पत्र वह निजी पत्र है जो आप अपने दोस्तों, परिवार के सदस्यों या करीबी परिचितों को लिखते हैं। ऐसे पत्रों में सरल, स्वाभाविक और अनौपचारिक भाषा का प्रयोग किया जाता है और इनका उद्देश्य व्यक्तिगत संवाद करना, खबरें साझा करना, निमंत्रण देना या धन्यवाद देना होता है। इन पत्रों में औपचारिक पत्रों की तरह कोई सख्त प्रारूप या नियम नहीं होते हैं। इस लेख में हम अनौपचारिक पत्र की परिभाषा, अनौपचारिक पत्र का प्रारूप और अनौपचारिक पत्र (Formal Letter in Hindi) लिखने के उदाहरण सहित इसके अन्य पहलुओं के बारे में विस्तार से जानेंगे।
छात्रों को परीक्षा में हिंदी पत्र लेखन (Hindi Letter Writing in Hindi) से जुड़ा प्रश्न उत्तीर्ण होने के लिए महत्वपूर्ण अंक भी आसानी से दिला सकता है। ऐसे में हिंदी पत्र लेखन (Hindi Letter Writing in Hindi) की जानकारी जहां हिंदी भाषी क्षेत्र के निवासियों की कामकाजी जरूरतों को पूरा करने में मदद करती है वहीं परीक्षा में बेहतर अंक लाने में भी मददगार है।
अनौपचारिक पत्र उन लोगों को लिखा जाता है जिनसे हमारा व्यक्तिगत सम्बन्ध रहता है। अनौपचारिक पत्र अपने परिवार के लोगों को जैसे माता-पिता, भाई-बहन, सगे-सम्बन्धिओं और मित्रों को उनका हालचाल पूछने, निमंत्रण देने और सूचना आदि देने के लिए लिखे जाते हैं। इन पत्रों में भाषा के प्रयोग में थोड़ी ढील दी जा सकती है। इन पत्रों में शब्दों की संख्या असीमित हो सकती है क्योंकि इन पत्रों में इधर-उधर की बातों का भी समावेश होता है।
अनौपचारिक पत्र उन व्यक्तियों को लिखे जाते हैं, जिनसे पत्र लेखक का व्यक्तिगत या निजी सम्बन्ध होता है। अपने मित्रों, माता-पिता, अन्य सम्बन्धियों आदि को लिखे गये पत्र अनौपचारिक-पत्रों के अंतर्गत आते है। अनौपचारिक पत्रों में आत्मीयता का भाव रहता है तथा व्यक्तिगत बातों का उल्लेख भी किया जाता है। इस तरह के पत्र लेखन में व्यक्तिगत सुख-दुख का ब्योरा एवं विवरण के साथ व्यक्तिगत संबंध को उल्लेख किया जाता है।
ये भी देखें :
अनौपचारिक पत्र (Aupcharik Patra) किसी भी व्यक्तिगत विषय पर लिखा जा सकता है। जैसे:
अनौपचारिक पत्र का एक सामान्य प्रारूप होता है जो निम्नलिखित प्रकार से होता है :
1. पता- सबसे ऊपर बाईं ओर प्रेषक (पत्र भेजने वाले) का नाम व पता लिखा जाता है।
2. दिनांक- जिस दिन पत्र लिखा जा रहा है, उस दिन की तारीख।
3. विषय- (सिर्फ औपचारिक पत्रों में, अनौपचारिक पत्रों में विषय का प्रयोग नहीं किया जाता है |)
4. संबोधन- प्राप्तकर्ता (जिस व्यक्ति को पत्र लिखा जा रहा है) के साथ संबंध के अनुसार संबोधन का प्रयोग किया जाता है। (जैसे कि बड़ों के लिए पूजनीय, पूज्य, आदरणीय आदि के शब्दों का प्रयोग किया जाता है और छोटों के लिए प्रिय, प्रियवर, स्नेही आदि का प्रयोग किया जाता है।)
5. अभिवादन- जिस को पत्र लिखा जा रहा है उसके साथ संबंध के अनुसार, जैसे कि सादर प्रणाम, चरण स्पर्श, नमस्ते, नमस्कार, मधुर प्यार आदि |
6. मुख्य विषय- मुख्य विषय को मुख्यतः तीन अनुच्छेदों में विभाजित करना चाहिए।
पहले अनुच्छेद की शुरुआत कुछ इस प्रकार होनी चाहिए- “हम/मैं यहां कुशल हूं, आशा करता हूं कि आप भी वहां कुशल होंगे।”
दूसरे अनुच्छेद में जिस कारण पत्र लिखा गया है उस बात का उल्लेख किया जाता है।
तीसरे अनुछेद में समाप्ति से पहले, कुछ वाक्य अपने परिवार व सबंधियों के कुशलता के लिए लिखने चाहिए। जैसे कि- “मेरी तरफ से बड़ों को प्रणाम, छोटों को आशीर्वाद व प्यार आदि”।
7. समाप्ति- अंत में प्रेषक का सम्बन्ध जैसे- आपका पुत्र, आपकी पुत्री, आपकी की भतीजी आदि”।
महत्वपूर्ण लेख :
(1) अपने से बड़े आदरणीय संबंधियों के लिए-
प्रशस्ति – आदरणीय, पूजनीय, पूज्य, श्रद्धेय आदि।
अभिवादन – सादर प्रणाम, सादर चरण स्पर्श, सादर नमस्कार आदि।
समाप्ति – आपका बेटा, पोता, नाती, बेटी, पोती, नातिन, भतीजा आदि।
(2) अपने से छोटों या बराबर वालों के लिए-
प्रशस्ति – प्रिय, चिरंजीव, प्यारे, प्रिय मित्र आदि।
अभिवादन – मधुर स्मृतियां, सदा खुश रहो, सुखी रहो, आशीर्वाद आदि।
समाप्ति – तुम्हारा, तुम्हारा मित्र, तुम्हारा हितैषी, तुम्हारा शुभचिंतक आदि।
महत्वपूर्ण लेख :
(प्रेषक-लिखने वाले का पता)
दिनांक …
संबोधन …
अभिवादन …
पहला अनुच्छेद …… (कुशल-मंगल समाचार)
दूसरा अनुच्छेद … . (विषय-वस्तु-जिस बारे में पत्र लिखना है)
तीसरा अनुच्छेद … . (समाप्ति)
प्राप्तकर्ता के साथ प्रेषक का संबंध
प्रेषक का नाम …………….
(1) आपका कृपा पत्र मिला । पढ़कर बड़ी प्रसन्नता हुई।
(2) बहुत दिनों के बाद आपका पत्र पाकर हृदय गदगद हो गया।
(3) कार्य में अत्यंत व्यस्त रहने के कारण आपके पत्र का उत्तर न दे सका, क्षमा प्रार्थी हूं।
(4) आपको मेरे पत्र की इतनी प्रतीक्षा करनी पड़ी, इसके लिए मुझे हार्दिक खेद है।
(5) यह पढ़कर अत्यंत दु:ख हुआ कि… ।
महत्वपूर्ण लेख :
(1) शेष शुभ।
(2) पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में।
(3) कष्ट के लिए क्षमा करें।
(4) कृपा के लिए धन्यवाद।
(5) धन्यवाद सहित।
(6) योग्य सेवा के लिए सूचित करें।
(7) विशेष कृपा बनाए रखें।
(8) बड़ों को सादर प्रणाम और सभी छोटों को प्यार-आशीर्वाद ।
आपकी चचेरी दीदी कॉलेज में दाखिला लेना चाहती हैं, किंतु आपके चाचा जी आगे की पढ़ाई न करवाकर उनकी शादी करवाना चाहते हैं। इस बारे में अपने चाचा जी को समझाते हुए लगभग 120 शब्दों में एक पत्र लिखिए।
उत्तर –
देवास,
मध्यप्रदेश
दिनांक – 05/10/2025
आदरणीय चाचा जी,
सादर प्रणाम।
आशा है आप कुशलपूर्वक होंगे। मुझे आज ही पता चला है कि आप दीदी की आगे की पढ़ाई न करवाकर उनकी शादी करवाना चाहते हैं। चाचा जी हम सब जानते है कि दीदी पढ़ने लिखने में बहुत मेधावी और तेज है। वह अपने विद्यालय के सभी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त की है और वह कॉलेज में दाखिला लेकर आगे पढ़ लिखकर कुछ बनना चाहती है। फिर भी आप उनकी शादी इतनी जल्दी करवाना चाहते है। चाचा जी आजकल लड़कियां किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है। पत्रकारिता, बिजनेस, डॉक्टरी, इंजीनियरिंग, साइंटिस्ट, हर क्षेत्र में लड़कियां अपना लोहा मनवा चुकी है।
अत: चाचा जी, मै आपसे अनुरोध करती हूं कि आप दीदी की अभी शादी न कराकर उन्हें अपनी पढ़ाई जारी रखने का अवसर प्रदान करें। मुझे यकीन है कि दीदी आपका नाम जरूर रोशन करेंगी। यह दीदी के लिए भी बहुत अच्छा होगा।
आपकी प्यारी भांजी
क.ख.ग.
करियर संबंधी महत्वपूर्ण लेख :
उतर –
साकेत
दिल्ली।
दिनांक 10/10/2025
आदरणीय मामाजी,
सादर प्रणाम।
आज ही आपका स्नेहपूर्ण पत्र मिला। यह जानकार अत्यंत हर्ष हुआ कि आप स्वस्थ और आनंदपूर्वक हैं तथा प्रिय भाई आकाश त्रैमासिक परीक्षा में प्रथम रहा है।
मामाजी, पत्र के साथ ही मेरे जन्मदिवस के उपलक्ष्य में आपके द्वारा उपहार स्वरूप घड़ी भी प्राप्त हो गई है। वस्तुत: घड़ी की मुझे अत्यंत आवश्यकता भी थी। इधर परीक्षा के दिन निकट आ रहे हैं। उधर मुझे समय का ठीक ज्ञान न होने से विद्यालय पहुंचने में विलंब हो जाता था। गुरुजी की डांट भी सहनी पड़ती थी।
अब घड़ी के रहने पर मैं विद्यालय में समय पर पहुंच जाऊंगा। अन्य कार्य भी निर्धारित समय पर हो सकेंगे।
ऐसा उपयुक्त और सुन्दर उपहार भेजने के लिए मैं आपका अत्यंत आभारी हूं और आपको हार्दिक धन्यवाद देता हूं। विश्वास है कि सदैव आप अपने स्नेहपूर्ण आशीर्वाद से कृतार्थ करते रहेंगे। मेरी ओर से पूज्य मामाजी को प्रणाम कहें।
आपका प्रिय भांजा
मनोज कुमार
करियर संबंधी महत्वपूर्ण लेख :
उतर –
अ. ब. स. विद्यालय
छात्रावास, अक्षरधाम।
दिनांक – 22/9/2025
आदरणीय पिताजी,
सादर प्रणाम।
मैं यहां कुशल हूं। आशा करता हूं आप भी कुशल होंगे। पिताजी, आपने समाचार पत्रों में पढ़ा ही होगा कि आजकल यमुना नदी में भयंकर बाढ़ आई हुई है। बाढ़ के कारण पचासों गांव जलमग्न हो गए है। अनेक मनुष्य और पशु बाढ़ में घिर कर नष्ट हो गए हैं। इस भयंकर बाढ़ के कारण गांवों के लोग कुछ तो बचकर बाहर आ गए हैं और कुछ पक्के घरों की छतों पर या कुछ ऊंचे पेड़ों पर ही शरण लिए हुए है। उनकी स्थिति प्रतिदिन बिगड़ती ही जा रही है।
इन बाढ़ पीड़ितों की सेवा के लिए शिक्षा विभाग की ओर से नरेला में शिविर लगा हुआ है। हमारे विद्यालय के पांच अध्यापकों की देखरेख में बीस छात्र सेवा के लिए वहां जाने वाले हैं। मेरा भी नाम उनमें है। मेरी स्वयं की इच्छा भी पीड़ित लोगों की सेवा करने की है।
अत: आपसे अनुरोध है कि आप मानवता की सेवा के इस पुण्य कार्य के लिए मुझे वहां जाने की तुरंत ही अनुमति देकर कृतार्थ करें।
आपका आज्ञाकारी पुत्र
गिरीश
इन्हें भी देखें-
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