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पर्यावरण दिवस पर निबंध (Essay on Environment Day in hindi) - विश्व पर्यावरण दिवस (डब्ल्यूईडी) हमारे पर्यावरण के संरक्षण तथा संवर्धन के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 5 जून को मनाया जाता है। पर्यावरण दिवस पर निबंध हिंदी में पूछे जाने वाले प्रश्नों में सामान्य प्रश्न है। पर्यावरण दिवस पर निबंध (Environment Day Essay in hindi) लिखना जितना आसान है उतना ही चुनौतीपूर्ण भी है, क्योंकि इसका विषय इतना व्यापक है कि कम शब्दों में समेटना गागर में सागर जैसा है। स्टूडेंट्स की सुविधा के लिए पर्यावरण दिवस पर निबंध (Essay on Environment Day hindi) को अधिक प्रभावी तथा सुव्यवस्थित करने में इस लेख को तैयार किया गया है ताकि परीक्षा या किसी प्रतिस्पर्धा से पहले इस विषय पर तैयारी में मदद मिले।
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विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को दुनिया भर के 100 से ज़्यादा देशों में मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण की मौजूदा स्थितियों के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाना है। इस दिन लोग मिलकर अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम करते हैं। हर साल, किसी खास थीम या पर्यावरण संबंधी मुद्दे पर प्रकाश डाला जाता है और प्रतिभागी इसे संबोधित करने के लिए कार्रवाई करने की प्रतिबद्धता जताते हैं। यहाँ ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ विषय पर कुछ नमूना निबंध दिए गए हैं।
इससे विभिन्न स्तर पर आयोजित किए जाने वाले पर्यावरण दिवस पर निबंध (Environment Day Essay hindi) प्रतियोगिता या फिर विद्यालय में पर्यावरण दिवस से संबंधित होमवर्क को पूरा करने में भी इससे सहायता होगी। पर्यावरण दिवस पर निबंध पीडीएफ़ के तौर पर इस लेख को डाउनलोड भी कर सकते हैं, ताकि आपको भविष्य में संदर्भ के तौर पर इसकी मदद ली जा सके। चूंकि पर्यावरण दिवस पर लेख (Essay on Environment Day in hindi) लिखना काफी कठिन है क्योंकि यह विषय काफी व्यापक है। ऐसे में पर्यावरण पर निबंध (Essay on Environment Day in hindi) के इस लेख में हम उन सभी पहलुओं का समायोजन करने का प्रयास कर रहें है, जो इस विषय के लिए महत्वपूर्ण हैं।
पर्यावरण पर निबंध (paryavaran diwas par nibandh) का यह लेख उन सभी छात्रों के लिए लाभदायक होगा जो पर्यावरण दिवस पर निबंध हिंदी में (environment day essay in hindi) लिखना चाहते हैं या इस विषय के प्रति अपनी जानकारी में बढ़ोतरी करना चाहते है। इस लेख में दिए गए पर्यावरण दिवस पर निबंध के माध्यम से छात्रों को पर्यावरण दिवस जैसे विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी। पर्यावरण दिवस पर हिंदी में निबंध (Essay on Environment Day in hindi) विशेष इस लेख के माध्यम से छात्र निबंध लिखने की कला सिख पाएंगे। इसके साथ ही ऐसे स्कूल में अध्ययनरत छात्रों को भी इस लेख से मदद मिलेगी जो विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध हिन्दी में (Essay on Environment Day in hindi) लिखने में किसी प्रकार का संदर्भ या सहायता की तलाश कर रहे हैं।
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इस प्रश्न ने स्वतः में बहुत से तत्वों का समावेश कर रखा है। मूलतः पर्यावरण हमारे आस-पास का परिवेश है, जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है। सरल शब्दों में कहें तो सभी तत्व तथा परिस्थितियां जो प्राकृतिक तौर पर हमारे चारों ओर मौजूद हैं पर्यावरण (Environment) कहलाती हैं। पर्यावरण (Environment) को विभिन्न विषयों में प्राकृतिक वास, जनसंख्या पारिस्थितिकी एवं जीवमंडल जैसी शब्दावली से जाना जाता है। पर्यावरण शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – परि और आवरण। परि का तात्पर्य है 'हमारे चारों ओर' तथा आवरण का अर्थ है 'परिवेश'। अर्थात हमारे चारों ओर पृथ्वी पर फैली प्रत्येक वस्तु हमारे पर्यावरण (Environment) का हिस्सा है। यह मूलतः मौलिक और जैविक तत्वों के पारस्परिक संबंध से बना है। पर्यावरण (Environment) के मौलिक तत्वों में स्थान, भू आकृतियाँ, जलाशय, जलवायु, जलअपवाह, शैल, मृदा, खनिज संपत्ति आदि सम्मिलित है, जबकि जैविक तत्व में मानव, पशु, पक्षी एवं वनस्पति सम्मिलित हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस हमारे सामने आने वाली पर्यावरणीय चुनौतियों, जैसे जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और जैव विविधता के नुकसान के बारे में जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसी के मद्देनजर हर साल 5 जून को दुनिया भर में कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस का उद्देश्य व्यक्तियों, समुदायों और सरकारों को कार्रवाई करने और अधिक टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रेरित करना रहता है।
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पर्यावरण दिवस - हमारी पृथ्वी जो हमारा घर है, जहां हम मनुष्य, पशु-पक्षी, पौधे निवास करते हैं, इसके ही पर्यावरण के संरक्षण के लिए विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) हर साल 5 जून को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत साल 1972 में मानव पर्यावरण पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन के दौरान हुई थी। पहला विश्व पर्यावरण दिवस (Environment Day) 5 जून, 1974 को “केवल एक पृथ्वी” (Only One Earth) स्लोगन/थीम के साथ मनाया गया था। जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने भी भाग लिया था। इसी सम्मलेन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की भी स्थापना की गई थी। इस विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) को मनाने का उद्देश्य विश्व के लोगों के भीतर पर्यावरण (Environment) के प्रति जागरूकता लाना तथा साथ ही प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करना भी है। इसी विषय पर विचार करते हुए 19 नवंबर, 1986 को पर्यवरण संरक्षण अधिनियम लागू किया गया तथा 1987 से हर वर्ष पर्यावरण दिवस की मेजबानी करने के लिए अलग-अलग देश को चुना गया। साल 2021 में पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के सहयोग से विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) की मेजबानी “पारिस्थितिकी तंत्र का पुनर्निर्माण” विषय के साथ की थी।
पारिस्थितिकी तंत्र का पुनर्निर्माण विषय के साथ साल 2021 से साल 2030 तक संयुक्त राष्ट्र दशक की घोषणा भी की गई थी, जिसका उद्देश्य हमारे पर्यावरण (Environment) को हुई क्षति की भरपाई करना हैं। चाहे वह जंगल हो, पहाड़ हो, मरुभूमि या सागर हो, प्रत्येक का पुनर्निर्माण करना इस दशक का उद्देश्य रखा गया।
हाल के दिनों में जिस तरह से गर्मी और तापमान बढ्ता जा रहा है, पर्यावरण दिवस का महत्व भी बढ़ रहा है। 2024 में भारत की राजधानी दिल्ली में 29 मई को पारा रिकॉर्ड 52.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। इसने देश में सर्वाधिक गर्म दिन का रिकॉर्ड बनाया। हालांकि मौसम विभाग का कहना था कि पारा मापने की मशीन में कुछ गड़बड़ी के चलते ऐसा हुआ है। इससे पहले राजस्थान केफलौदी में 2016 में तापमान 51 डिग्री सेल्सियस था जो देश में अब तक का सबसे ऊंचा तापमान था। इसी तरह देश के अन्य राज्यों यूपी, बिहार, पंजाब, राजस्थान में भी भीषण गर्मी ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी हैऔर ऐसे में लोगों को पर्यावरण का महत्व समझ में आ रहा है। पर्यावरण में असंतुलन ने लोगों के जनजीवन पर गहरा प्रभाव डाला है।
इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस 2024 का विषय या थीम भूमि पुनर्स्थापन मरुस्थलीकरण और सूखा लचीलापन (Land restoration, desertification and drought resilience) है। मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के अनुसार, दुनिया की लगभग 40 प्रतिशत भूमि वर्तमान में क्षरण के दायरे में है, जो सीधे दुनिया के आधे निवासियों को प्रभावित कर रही है और दुनिया के लगभग 50 प्रतिशत आर्थिक उत्पादन के लिए एक बड़ा खतरा पैदा कर रही है, जो लगभग 44 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर है। 2000 के बाद से सूखे की आवृत्ति और लंबाई में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। त्वरित हस्तक्षेप के बिना, सूखा 2050 तक वैश्विक आबादी के तीन-चौथाई से अधिक की आजीविका को खतरे में डाल सकता है।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) और सऊदी अरब ने घोषणा की कि भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखे के लचीलेपन पर ध्यान देने के साथ सऊदी अरब विश्व पर्यावरण दिवस 2024 की मेजबानी करेगा। विश्व पर्यावरण दिवस प्रतिवर्ष 5 जून को मनाया जाता है और पिछले पांच दशकों में यह दिन पर्यावरण जागरूकता के लिए सबसे बड़े वैश्विक मंचों में से एक बन गया है। पृथ्वी के संसाधनों का दोहन करने के कारण होने वाली क्षति को रोकने और पृथ्वी को बचाने के लिए इस साल विश्व पर्यावरण दिवस पर जागरूकता को लेकर चल रही तैयारियों में कई मुद्दों और आ रही परेशानी पर समाधान को लेकर चर्चाएं हो रही है। इन्हीं में एक है प्रैक्टिकल गाइड, जिसे छात्र पर्यावरण दिवस पर हो रही गतिविधियों के लिए बने लिंक https://www.worldenvironmentday.global/2024-updates# पर देख सकते हैं। इनवायरनमेंट डे प्रैक्टिकल गाइड पीडीएफ देखने के लिए नीचे दिए फोटो लिंक पर क्लिक करें।
विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) की शुरुआत: मानव द्वारा अपने हित के लिए लगातार पृथ्वी के संसाधनों का दोहन करने के कारण होने वाली क्षति को रोकने और पृथ्वी को बचाने के लिए पर्यावरण दिवस (Environment Day) की शुरुआत की गई। मानव ने पिछले 200 वर्षो में अपनी उन्नति और प्रगति के नाम पर प्रकृति का जो शोषण किया है, उसी का परिणाम है जो आज हम अपने पर्यावरण में परिवर्तन देख रहें है। यदि इस पर अब भी दृढ़ता के साथ विचार नहीं किया गया, तो आने वाले समय में हमें इसके भयंकर परिणाम भुगतने होंगे। इस विषय को लेकर विश्व में जागरूकता और पर्यावरण संरक्षण करने के लिए हर वर्ष 5 जून को वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे यानी अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है।
पर्यावरण दिवस (Environment Day) विषय की गंभीरता - मानव ने हमेशा अपने विकास के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने का प्रयास किया है, इसके लिए विश्व के सभी देश अपनी प्रगति के लिए प्रकृति के संसाधनों का वहन कर रहें है, जिसका परिणाम है कि प्रदूषण का स्तर काफी तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। हम अपनी सुख-सुविधा के लिए अधिकाधिक पेट्रोलियम जैसे पदार्थो का उपयोग करते हैं, घर को वातानुकूलित रखने के लिए ए.सी का उपयोग करते हैं तथा साथ ही कारखानों से निकलने वाले जैविक पदार्थ जो सुविधा के अनुसार कहीं भी छोड़ दिए जाते हैं, प्रदूषण को बढ़ावा देने में अपना योगदान दे रहें हैं, जिससे पृथ्वी का बुखार (तापमान) लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में यदि इसे अभी भी कम न किया गया, तो मानव सभ्यता को नष्ट होने में अधिक समय नहीं लगेगा। इस प्रदूषण का भयानक परिणाम यह हो सकता है कि इस पृथ्वी पर जीवन की परिकल्पना करना भी असंभव हो जाएगा।
सौजन्य:- NCERT
इस विषय की गंभीरता बेहद चिंताजनक है, यदि इस पर अभी भी गंभीरता से विचार नहीं किया गया, तो मानव-जाति का पृथ्वी पर जीवित रहना ही मुश्किल हो जायेगा। ग्लोबल वार्मिंग के कारण लगातार ग्लेसियर पिघल रहे हैं जिसकी वजह से समुद्र में जल का स्तर बढ़ रहा है, यदि ऐसे ही चलता रहा तो कुछ समय पश्चात् धरती के ज्यादातर शहर जलमग्न हो जाएगा। इस पर किसी कवि की लिखी गई यह पंक्तियाँ सच साबित होती नजर आती है (कविता NCERT से ली गई है) -
प्रक्रति ने अच्छा दृश्य रचा
इसका उपभोग करें मानव
प्रक्रति के नियमों का उल्लंघन करके
हम क्यों बन रहें है दानव
ऊँचें वृक्ष घने जंगल ये
सब है प्रकृति के वरदान
इसे नष्ट करने के लिए
तत्पर खड़ा है क्यों इंसान
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पर्यावरण प्रदूषण पर अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन - पर्यावरण प्रदूषण के संबंध में विश्व की चिंता 20वीं सदी में बढ़ गई। 30 जुलाई 1968 को मानव द्वारा उत्पन्न पर्यावरण की समस्या विषय पर संयुक्त राष्ट्र की सामाजिक और आर्थिक परिषद् ने एक प्रस्ताव पारित किया तथा एक सम्मलेन का आयोजन किया गया, जिसमें कहा गया, “आधुनिक वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास के परिप्रेक्ष्य में मानव तथा उसके पर्यावरण के मध्य संबंधो में विकट परिवर्तन हुआ है।" सामान्य सभा ने इसमें संज्ञानता प्रकट की तथा कहा कि वैज्ञानिकों तथा तकनीकी विकास ने असीमित अवसरों को जन्म दिया है, यदि इन अवसरों का प्रयोग नियंत्रित रूप से नहीं किया गया, तो हमें भयंकर समस्याओं का समाना करना पड़ सकता है। इस सम्मलेन में संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण प्रदूषण, जल प्रदूषण, क्षरण तथा भूमि के विनिष्टीकरण के अन्य प्रारूप, ध्वनि प्रदूषण, अपशिष्ट तथा कीटनाशकों के प्रभाव पर भी विचार किया।
मानव पर्यावरण स्कॉटहोम सम्मलेन - इस सम्मलेन का उद्देश्य विश्वव्यापी पर्यावरण के संरक्षण की समस्या का निदान तथा सुधार करना था। पर्यावरण के संरक्षण के संदर्भ में विश्वव्यापी स्तर का यह पहला प्रयास था। इसी सम्मलेन में 119 देशों ने ‘एक ही पृथ्वी’ का सिद्धांत को अपनाया था तथा इसी सम्मलेन से वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे यानि कि विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत हुई थी।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम - 19 नवंबर 1986 को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू हुआ। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं -
पर्यावरण की गुणवत्ता के संरक्षण हेतु सभी महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे।
पर्यावरण प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण और उपशमन हेतु राष्ट्रव्यापी योजनाएं बनाना और उनका क्रियान्वयन करना।
पर्यावरण की गुणवत्ता के मानक का निर्धारण करना।
पेरिस जलवायु समझौता - इस समझौते का प्रस्ताव वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप-21) के दौरान, 196 पक्षों की ओर से 12 दिसंबर को पारित किया गया था। 4 नवंबर 2016 को यह समझौता लागू हो गया था। पेरिस समझौते का उद्देश्य औद्योगिक काल के पूर्व के स्तर की तुलना में वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 2 डिग्री सेल्सियस से कम रखना है और 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिये विशेष प्रयास करना है। तापमान संबंधी इस दीर्घकालीन लक्ष्य को पाने के लिये देशों का लक्ष्य, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के उच्चतम स्तर पर जल्द से जल्द पहुँचना है ताकि उसके बाद, वैश्विक स्तर में कमी लाने की प्रक्रिया शुरू की जा सके। इसके जरिए 21वीं सदी के मध्य तक कार्बन तटस्थता (नेट कार्बन उत्सर्जन शून्य) हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है।
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भारतीय पर्यावरण दिवस या फिर कहें तो भारत में पर्यावरण दिवस का साल 2021 का विषय “बेहतर पर्यावरण के लिए जैव ईधन को बढ़ावा देना है, इसके लिए भारत सरकार ने पूरे देश में इथेनाल के उत्पादन और वितरण के लिए E-100 नामक प्रमुख योजना की शुरुआत की हैं। सरकार E-20 अधिसूचना जारी कर रही है जो तेल कंपनियों को 1 अप्रैल, 2023 से 20% इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल और इथेनॉल मिश्रण E12 तथा E15 को BIS विनिर्देशों के आधार पर बेचने की अनुमति प्रदान करेगी।
इसके अलावा भारत सरकार ने राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम की शुरुआत की है जिसके अंतर्गत पूरे देश में वनों के आस-पास के क्षेत्र में पुनर्वास तथा वन रोपण का कार्य युद्ध स्तर पर किया जाएगा।
हरित भारत राष्ट्रीय मिशन, जलवायु परिवर्तन के लिए कार्य योजना है, जिसमे जलवायु परिवर्तन को जलवायु अनुकूलन में परिवर्तित करना तथा इसकी शमन रणनीति के रूप में अधिक से अधिक वृक्षों को लगाना हैं ।
राष्ट्रिय जैव विविधता कार्य योजना के अंतर्गत प्राकृतिक आवासों के क्षरण तथा हानि में कमी लाने के लिए नीतियों का कार्यान्वयन करना है।
यूज़ एंड थ्रो की प्रक्रिया को छोड़कर रिसायकल की प्रक्रिया को अपनाया जाना चाहिए
वर्षा जल-संचयन प्रणाली का उपयोग किया जाना चाहिए
जैविक खाद का उपयोग किया जाना चाहिए
जहाँ भी संभव हो पेड़-पौधे लगाएं और उनका संरक्षण करें
अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ रखें
प्लास्टिक का उपयोग न करें
वायुमंडल में कार्बन की मात्रा को कम करने के लिए सौर उर्जा का अधिक से अधिक प्रयोग करें
जल का संतुलित प्रयोग करें
तीन आर अर्थात रीसायकल, रिड्यूस और रियूज़ के सिद्धांत का पालन करें
निष्कर्ष - यह पृथ्वी सिर्फ हमारा घर ही नहीं, बल्कि हमारी माता भी है, इसके शोषण और दोहन को रोकना हमारा कर्तव्य है। यदि अभी भी इसे नहीं रोका गया, तो इसका परिणाम स्वयं मानव जाति को ही भोगने होंगे। पर्यवरण दिवस मनाने का उद्देश्य यह है कि हम प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें तथा उतना ही उपयोग करें जितना हमारे लिए आवश्यक है। साथ ही अपनी अस्मिता के साथ साथ इस धरती पर रहने वाले सभी जीवों की अस्मिता का आदर करें तथा पर्यवरण को संरक्षित करने का प्रयास करें।
महत्वपपूर्ण लेख:
विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा वर्ष 1973 में की गई थी और यह अब तक जारी है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाना है। विश्व पर्यावरण दिवस के जश्न में दुनिया भर के 100 से अधिक देश शामिल होते हैं।
रामदेव मिश्रा एक भारतीय वनस्पतिशास्त्री और पारिस्थितिकीविद् थे जिन्हें 'भारत में पारिस्थितिकी के जनक' के रूप में जाना जाता है। 1940 के दशक से 5 दशकों तक अपने शोध के माध्यम से, उन्होंने मध्य भारत के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में कृषि वानिकी, आदिवासी कृषि और जैव विविधता संरक्षण के लिए पारिस्थितिक सिद्धांतों को लागू करने में अग्रणी भूमिका निभाई। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में पारिस्थितिकी अनुसंधान केंद्र की स्थापना की और पौधों के उत्तराधिकार, मृदा अपरदन, आवास बहाली पर महत्वपूर्ण अध्ययन किए। उन्होंने बड़े पैमाने पर प्रकाशन किया और छात्रों की कई पीढ़ियों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने कमजोर शुष्क क्षेत्रों के स्थायी प्रबंधन के लिए पारंपरिक पारिस्थितिक ज्ञान को आधुनिक विज्ञान के साथ एकीकृत करने की वकालत की।
पर्यावरण और पारिस्थितिकी के जनक अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट को माना जाता है। अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट को 18वीं शताब्दी के अंत में अपने प्रसिद्ध अन्वेषणों और लेखन के माध्यम से आधुनिक पर्यावरण विज्ञान की नींव रखने में उनके जबरदस्त योगदान के कारण पर्यावरण के पिता के रूप में जाना जाता है।
पर्यावरण विषय को 6 थीम में बाँटा गया है। वे हैं : थीम 1: परिवार एवं मित्र, जिसकी चार उपथीम हैं - (1.1) आपसी संबंध, (1.2) काम और खेल, (1.3) जानवर और (1.4) पौधे ।
अन्य थीमें हैं - ( 2 ) भोजन; ( 3 ) पानी ; ( 4 ) आवास ; ( 5 ) यात्रा और (6) हम चीजें कैसे बनाते हैं।
1972, स्वीडन | मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम सम्मेलन
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम सम्मेलन के पहले दिन को चिह्नित करते हुए 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाना शुरू किया।
पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1972 के स्टॉकहोम सम्मेलन के बाद 1973 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा की गई थी। इस दिवस को मनाने के ज़रिए पर्यावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता में कमी जैसी गंभीर समस्याओं पर वैश्विक चर्चा को बढ़ावा दिया जाता है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर साल इसके लिए एक अलग विषय चुना जाता है, जो किसी खास पर्यावरणीय चुनौती पर फोकस करता है। इस साल के विषय हमारी धरती, हमारा भविष्य के ज़रिए भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखा सहनशीलता पर जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जा रहा है।
विश्व पर्यावरण दिवस एक वैश्विक आंदोलन है जो दुनिया भर के नागरिकों को हमारे ग्रह की रक्षा और संरक्षण के लिए कार्रवाई करने के लिए एकजुट करता है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1974 में शुरू किया गया यह वार्षिक कार्यक्रम हम सभी को यह समझने में मदद करता है कि हमारे कार्य हमारे पर्यावरण को स्वस्थ और स्वच्छ बनाने में कैसे मदद कर सकते हैं।
इस खास दिन पर बदलाव लाने में आप कई तरह से मदद कर सकते हैं। सफाई कार्यक्रमों का आयोजन या उनमें हिस्सा लेना, पेड़ लगाना, या अपने समुदाय या परिवार को ऊर्जा का उपयोग कम करने और पानी बचाने के लिए प्रोत्साहित करना - संभावनाएं अनंत हैं। आप दान देकर या उनके साथ स्वयंसेवा करके पर्यावरण संगठनों का समर्थन भी कर सकते हैं। ये छोटे-छोटे कदम उठाने से हम एक स्वस्थ ग्रह बनाने के करीब पहुंचेंगे।
छात्र इस लेख की मदद से पर्यावरण दिवस पर निबंध लिखना सीख भी सकते हैं और पर्यावरण दिवस पर निबंध pdf भी डाउनलोड कर सकते हैं।
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध लिखने की कला सिखने के लिए आप इस लेख की सहायता ले सकते हैं, पर्यावरण दिवस की महत्वपूर्ण जानकारी इस लेख में उपलब्ध हैं।
वह सभी मौलिक तत्व और परिस्थितियां जो हमारे चारों ओर विद्यमान हैं वही हमारा पर्यावरण है।
पर्यावरण का वर्गीकरण चार प्रकार से किया गया है -
भौतिक पर्यावरण
सांस्कृतिक पर्यावरण
जैविक पर्यावरण
संज्ञात पर्यावरण
पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया जाता है।
पहली बार पर्यावरण दिवस 5 जून, 1974 को मनाया गया था।
पहले पर्यावरण दिवस का विषय “केवल एक पृथ्वी” था।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 19 नवंबर, 1986 को लागू किया गया।
पर्यावरण दिवस 2021 का विषय “पारिस्थितिकी तंत्र का पुननिर्माण” था।
Admit Card Date:04 October,2024 - 29 November,2024
Admit Card Date:04 October,2024 - 29 November,2024
Application Date:07 October,2024 - 22 November,2024
Application Correction Date:08 October,2024 - 27 November,2024
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