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दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) - हमारे देश की संस्कृति में पर्व-त्योहारों का काफी महत्व है। हर त्योहार समाज और परिवार की मजबूती को दर्शाने का एक प्रतीक है। शारदीय नवरात्र इन्हीं में से सबसे मुख्य त्योहारों में एक है। नवरात्र के दसवें दिन मनाया जाना वाला विजयादशमी का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। विजयादशमी दशहरा सभी के सुख की कामना करने वाली और सबकी आस्थाओं को समान आदर-सम्मान देने और वसुधैव कुटुंबकम् की भावना रखने वाली भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण भाग है। इस दिन पाप और बुराई के दो प्रतीक महिषासुर और रावण का अंत मां दुर्गा और भगवान राम ने किया था। दुष्ट राक्षसों से मुक्ति पाने की याद में दशहरा या विजयादशमी हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक मुख्य त्योहार है। दशहरा कब मनाया जाता है, दशहरा क्यों मनाया जाता है, इस वर्ष दशहरा कब है, दशहरा का महत्व क्या है जैसे पहलुओं से छात्रों को अवगत कराने और भारतीय सभ्यता और संस्कृति को समझने का यह उपयोगी माध्यम है। दशहरा पर निबंध (Dashhara par nibandh) के हमारे प्रयास से आपको दशहरा पर्व के बारे में काफी कुछ जानने को मिलेगा।
दुर्गा पूजा पर निबंध (Durga Puja Essay in hindi) | पीएम इंटर्नशिप योजना
दशहरा भारत के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इसी दिन भगवान राम ने बुराई के प्रतीक दस सिर वाले राक्षस रावण का संहार किया था तो देवताओं को हराकर स्वर्ग पर अधिकार कर पाप कर्म को बढ़ाने वाले महिषासुर का 10 दिन तक चले भयंकर युद्ध के बाद मां दुर्गा ने वध किया। साल 2024 में विजयदशमी यानी दशहरे का त्योहार 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा। दशहरा सबसे लंबे दिनों तक चलने वाले भारतीय त्योहारों में से एक है।
साल 2024 में विजयदशमी यानी दशहरे का त्योहार 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा। शारदीय नवरात्र 3 अक्टूबर से 12 अक्टूबर तक है। ज्योतिषियों के अनुसार दशमी तिथि 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर आरंभ होगी और 13 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 8 मिनट पर समाप्त होगी। नवमी तिथि 11 अक्टूबर को मनाई जाएगी। दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन करना शुभ माना जाता है।
पूरे देश में लोग बड़े उत्साह और प्रेम के साथ दशहरा यानी विजयदशमी मनाते हैं। दशहरा (Dussehra) को भारत के कई प्रांतों में विजयदशमी के रूप में भी जाना जाता है। दशहरा का पावन अवसर सभी के लिए खुशियाँ मनाने का समय होता है। छात्रों को इस त्योहार का पूरा आनंद लेने के लिए अपने स्कूलों तथा कॉलेजों में छुट्टियां भी मिलती हैं, जिसका वे भरपूर आनंद उठाते हैं।
बच्चों को स्कूल में दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) लिखने को भी कहा जाता है, जिससे उनकी दशहरा के प्रति उत्सुकता बनी रहे और उन्हें दशहरा के बारे में सम्पूर्ण जानकारी भी मिले। इसके अलावा कभी-कभी छोटी कक्षा के छात्रों से परीक्षा में महत्वपूर्ण अंकों के लिए दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) लिखने का प्रश्न पूछ लिया जाता है। ऐसे में दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) लिखना व लिखने का तरीका जानना उनके लिए काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) के इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि लोग दशहरा कैसे और क्यों मनाते हैं, इसलिए हिंदी में दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) के इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें।
कई ऐसे छात्र भी होते हैं, जिनकी हिंदी भाषा पर पकड़ कमजोर होती है, ऐसे में उन्हें समझ नहीं आता है कि हिंदी में दशहरा पर निबंध कैसे लिखें या हिंदी में विजयदशमी पर निबंध कैसे लिखें। निम्नलिखित दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi), ऐसे छात्रों की इन सभी समस्याओं को दूर करेगा। हालांकि ऐसे छात्रों को इस लेख में उपलब्ध संपूर्ण दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) को पूरा कॉपी करने से बचना चाहिए। इसके बदले उन्हें दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) का अर्थ व इसे लिखने का तरीका समझने की कोशिश करनी चाहिए, जिससे भविष्य में कभी भी हिंदी में दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) लिखने में उन्हें परेशानी नहीं होगी, ऐसी हमें उम्मीद है।
महत्वपूर्ण लेख :
दशहरा दिवाली से दो या तीन सप्ताह पहले आता है। विजयदशमी का यह त्यौहार आमतौर पर प्रत्येक वर्ष सितंबर से अक्टूबर के आसपास मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह पर्व आश्विन मास में मनाया जाता है। सनातन/हिन्दू धर्म को मानने वाले सभी लोगों को दशहरा त्योहार का बेसब्री से इंतजार रहता है। दशहरा का त्यौहार सभी के लिए खुशी मनाने का क्षण लेकर आता है। परिवार के सभी लोग मिलकर पूजा के लिए तैयारी करते हैं और ढेर सारी खरीदारी करते हैं। साल 2024 में विजयदशमी 12 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
छात्र नीचे दिए गए दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra) की जांच कर सकते हैं और दशहरा/विजयदशमी त्योहार के बारे में अपने व्यक्तिगत अनुभव व्यक्त करने या साझा करने के लिए इस विषय पर कुछ पंक्तियां लिखने का प्रयास कर सकते हैं।
यहां बच्चों के लिए दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) दिया गया है, जिसे युवा स्वयं निबंध लिखते समय देख सकते हैं तथा अधिक जानकारी इकठ्ठा कर सकते हैं:
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दशहरा का अर्थ - दशहरा शब्द दो हिंदी शब्दों ‘दस' और 'हारा 'से मिलकर बना है, जहाँ 'दस' गणिता के अंक दस (10) और हारा शब्द 'सत्यानाश/पराजित' का सूचक है। इसलिए यदि इन दो शब्दों को जोड़ दिया जाए तो 'दशहरा' बनता है, जो उस दिन का प्रतीक है जब दस सिर वाले दुष्ट रावण का भगवान राम ने वध किया था।
बुराई पर अच्छाई की जीत - दशहरा को भारत के कुछ क्षेत्रों में विजयदशमी के रूप में भी जाना जाता है। यदि हम क्षेत्रीय और जातीय मतभेदों को अलग रखकर विचार करें, तो इस त्योहार के आयोजनों का एक ही मकसद है, बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देना।
दूसरे शब्दों में, यह त्योहार बुराई की शक्ति पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। हिंदू पौराणिक कथाओं पर नजर डालें, तो कहा जाता है कि इसी दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध कर दिया था। अन्य परंपराओं का यह भी मानना है कि भगवान राम ने दशहरा के दिन ही असुरों के महान राजा रावण से युद्ध किया था और उसे पराजित कर ये सिद्ध किया था कि बुराई कितनी भी प्रबल क्यों न हो, जीत हमेशा सच्चाई की ही होती है।
इससे हमें यह पता चलता है कि दोनों घटनाओं का परिणाम समान है, बुराई पर सच्चाई की जीत निश्चित है। जिसका परिणाम अंधकार पर प्रकाश, झूठ पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की हमेशा जीत होती है।
महत्वपूर्ण लेख :
दशहरा समारोह - पूरे देश में दशहरा का पर्व बड़े ही उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। भारत में विभिन्न संस्कृतियां होने के बावजूद, यह किसी भी तरह से इस त्योहार के उत्साह को प्रभावित नहीं करती है। दशहरा/विजयदशमी के पूरे त्योहार में सभी का उत्साह और जोश एक समान रहता है।
विजयदशमी के अवसर पर, भारत के राज्य पश्चिम बंगाल के निवासी बिजॉय दशमी मनाते हैं जो दुर्गा पूजा के दसवें दिन का प्रतीक है। इस दिन, देवी की मूर्तियों को नदी में विसर्जित करने के लिए जुलूस के साथ ले जाया जाता है और उसका विसर्जन किया जाता है। विवाहित महिलाएं एक-दूसरे के चेहरे पर इस दिन सिंदूर लगाती हैं, जबकि अन्य स्त्रियां बधाई का आदान-प्रदान करती हैं और एक दूसरे को दावत देती हैं। कुछ जगहों पर इसी दिन शस्त्र पूजा करने की भी परंपरा है।
ये एक धार्मिक और पारंपरिक उत्सव है जिसकी जानकारी प्रत्येक बच्चे को होनी चाहिये। ऐतिहासिक मान्यताओं और प्रसिद्ध हिन्दू धर्मग्रंथ रामायण में ऐसा उल्लेख किया गया है कि भगवान राम ने रावण को मारने के लिये देवी चंडी की पूजा की थी, जिसके बाद ही अमरता का वरदान प्राप्त कर चुके रावण वध करना संभव हो पाया था।
रामलीला का आयोजन - दशहरा राक्षसों और लंका के राजा रावण पर भगवान राम की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। लोग दशहरा को दस दिनों तक उनके बीच हुए युद्ध को नाटक के रूप में भी मनाते हैं। इस नाटकीय रूप को राम-लीला कहा जाता है। उत्तर भारत में लोग मुखौटे पहनकर और विभिन्न नृत्य रूपों के माध्यम से राम-लीला का आयोजन करते हैं, साथ ही इसका लुत्फ भी उठाते हैं। नई दिल्ली में रामलीला का जगह-जगह आयोजन होता है।
रावण दहन - रामायण में कथित छंद का पालन करते हुए, वे रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण जैसे तीन बड़े राक्षसों के विशाल आकार के पुतले बनाए जाते हैं। इसके बाद पुतलों को जलाने के लिए उनमे विस्फोटक पदार्थ भरा जाता है और जमकर आतिशबाजी की जाती है। इस दौरान एक आदमी भगवान राम की भूमिका निभाता है और जलाने के लिए पुतलों पर आग लगे हुए तीर चलाता है। लोग आमतौर पर किसी मुख्य अतिथि को भगवान राम की भूमिका निभाने और उस पुतले को जलाने के लिए आमंत्रित करते हैं। यह आयोजन हजारों दर्शकों के मौजूदगी में खुले मैदान में सुरक्षा को ध्यान में रख कर किया जाता है।
हर उम्र के लोग इस मेले का लुत्फ उठाने के लिए यहां उपस्थित होते हैं। बच्चे इस आयोजन का सबसे ज्यादा इंतजार करते हैं और अपने माता-पिता से आतिशबाजी को देखने के लिए ले जाने की जिद भी करते हैं। वे आतिशबाजी देखते हैं और आश्चर्यजनक दृश्यों का आनंद उठाते हैं।
दशहरा के पर्व का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। रावण दहन का यह कार्यक्रम लोगों को एकजुट करता है, क्योंकि इसके दर्शक न कि केवल हिंदू धर्म से बल्कि सभी धर्म के लोग होते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दशहरा हमें सिखाता है कि अच्छाई हमेशा बुराई को मात देती है और प्रकाश हमेशा अंधेरे पर विजय प्राप्त करता है।
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हम बाहर रावण का पुतला तो जलाकर ये बता देते हैं कि बुराई की हमेशा हार और सचाई की हमेशा जीत होती है, लेकिन अपने अंदर के बुराई को खत्म करने के बारे में नहीं सोचते। विजयादशमी बहुत ही शुभ और ऐतिहासिक पर्व है। लोगो को इस दिन अपने अंदर के रावण पर विजय प्राप्त कर खुशी के साथ यह पर्व मनाना चाहिए। वो सतयुग का दौर था जिसमें केवल एक रावण का अस्तित्व था जिसपर भगवान राम ने विजय प्राप्त की थी, पर यह तो कलयुग है जिसमे हर घर में रावण छुपा बैठा है। इतने रावण पर विजय प्राप्त करना आसान नहीं है। जिस प्रकार एक दीपक की रोशनी अंधकार का नाश करने के लिए काफी होती है, ठीक उसी प्रकार एक अच्छी विचारधारा वाली सोच ही काफी है अपने अंदर के रावण का नाश करने के लिए।
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दशहरा जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व के दिन भी कुछ असामाजिक तत्व के लोग शराब पीकर लोगों को परेशान करते हैं। कुछ गंदे मानसिकता वाले लोग भीड़ का फायदा उठाते हुए चोरी और छेड़-छाड़ जैसी शर्मनाक हरकत करते हैं। अगर समाज में दशहरा के दिन इन कुरीतियों को दूर रखा जाए, तो दशहरा का पर्व वास्तव में आनंदमय हो जाएगा।
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हिन्दू धर्मग्रंथ रामायण के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि देवी माँ दुर्गा को प्रसन्न करने और वर प्राप्ति के लिए भगवान श्री राम ने चंडी होम कराया था। दशहरा को दुर्गोत्सव भी कहा जाता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि युद्ध के दसवें दिन माता दुर्गा ने भी महिषासुर नामक दुष्ट असुर का वध किया था। विजयादशमी का पर्व लोगों के मन में नई ऊर्जा, बुराई पर अच्छाई की जीत की सीख, लोगों के मन में नई चाह और सकारात्मक ऊर्जा भी लेकर आता है। भगवान श्री राम ने रावण का अंत कर बुराई पर विजय प्राप्त की और माँ दुर्गा ने महिषासुर को मारकर बुराई का अंत किया। नौ दिन देवी माँ की पूजा अर्चना के बाद यह विजयादशमी आती है। इस दिन सबके घरों में पकवान आदि बनाए जाते है।
दशहरा पर निबंध 10 लाइन में जानने के लिए आप नीचे दिए गए बिंदुओं पर नजर डाल सकते हैं। यहाँ आपके लिए दशहरा निबंध 10 पर लाइन दिया गया है जो निश्चित तौर पर दशहरा पर निबंध (Dussehra Essay in hindi) लिखने के दृष्टिकोण से आपके लिए सहायक सिद्ध होंगे -
दशहरा हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है, जिसे लगभग 10 दिनों तक मनाया जाता है।
दशहरा का पर्व असुर सम्राट रावण पर भगवान राम की जीत का प्रतीक है।
संस्कृत में दशहरा शब्द का अर्थ है 10 बुराइयों से छुटकारा।
यह हिंदू धर्म में बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने वाले त्योहारों में से एक है।
दशहरा न केवल हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है, बल्कि देश के अन्य धर्मों जैसे मुस्लिम, ईसाई और सिखों द्वारा भी मनाया जाता है।
दशहरा को नवरात्रि उत्सव के रूप में भी जाना जाता है, जिसे भारतीय घरों में खुशी फैलाने के लिए मनाया जाता है।
राम-लीला रामायण का एक नाट्य रूपांतरण है जिसका आयोजन आमतौर पर विजयादशमी के दिन किया जाता है।
इस दिन रावण, कुंभकरण और मेघनाद जैसे असुरों के पुतले जलाए जाते हैं।
दस मुखों वाले रावण को जलाते वक्त जोरदार आतिशबाजी की जाती है।
दशहरा भारतीय उपमहाद्वीप में लंका के राजा रावण की बर्बर भूमिका के अंत का प्रतीक है।
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दशहरे के पर्व के अवसर पर लोग एक दूसरे को बधाई और शुभकामना संदेश प्रेषित करते हैं। इनको अपना दशहरा स्टेटस मैसेज भी बना सकते हैं। नीचे दिए गए दशहरा संदेश अपने इष्टमित्रों को भेज शुभकामनाएं दे सकते हैं-
हिंदी दिवस पर कविता | हिंदी दिवस पर निबंध | हिंदी दिवस पर भाषण
2025 में दशहरा धूमधाम से 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा। 2 अक्टूबर को गांधी जयंती भी मनाई जाती है। दशहरा की दशमी तिथि 1 अक्टूबर की शाम 7 बजे से लगेगी जो 2 अक्टूबर की शाम 7 बजकर 10 मिनट तक रहेगी।
दशहरा 2025 पूजा मुहूर्त (Dussehra 2025 Puja muhurat)
विजय मुहूर्त - दोपहर 02:09 बजे से दोपहर 02:56 बजे तक
अपराह्न पूजा का समय - दोपहर 01:21 बजे से 03:44 बजे तक
दशहरा श्रवण नक्षत्र मुहूर्त 2025 (Dussehra Shravana Nakshatra Muhurat 2025)
श्रवण नक्षत्र प्रारम्भ - 02 अक्टूबर 2025 को सुबह 09:13 बजे
श्रवण नक्षत्र समाप्त - 03 अक्टूबर 2025 को सुबह 09:34 बजे
उदयातिथि के अनुसार कलश स्थापना 3 अक्टूबर को की जाएगी।
पहला दिन : 3 अक्टूबर को नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि। गुरुवार को मां शैलपुत्री की पूजा।
दूसरा न : 4 अक्टूबर को नवरात्रि की द्वितीय तिथि। शुक्रवार को मां ब्रह्मचारिणी पूजा।
तीसरा दिन : 5 अक्टूबर को नवरात्रि की तृतीया तिथि। शनिवार को मां चंद्रघंटा पूजा।
चौथा दिन : 6 अक्टूबर को नवरात्रि की तृतीया तिथि रहेगी । दिन रविवार। चतुर्थी का संयोग रहेगा। मां चंद्रघंटा और गणेशजी की पूजा।
पांचवां दिन : 7 अक्टूबर को नवरात्रि की चतुर्थी तिथि। दिन सोमवार को मां कूष्मांडा पूजा।
छठा दिन : 8 अक्टूबर को नवरात्रि की पंचमी। मंगलवार को मां स्कंद पूजा।
सातवां दिन : 9 अक्टूबर को नवरात्रि की षष्ठि। दिन बुधवार को मां का कात्यायनी पूजा। सरस्वती आवाहन।
आठवां दिन : 10 अक्टूबर को नवरात्रि की सप्तमी। दिन गुरुवार को मां काल रात्रि पूजा। सरस्वती पूजा।
नौवां दिन : 11 अक्टूबर को नवरात्रि की अष्टमी दिन शुक्रवार को मां महागौरी पूजा। संधि पूजा सुबह 11:42 से दोपहर 12:30 के बीच। महानवमी भी इसी दिन।
दसवां दिन : 12 अक्टूबर को नवरात्रि की नवमी दिन शनिवार। मां महागौरी पूजा। संधि पूजा सुबह 11:42 से दोपहर 12:30 के बीच। महानवमी भी इसी दिन।
आयुध पूजा , दशहरा और विजया दशमी भी इसी दिन ।
Application Date:21 November,2024 - 20 December,2024
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Application Date:02 December,2024 - 16 December,2024
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