विजयदशमी अथवा दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra or Vijayadashmi in Hindi)
  • लेख
  • विजयदशमी अथवा दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra or Vijayadashmi in Hindi)

विजयदशमी अथवा दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra or Vijayadashmi in Hindi)

Switch toEnglish IconHindi Icon
Mithilesh KumarUpdated on 06 Oct 2025, 09:34 AM IST
Switch toEnglish IconHindi Icon

दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) - हमारे देश की संस्कृति में पर्व-त्योहारों का काफी महत्व है। हर त्योहार समाज और परिवार की मजबूती को दर्शाने का एक प्रतीक है। शारदीय नवरात्र इन्हीं में से सबसे मुख्य त्योहारों में एक है। नवरात्र के दसवें दिन मनाया जाना वाला विजयादशमी का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। विजयादशमी दशहरा सभी के सुख की कामना करने वाली और सबकी आस्थाओं को समान आदर-सम्मान देने और वसुधैव कुटुंबकम् की भावना रखने वाली भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण भाग है। इस दिन पाप और बुराई के दो प्रतीक महिषासुर और रावण का अंत मां दुर्गा और भगवान राम ने किया था। दुष्ट राक्षसों से मुक्ति पाने की याद में दशहरा या विजयादशमी हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक मुख्य त्योहार है। दशहरा कब मनाया जाता है, दशहरा क्यों मनाया जाता है, इस वर्ष दशहरा कब है, दशहरा का महत्व क्या है जैसे पहलुओं से छात्रों को अवगत कराने और भारतीय सभ्यता और संस्कृति को समझने का यह उपयोगी माध्यम है। दशहरा पर निबंध (Dashhara par nibandh) के हमारे प्रयास से आपको दशहरा पर्व के बारे में काफी कुछ जानने को मिलेगा।
दुर्गा पूजा पर निबंध (Durga Puja Essay in hindi)

विजयदशमी अथवा दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra or Vijayadashmi in Hindi)
दशहरा पर निबंध

दशहरा भारत के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इसी दिन भगवान राम ने बुराई के प्रतीक दस सिर वाले राक्षस रावण का संहार किया था तो देवताओं को हराकर स्वर्ग पर अधिकार कर पाप कर्म को बढ़ाने वाले महिषासुर का 10 दिन तक चले भयंकर युद्ध के बाद मां दुर्गा ने वध किया। साल 2025 में विजयदशमी यानी दशहरे का त्योहार 2 अक्टूबर को मनाया गया। दशहरा सबसे लंबे दिनों तक चलने वाले भारतीय त्योहारों में से एक है।

दशहरा पर निबंध: वर्ष 2025 में दशहरा कब है? (When is Dussehra in the year 2025?)

साल 2025 में विजयदशमी यानी दशहरे का त्योहार 2 अक्टूबर को मनाया गया। शारदीय नवरात्र 2025 में, दुर्गा पूजा 22 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर तक चला। दशहरा 2 अक्टूबर को मनाया गया। दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन करना शुभ माना जाता है।

पूरे देश में लोग बड़े उत्साह और प्रेम के साथ दशहरा यानी विजयदशमी मनाते हैं। दशहरा (Dussehra) को भारत के कई प्रांतों में विजयदशमी के रूप में भी जाना जाता है। दशहरा का पावन अवसर सभी के लिए खुशियाँ मनाने का समय होता है। छात्रों को इस त्योहार का पूरा आनंद लेने के लिए अपने स्कूलों तथा कॉलेजों में छुट्टियां भी मिलती हैं, जिसका वे भरपूर आनंद उठाते हैं।

बच्चों को स्कूल में दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) लिखने को भी कहा जाता है, जिससे उनकी दशहरा के प्रति उत्सुकता बनी रहे और उन्हें दशहरा के बारे में सम्पूर्ण जानकारी भी मिले। इसके अलावा कभी-कभी छोटी कक्षा के छात्रों से परीक्षा में महत्वपूर्ण अंकों के लिए दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) लिखने का प्रश्न पूछ लिया जाता है। ऐसे में दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) लिखना व लिखने का तरीका जानना उनके लिए काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) के इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि लोग दशहरा कैसे और क्यों मनाते हैं, इसलिए हिंदी में दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) के इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें।

कई ऐसे छात्र भी होते हैं, जिनकी हिंदी भाषा पर पकड़ कमजोर होती है, ऐसे में उन्हें समझ नहीं आता है कि हिंदी में दशहरा पर निबंध कैसे लिखें या हिंदी में विजयदशमी पर निबंध कैसे लिखें। निम्नलिखित दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi), ऐसे छात्रों की इन सभी समस्याओं को दूर करेगा। हालांकि ऐसे छात्रों को इस लेख में उपलब्ध संपूर्ण दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) को पूरा कॉपी करने से बचना चाहिए। इसके बदले उन्हें दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) का अर्थ व इसे लिखने का तरीका समझने की कोशिश करनी चाहिए, जिससे भविष्य में कभी भी हिंदी में दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) लिखने में उन्हें परेशानी नहीं होगी, ऐसी हमें उम्मीद है।

महत्वपूर्ण लेख :

प्रस्तावना (Introduction) - दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi)

दशहरा दिवाली से दो या तीन सप्ताह पहले आता है। विजयदशमी का यह त्यौहार आमतौर पर प्रत्येक वर्ष सितंबर से अक्टूबर के आसपास मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह पर्व आश्विन मास में मनाया जाता है। सनातन/हिन्दू धर्म को मानने वाले सभी लोगों को दशहरा त्योहार का बेसब्री से इंतजार रहता है। दशहरा का त्यौहार सभी के लिए खुशी मनाने का क्षण लेकर आता है। परिवार के सभी लोग मिलकर पूजा के लिए तैयारी करते हैं और ढेर सारी खरीदारी करते हैं। साल 2025 में विजयदशमी 2 अक्टूबर को मनाई गई।

छात्र नीचे दिए गए दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra) की जांच कर सकते हैं और दशहरा/विजयदशमी त्योहार के बारे में अपने व्यक्तिगत अनुभव व्यक्त करने या साझा करने के लिए इस विषय पर कुछ पंक्तियां लिखने का प्रयास कर सकते हैं।

यहां बच्चों के लिए दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) दिया गया है, जिसे युवा स्वयं निबंध लिखते समय देख सकते हैं तथा अधिक जानकारी इकठ्ठा कर सकते हैं:

अन्य लेख पढ़ें-

दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra)

दशहरा का अर्थ - दशहरा शब्द दो हिंदी शब्दों ‘दस' और 'हारा 'से मिलकर बना है, जहाँ 'दस' गणिता के अंक दस (10) और हारा शब्द 'सत्यानाश/पराजित' का सूचक है। इसलिए यदि इन दो शब्दों को जोड़ दिया जाए तो 'दशहरा' बनता है, जो उस दिन का प्रतीक है जब दस सिर वाले दुष्ट रावण का भगवान राम ने वध किया था।

बुराई पर अच्छाई की जीत - दशहरा को भारत के कुछ क्षेत्रों में विजयदशमी के रूप में भी जाना जाता है। यदि हम क्षेत्रीय और जातीय मतभेदों को अलग रखकर विचार करें, तो इस त्योहार के आयोजनों का एक ही मकसद है, बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देना।

दूसरे शब्दों में, यह त्योहार बुराई की शक्ति पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। हिंदू पौराणिक कथाओं पर नजर डालें, तो कहा जाता है कि इसी दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध कर दिया था। अन्य परंपराओं का यह भी मानना है कि भगवान राम ने दशहरा के दिन ही असुरों के महान राजा रावण से युद्ध किया था और उसे पराजित कर ये सिद्ध किया था कि बुराई कितनी भी प्रबल क्यों न हो, जीत हमेशा सच्चाई की ही होती है।

इससे हमें यह पता चलता है कि दोनों घटनाओं का परिणाम समान है, बुराई पर सच्चाई की जीत निश्चित है। जिसका परिणाम अंधकार पर प्रकाश, झूठ पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की हमेशा जीत होती है।

महत्वपूर्ण लेख :

दशहरा समारोह - पूरे देश में दशहरा का पर्व बड़े ही उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। भारत में विभिन्न संस्कृतियां होने के बावजूद, यह किसी भी तरह से इस त्योहार के उत्साह को प्रभावित नहीं करती है। दशहरा/विजयदशमी के पूरे त्योहार में सभी का उत्साह और जोश एक समान रहता है।

विजयदशमी के अवसर पर, भारत के राज्य पश्चिम बंगाल के निवासी बिजॉय दशमी मनाते हैं जो दुर्गा पूजा के दसवें दिन का प्रतीक है। इस दिन, देवी की मूर्तियों को नदी में विसर्जित करने के लिए जुलूस के साथ ले जाया जाता है और उसका विसर्जन किया जाता है। विवाहित महिलाएं एक-दूसरे के चेहरे पर इस दिन सिंदूर लगाती हैं, जबकि अन्य स्त्रियां बधाई का आदान-प्रदान करती हैं और एक दूसरे को दावत देती हैं। कुछ जगहों पर इसी दिन शस्त्र पूजा करने की भी परंपरा है।

ये एक धार्मिक और पारंपरिक उत्सव है जिसकी जानकारी प्रत्येक बच्चे को होनी चाहिये। ऐतिहासिक मान्यताओं और प्रसिद्ध हिन्दू धर्मग्रंथ रामायण में ऐसा उल्लेख किया गया है कि भगवान राम ने रावण को मारने के लिये देवी चंडी की पूजा की थी, जिसके बाद ही अमरता का वरदान प्राप्त कर चुके रावण वध करना संभव हो पाया था।

रामलीला का आयोजन - दशहरा राक्षसों और लंका के राजा रावण पर भगवान राम की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। लोग दशहरा को दस दिनों तक उनके बीच हुए युद्ध को नाटक के रूप में भी मनाते हैं। इस नाटकीय रूप को राम-लीला कहा जाता है। उत्तर भारत में लोग मुखौटे पहनकर और विभिन्न नृत्य रूपों के माध्यम से राम-लीला का आयोजन करते हैं, साथ ही इसका लुत्फ भी उठाते हैं। दिल्ली-एनसीआर के अलावा देश के अलग-अलग हिस्सों में दस दिनों तक रामलीला का मंचन होता है। इसमें बड़ी संख्या में दर्शक जुटते हैं। पंजाब, हरियाणा, यूपी, एमपी आदि में जगह-जगह रामलीला ग्राउंड बने हुए हैं। इस दौरान पूजा पंडालों की ओर से बच्चों के लिए पेंटिंग प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता, भाषण और क्विज जैसे आयोजन होते हैं। यह बच्चों को प्रतिभा प्रदर्शित करने का मंच होता है, जिसमें विजयी बच्चों को तरह-तरह के पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं।

रावण दहन - दशहरा के दिन रावण दहन का भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। रामायण में कथित छंद का पालन करते हुए, वे रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण जैसे तीन बड़े राक्षसों के विशाल आकार के पुतले बनाए जाते हैं। इसके बाद पुतलों को जलाने के लिए उनमे विस्फोटक पदार्थ भरा जाता है और जमकर आतिशबाजी की जाती है। इस दौरान एक आदमी भगवान राम की भूमिका निभाता है और जलाने के लिए पुतलों पर आग लगे हुए तीर चलाता है। लोग आमतौर पर किसी मुख्य अतिथि को भगवान राम की भूमिका निभाने और उस पुतले को जलाने के लिए आमंत्रित करते हैं। यह आयोजन हजारों दर्शकों के मौजूदगी में खुले मैदान में सुरक्षा को ध्यान में रख कर किया जाता है।

दिल्ली के रामलीला मैदान, लालकिला मैदान, पटना के गांधी मैदान, भोपाल के दहशरा मैदान, इंदौर के दशहरा मैदान में रावण दहन का वृहद कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। इस दौरान हजारों की संख्या में दूर-दूर से दर्शक आते हैंं। आम तौर रावण दहन का कार्यक्रम शाम के समय आयोजित किया जाता है। पिछले कई वर्षों से यह देखने में आ रहा है कि रावण दहन के दिन बारिश हो जाती है, जिससे रंग-बिरंग कागज, फूस, बांस, प्लाईवुड और लकड़ी की सहायता से बना रावण का पुतला भींग जाता है और रावण दहन के समय यह ठीक से जल नहीं पाता, ना ही उस पुतले में भरा गया आतिशबाजी का प्रदर्शन हो पाता है। इसको देखते हुए आजकल वाटरप्रूफ रावण बनाए जाने लगे हैं। इस तरह के रावण के पुतले को वाटरप्रुफ पंडाल में ही तैयार किया जाता है जिससे तैयारी में बारिश की बाधा आड़े न आ सके। वहीं पुलते के ऊपरी भाग पर वाटरप्रूफ पन्नी लगाई जाती है जिससे वह बारिश होने पर गिला न हो और उसमें आग लगने पर वह जल सके। बाजार में आजकल रावण के छोटे-छोटे पुतले भी बिकने लगे हैं। ये पुतले मुहल्ले के लोग खरीदकर ले जाते हैं और छोटी सी जगह में भी रावण दहन का कार्यक्रम आयोजित कर लेते हैं।

हर उम्र के लोग इस मेले का लुत्फ उठाने के लिए यहां उपस्थित होते हैं। बच्चे इस आयोजन का सबसे ज्यादा इंतजार करते हैं और अपने माता-पिता से आतिशबाजी को देखने के लिए ले जाने की जिद भी करते हैं। वे आतिशबाजी देखते हैं और आश्चर्यजनक दृश्यों का आनंद उठाते हैं।

दशहरा के पर्व का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। रावण दहन का यह कार्यक्रम लोगों को एकजुट करता है, क्योंकि इसके दर्शक न कि केवल हिंदू धर्म से बल्कि सभी धर्म के लोग होते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दशहरा हमें सिखाता है कि अच्छाई हमेशा बुराई को मात देती है और प्रकाश हमेशा अंधेरे पर विजय प्राप्त करता है।

अन्य लेख पढ़ें :

हमें जरुरत है अपने अंदर के रावण को मारने की - दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi)

हम बाहर रावण का पुतला तो जलाकर ये बता देते हैं कि बुराई की हमेशा हार और सचाई की हमेशा जीत होती है, लेकिन अपने अंदर के बुराई को खत्म करने के बारे में नहीं सोचते। विजयादशमी बहुत ही शुभ और ऐतिहासिक पर्व है। लोगो को इस दिन अपने अंदर के रावण पर विजय प्राप्त कर खुशी के साथ यह पर्व मनाना चाहिए। वो सतयुग का दौर था जिसमें केवल एक रावण का अस्तित्व था जिसपर भगवान राम ने विजय प्राप्त की थी, पर यह तो कलयुग है जिसमे हर घर में रावण छुपा बैठा है। इतने रावण पर विजय प्राप्त करना आसान नहीं है। जिस प्रकार एक दीपक की रोशनी अंधकार का नाश करने के लिए काफी होती है, ठीक उसी प्रकार एक अच्छी विचारधारा वाली सोच ही काफी है अपने अंदर के रावण का नाश करने के लिए।

अन्य लेख पढ़ें :

विजयदशमी से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां

दशहरा जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व के दिन भी कुछ असामाजिक तत्व के लोग शराब पीकर लोगों को परेशान करते हैं। कुछ गंदे मानसिकता वाले लोग भीड़ का फायदा उठाते हुए चोरी और छेड़-छाड़ जैसी शर्मनाक हरकत करते हैं। अगर समाज में दशहरा के दिन इन कुरीतियों को दूर रखा जाए, तो दशहरा का पर्व वास्तव में आनंदमय हो जाएगा।

अन्य लेख पढ़ें-

उपसंहार (Conclusion) - दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi)

हिन्दू धर्मग्रंथ रामायण के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि देवी माँ दुर्गा को प्रसन्न करने और वर प्राप्ति के लिए भगवान श्री राम ने चंडी होम कराया था। दशहरा को दुर्गोत्सव भी कहा जाता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि युद्ध के दसवें दिन माता दुर्गा ने भी महिषासुर नामक दुष्ट असुर का वध किया था। विजयादशमी का पर्व लोगों के मन में नई ऊर्जा, बुराई पर अच्छाई की जीत की सीख, लोगों के मन में नई चाह और सकारात्मक ऊर्जा भी लेकर आता है। भगवान श्री राम ने रावण का अंत कर बुराई पर विजय प्राप्त की और माँ दुर्गा ने महिषासुर को मारकर बुराई का अंत किया। नौ दिन देवी माँ की पूजा अर्चना के बाद यह विजयादशमी आती है। इस दिन सबके घरों में पकवान आदि बनाए जाते है।

2025 में दशहरा कब है (Dussehra 2025 mein kab hai)

2025 में दशहरा धूमधाम से 2 अक्टूबर को मनाया गया। 2 अक्टूबर को गांधी जयंती भी मनाई जाती है। हालांकि कई जगह 2 अक्टूबर को बारिश होने से रावण दहन कार्यक्रम में व्यवधान हुआ। कई जगह रावण का पुतला बारिश में गीला हो गया। पटना में रावण दहन से पहले तेज हवा की वजह से रावण के दस सिर टूट कर गिर गए। दिल्ली में प्रधानमंत्री को रावण दहन कार्यक्रम में शामिल होना था लेकिन बारिश की वजह से उनका कार्यक्रम रद्द करना पड़ा। दशहरा की दशमी तिथि 1 अक्टूबर की शाम 7 बजे से लगेगी जो 2 अक्टूबर की शाम 7 बजकर 10 मिनट तक रही।

दशहरा 2025 पूजा मुहूर्त (Dussehra 2025 Puja muhurat)

विजय मुहूर्त - दोपहर 02:09 बजे से दोपहर 02:56 बजे तक

अपराह्न पूजा का समय - दोपहर 01:21 बजे से 03:44 बजे तक

दशहरा श्रवण नक्षत्र मुहूर्त 2025 (Dussehra Shravana Nakshatra Muhurat 2025)

श्रवण नक्षत्र प्रारम्भ - 02 अक्टूबर 2025 को सुबह 09:13 बजे

श्रवण नक्षत्र समाप्त - 03 अक्टूबर 2025 को सुबह 09:34 बजे

ये भी पढ़ें | पीएम इंटर्नशिप योजना

दशहरा शुभकामना संदेश और दशहरा कोट्स

दशहरे के पर्व के अवसर पर लोग एक दूसरे को बधाई और शुभकामना संदेश प्रेषित करते हैं। इनको अपना दशहरा स्टेटस मैसेज भी बना सकते हैं। नीचे दिए गए दशहरा संदेश अपने इष्टमित्रों को भेज शुभकामनाएं दे सकते हैं-

  • असली दशहरा वहीं मनाएंगे जो अपने भीतर के रावण को खुद ही आग लगाएंगे!
  • दशहरे की बधाई, खुश रहो मेरे भाई!
  • खुशियों की बौछार, त्योहार की बयार, विजयदशमी पर्व की शुभकामनाएं बारंबार!
  • विजयदशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं, ईश्वर आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें, सफलता आपके कदम चूमें।
  • बुराइयों का विनाश हो, बुद्धि का विकास हो, दशहरे की शुभकानाएं।
  • बुराई का दहन हो, आत्ममंथन हो, नवसृजन हो, सर्वप्रथम आपका दशहरा मंगलमय हो।

हिंदी दिवस पर कविता | हिंदी दिवस पर निबंध | हिंदी दिवस पर भाषण

दशहरा पर निबंध 10 लाइन (Essay on Dussehra in Hindi- 10 lines)

दशहरा पर निबंध 10 लाइन में जानने के लिए आप नीचे दिए गए बिंदुओं पर नजर डाल सकते हैं। यहां आपके लिए दशहरा निबंध 10 पर लाइन दिया गया है जो निश्चित तौर पर दशहरा पर निबंध (Dussehra Essay in hindi) लिखने के दृष्टिकोण से आपके लिए सहायक सिद्ध होंगे -

  1. दशहरा हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है, जिसे लगभग 10 दिनों तक मनाया जाता है।

  2. दशहरा का पर्व असुर सम्राट रावण पर भगवान राम की जीत का प्रतीक है।

  3. संस्कृत में दशहरा शब्द का अर्थ है 10 बुराइयों से छुटकारा।

  4. यह हिंदू धर्म में बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने वाले त्योहारों में से एक है।

  5. दशहरा न केवल हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है, बल्कि देश के अन्य धर्मों जैसे मुस्लिम, ईसाई और सिखों द्वारा भी मनाया जाता है।

  6. दशहरा को नवरात्रि उत्सव के रूप में भी जाना जाता है, जिसे भारतीय घरों में खुशी फैलाने के लिए मनाया जाता है।

  7. राम-लीला रामायण का एक नाट्य रूपांतरण है जिसका आयोजन आमतौर पर विजयादशमी के दिन किया जाता है।

  8. इस दिन रावण, कुंभकरण और मेघनाद जैसे असुरों के पुतले जलाए जाते हैं।

  9. दस मुखों वाले रावण को जलाते वक्त जोरदार आतिशबाजी की जाती है।

  10. दशहरा भारतीय उपमहाद्वीप में लंका के राजा रावण की बर्बर भूमिका के अंत का प्रतीक है।

ये लेख पढ़ें :

Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: दशहरा कहाँ का प्रसिद्ध है?
A:

दशहरा भारत के कई हिस्सों में प्रसिद्ध है, लेकिन मैसूर (कर्नाटक) अपने शाही दशहरा और 'जंबू सवारी' के लिए विश्व प्रसिद्ध है, जबकि उत्तर भारत में रामलीला और रावण दहन लोकप्रिय हैं। बंगाल, ओडिशा और असम में यह दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। 

Q: दशहरा का इतिहास क्या है?
A:

दशहरा वो दिन है जब भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी। युद्ध से पहले, भगवान राम ने देवी दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए नौ दिनों तक उनकी पूजा की थी। दसवें दिन, उन्होंने रावण का वध किया था, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।

Q: विजयादशमी उत्सव क्या है?
A:

दुर्गा पूजा, जिसे दशहरा या विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, एक वार्षिक हिंदू त्योहार है जिसमें हिंदू देवी दुर्गा की पूजा की जाती है और महिषासुर पर दुर्गा की विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। वहीं दशहरा या विजयादशमी रावण पर राम की जीत के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। 


Q: विजयदशमी किसका प्रतीक है?
A:

पूरे भारत में हर वर्ष मनाया जाने वाला विजयादशमी का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह नवरात्रि के नौ दिवसीय उत्सव के समापन का प्रतीक है।


Q: विजयादशमी का क्या महत्व है?
A:

विजयादशमी का पर्व वर्षा ऋतु की समाप्ति तथा शरद ऋतु आरम्भ का सूचक है। विजयादशमी अथवा दशहरा देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। विजयादशमी को समन्वित रूप में शक्ति और मर्यादा का प्रेरक पर्व माना जाता है। भगवान राम की विजय और शक्ति साधना की पूर्ण होने की तिथि एक ही है।


Q: हम दशहरा क्यों मनाते हैं, संक्षेप में जानकारी?
A:

उत्तर भारत में, दशहरा भगवान राम द्वारा रावण के वध की याद में मनाया जाता है। यह त्योहार महिला देवत्व का उत्सव भी है क्योंकि यह देवी दुर्गा द्वारा दैत्य महिषासुर की हत्या का भी प्रतीक है। दशहरा इस सोच के साथ मनाएं कि सत्य हमेशा बुराई पर विजय प्राप्त करता है। 

Q: दशहरा का क्या अर्थ है?
A:

दशहरा का अर्थ: दशहरा शब्द दो हिंदी शब्दों ‘दस' और 'हारा 'से मिलकर बना है, जहाँ दस' का अर्थ दस (10) और हारा का मतलब सत्यानाश/पराजित है।

Q: दशहरा का त्योहार हमारे समुदाय में कैसे योगदान देता है?
A:

यह पर्व दस दिनों तक चलने वाला पर्व है। इतने सारे लोगों को पंडाल, मूर्तियाँ, मिट्टी के चित्र और सज्जाकार बनाने में रोजगार मिलता है। व्यवसाय में वृद्धि से स्थानीय दुकानदारों, मिठाइयों, स्थानीय विक्रेताओं, पुजारियों, रंगमंच कलाकारों को लाभ होता है।

Q: essay on dussehra in hindi kaha milega?
A:

आप इस लेख में दशहरा पर निबंध हिंदी में कैसे लिखें इसकी जानकारी और साथ ही बेहतर समझ के लिए दशहरा पर निबंध देख सकते हैं। 

Q: दशहरा पर 10 लाइन का निबंध
A:

इस लेख से दशहरा पर 10 लाइन का निबंध प्राप्त कर सकते हैं। 

Upcoming School Exams
Ongoing Dates
Maharashtra HSC Board Application Date

1 Aug'25 - 15 Oct'25 (Online)

Ongoing Dates
Maharashtra SSC Board Application Date

1 Aug'25 - 15 Oct'25 (Online)

Certifications By Top Providers
Explore Top Universities Across Globe