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गुरु नानक जयंती पर निबंध (Essay On Guru Nanak Jayanti in Hindi) - 100, 200, 500 शब्द

गुरु नानक जयंती पर निबंध (Essay On Guru Nanak Jayanti in Hindi) - 100, 200, 500 शब्द

Edited By Mithilesh Kumar | Updated on Mar 15, 2024 10:59 AM IST
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सिखों के पहले गुरु और सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जयंती को सिख धर्म में सबसे विशिष्ट स्थान मिला हुआ है। गुरु नानक जयंती के द्वारा 15वीं शताब्दी के अंत में सिख धर्म की स्थापना की गई। गुरु नानक जयंती का अवसर सिखों के लिए विशेष महत्व रखता है। सभी श्रद्धा और उल्लास के साथ गुरु नानक जयंती का पर्व मनाते हैं। सभी अनुयाइयों के लिए उनके प्रथम गुरु का जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा बेहद खास है। इस दिन सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारों में नगर कीर्तन निकालते हैं और सुबह-सुबह प्रभातफेरी होती है। सिखों के 10 गुरुओं में की शृंखला में गुरु नानक जी सबसे पहले हैं। वर्ष 2024 में 15 नवंबर को गुरु नानक जयंती का पर्व मनाया जाएगा।
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गुरु नानक जयंती पर निबंध (Essay On Guru Nanak Jayanti in Hindi) - 100, 200, 500 शब्द
गुरु नानक जयंती पर निबंध (Essay On Guru Nanak Jayanti in Hindi) - 100, 200, 500 शब्द

वसुधैव कुटुंबकम् में विश्वास करने वाली भारत देश की विविधतापूर्ण संस्कृति सिख धर्म गुरु, सिख धर्म और इसके धर्मावलंबियों के बिना अधूरी रहेगी। देश के स्वतंत्रता संघर्ष के दौर की बात हो या देश की सीमाओं की रक्षा की सिखों की वीरगाथाओं और बलिदानों से भारतीय इतिहास भरा पड़ा है। सिखों के इतिहास को गौरवपूर्ण बनाने में इनके गुरुओं और शिक्षाओं का सर्वाधिक योगदान है।

गुरु नानक जयंती निबंध (Essay On Guru Nanak Jayanti in Hindi) के इस लेख से गुरु नानक जी के बारे में उपयोगी जानकारी मिलेगी। इस जानकारी से न केवल गुरु नानक के जीवन और व्यक्तित्व की झलक मिलेगी बल्कि गुरु नानक जयंती भाषण (guru nanak jayanti speech in Hindi) और गुरु नानक जयंती निबंध (guru nanak jayanti essay in hindi) लिखने के लिए उपयोगी सामग्री भी मिलेगी। गुरु नानक जयंती निबंध (guru nanak jayanti nibandh in hindi) बारे में अपनी जानकारी को बढ़ाने के लिए नीचे दिए गए लेख की मदद ले सकते हैं।

गुरु नानक जयंती पर 100 शब्द का निबंध (Essay On Guru Nanak jayanti in Hindi - 100 Words)

गुरु नानक का जन्म कब और कहां हुआ?

गुरु नानक जयंती का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन 1469 में राएभोए के तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था। गुरु नानक के जन्म स्थान को ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है। गुरु नानक की जन्म स्थली वर्तमान में भारतीय सीमा के उस पार पाकिस्तान में है। उनकी माता का नाम तृप्ता और पिता का नाम लाला कल्याण राय (मेहता कालू) था। उनके पिता तलवंडी गांव में पटवारी थे। गुरु नानक बचपन से ही बड़ी तीक्ष्ण बुद्धि के थे। वे तार्किक बातें करते थे। लोग उनकी बातों से बड़े प्रभावित होते थे। गुरु नानक ने अपने जीवन में खूब यात्राएं कीं और यह संदेश दिया कि ईश्वर एक है।

उन्होंने धार्मिक आडंबर और ऊंच-नीच का विरोध किया। उन्होंने सबको एक साथ बैठाकर लंगर में भोजन प्रसाद की शुरुआत की। गुरु नानक की बहन नानकी थीं। वे उनकी पहली अनुयायी बनीं। 16 वर्ष की आयु में गुरु नानक का विवाह सुलखनी से हुआ। उनके दो पुत्र हुए- श्रीचंद और लक्ष्मीचंद। श्रीचंद साहिब जी ने उदासीन अखाड़े की स्थापना की थी। उन्होंने जीवन का आखिरी समय करतारपुर में बिताया। उनके बाद गुरु अंगद उत्तराधिकारी बने।

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गुरु नानक जयंती पर 200 शब्दों का निबंध (Essay On Guru Nanak jayanti in Hindi - 200 Words)

सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जयंती ने शांति, प्रेम और भाईचारे को प्रोत्साहित किया। स्कूल शिक्षा के दौरान अपने प्रश्नों से वे गुरुजनों को अक्सर चकित कर देते थे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ईश्वर केवल एक ही है और हर कोई अनुष्ठानों या मूर्तियों के बिना भी ईश्वर का अनुभव कर सकता है। उन्होंने लोगों से एक-दूसरे से प्यार के साथ रहने का संदेश दिया और जाति व धार्मिक विभाजन को नकार दिया।

गुरु नानक जयंती जी ने अपने अनुयायियों को नाम जपो, कीरत करो, वंड छको की शिक्षा दी। सबसे पहले, चाहे वे कुछ भी कर रहे हों, प्रभु के नाम का सिमरन करते रहें। इसे "नाम जपना" के नाम से जाना जाता है। दूसरा सिद्धांत है "किरत करो", जिसका अर्थ है ईमानदारी से कड़ी मेहनत करो। गुरु नानक जयंती की तीसरी शिक्षा है "वंड छको", जिसका अर्थ है कि मिल-बांटकर खाओ, भगवान ने जो कुछ भी दिया है उससे जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए। गुरुपर्व सिख समुदाय के लिए एक बड़ा दिन है। गुरु नानक जयंती जी की शिक्षाओं और आदर्शों का सम्मान करने के लिए दुनिया भर के सिख इस दिन धर्मार्थ और भाईचारे के कार्यों में भाग लेते हैं।

गुरु नानक जयंती पर 500 शब्दों का निबंध (Essay On Guru Nanak jayanti in Hindi - 500 Words)

गुरु नानक का जन्म कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन 1469 को तत्कालीन दिल्ली सल्तनत के लाहौर जिले के राए भोए के तलवंडी (वर्तमान ननकाना साहिब, पाकिस्तानी पंजाब) में हुआ था। वह सिखों के 10 गुरुओं में से पहले गुरु थे। लोगों के प्रति अपने प्यार और जुनून की बदौलत उन्होंने गांवों में लोकप्रियता हासिल की। वह अत्यधिक कल्पनाशील भी थे। दुनिया के प्रति उनके दृष्टिकोण ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

गुरु नानक जयंती का हृदय बचपन से ही उदारता और सेवाभाव से भरा था। 17 वर्ष की आयु में नानक जी के पिता ने व्यापार करने के लिए 20 रुपये दिए। नानक अपने पड़ोसी मित्र बाला के साथ व्यापार के लिए गए। रास्ते में एक स्थान पर उन्हें भूखे साधु-महात्मा मिले नानक ने पिता जी के द्वारा दिए 20 रुपये से राशन खरीद कर उन साधुओं को खाना खिलाया और खुद खाली हाथ घर लौट आए। घर वापसी पर पिता से डांट भी खाई लेकिन उन्होंने कहा कि आपने ही कहा था की सच्चा सौदा करना है और इससे सच्चा व खरा सौदा और क्या हो सकता है।

सुल्तानपुर में काम करते हुए उन्होंने अपना सारा पैसा जरूरतमंदों को दान कर दिया। उनकी बातों से लोग प्रभावित होते गए और अनुयायियों की संख्या बढ़ती गई। 1499 में उन्होंने उपदेश देना शुरू किया और यात्राएं आरंभ कर दीं। उनके चारों दिशाओं की यात्रा को चार उदासियां के नाम से जाना जाता है। उस समय उनकी उम्र महज 30 वर्ष थी। 1507 में उन्होंने परिवार को छोड़कर भारत, अफगानिस्तान, फारस और अरब के प्रमुख स्थानों का भ्रमण किया। उनके अनुयायियों में विभिन्न जातियों, पंथों और धर्मों के लोग शामिल थे। यात्रा के दौरान उन्होंने कई बानी की रचना की। उनकी रचनाएं श्री गुरु ग्रंथ साहिब, जपुजी साहिब आदि में दर्ज हैं।

श्री गुरु नानक जयंती जी ने मूल मंत्र के साथ निराकार भगवान की व्याख्या की। उनके द्वारा प्रतिपादित गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रथम मंत्र है-

'एक ओंकार सतिनामु करता पुरखु निरभउ निरवैरु अकाल मूरति अजूनी सैभं गुर परसादि।'

इसका अर्थ है- ईश्वर एक हैं, सत्य-स्वरूप हैं और सृष्टि के रचयिता एवं सर्वव्यापक हैं। वे निर्भय, निर्वैर एवं समय और काल के परे हैं। परमात्मा अजन्मा है और स्वयंभू है। उनकी कृपा शीघ्र ही प्राप्त की जा सकती है।

'आदि सचु, जुगादि सचु, है भी सचु नानक होसी भी सचु' अर्थात, एक वही शाश्वत है, सत्य है। जगत बाहर से जैसा भी दिखाई दे, वस्तुतः तो वह ब्रह्म ही है। पहले भी वही शाश्वत था और 'जुगादि सचु' यानी सारे युगों के बीतने पर भी वही शाश्वत रह जाएगा।

जब गुरु नानक लगभग 55 वर्ष के थे, तब वे करतारपुर चले गए और सितंबर 1539 में अपने निधन तक वहीं रहे। गुरु नानक के चार प्रमुख शिष्य थे। मरदाना, लहना, बाला और रामदास। गुरु नानक के बाद भाई लहना उनके उत्तराधिकारी बने। उनका नाम बदलकर गुरु अंगद कर दिया गया। 22 सितंबर, 1539 को, करतारपुर में, अपने उत्तराधिकारी की घोषणा करने के कुछ ही समय बाद, गुरु नानक का 70 वर्ष की आयु में निधन हो गया। जहां उनका निधन हुआ वहां करतारपुर साहिब गुरुद्वारा बना हुआ है।

गुरु नानक जयंती (गुरु पर्व या गुरु परब)

गुरु नानक जयंती पर निबंध (Essay on Guru Nanak Jayanti in Hindi) लिखने के दौरान हमें कुछ बिंदुओं का ध्यान रखना चाहिए। गुरु नानक जयंती को गुरु पर्व या गुरु परब (गुर पुरब) भी कहा जाता है। इस पर्व के दौरान होने वाले आयोजन के मुख्य बिंदुओं पर नजर डालते हैं।

  • नगर कीर्तन और प्रभात फेरी : उत्सव के आरंभ में प्रभातफेरी निकाली जाती है। इस दौरान नगर कीर्तन किया जाता है इस दौरान भव्य जुलूस के साथ सिख समाज के श्रद्धालु चलते हैं। एक पालकी पर गुरु ग्रंथ साहिब को फूल मालाओं से सजाया जाता है। नगर कीर्तन में आगे पंज प्यारे चलते हैं। लोग भजन गाते हैं। स्कूली बच्चे बैंड का भी प्रदर्शन करते हैं। नगर कीर्तन गुजरने वाले रास्ते को धुलकर साफ किया जाता है। यह काफी मनोरम दृश्य होता है।

  • अखंड पाठ : गुरु पर्व के दौरान गुरुद्वारे में अखंड पाठ का आयोजन होता है। यह निरंतर पाठ तीन दिन तक चलता रहता है। श्रद्धालु और आयोजन से जुड़े लोग अखंड पाठ में हिस्सा लेते हैं। गुरु पर्व के दिन इस पाठ का समापन किया जाता है।

  • सजावट : गुरु पर्व के अवसर पर गुरुद्वारे को ताजे फूलों से सजाया जाता है। रंग-बिरंगी रोशनी से पूरा दरबार जगमग रहता है। गुरु ग्रंथ साहिब को सिंहासन पर रखकर खूबसूरती के साथ सजाया जाता है। पर्व के दौरान काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। उनके रहने और लंगर के लिए बड़े-बड़े भव्य पंडाल का निर्माण कराया जाता है।

  • गुरबानी कीर्तन : पर्व के दौरान देश-दुनिया से कीर्तन जत्था पहुंचते हैं। वे गुरबानी कीर्तन करते हैं। वे कथा व कीर्तन से संगत को निहाल कर देते हैं। इस दौरान विश्व शांति और भाईचारे के लिए अरदास करती है।

  • लंगर : पूरे आयोजन के दौरान अटूट लंगर की चलता रहता है। इस रसोई में श्रद्धालु अपनी श्रद्धानुसार अन्न, लकड़ी, घी-तेल, दाल-आटा आदि सामग्री दान देते हैं। लंगर में भोजन बनाने में सहयोग करते हैं। लंगर में स्वयंसेवक लोगों को भोजन परोसते हैं। यह सब सेवाभाव और दान का संदेश देता है।

  • गतका प्रदर्शन : पंजाब से आए गतका कलाकार हैरतअंगेज प्रदर्शन से लोगों को आर्श्चचकित कर देते हैंं। गतका शब्द के जन्मदाता सिखों के छठे गुरु गुरु हरगोविंद साहिब जी को माना जाता है, जिन्होंने सिखों को युद्ध कलाएं सिखाने के लिए प्रेरित किया। सिखों के 10वें गुरु गुरु गोविंद सिंह ने सिख फौज को तैयार कर गतका को अपने अनुयायियों के लिए अनिवार्य किया और योद्धा बनाया। पर्व के दौरान सिख निहंग गतका और तलवारबाजी के करतब दिखाकर लोगों को अचंभित कर देते हैं।

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गुरु पर्व पर 10 लाइन्स

गुरु नानक जयंती पर निबंध (Essay on Guru Nanak Jayanti in Hindi) के बाद यदि आपको गुरु पर पर 10 पंक्तियां लिखनी हो तो वह इस प्रकार से लिख सकते हैं-

  1. गुरु नानक जयंती को गुरु पर्व या गुरुपूरब भी कहते हैं।

  2. सिख धर्म को मानने वालों के लिए यह एक महत्वपूर्ण त्योहार है।

  3. गुरु नानक देव ने 15वीं शताब्दी में सिख धर्म की स्थापना की।

  4. गुरु नानक देव सिखों के पहले गुरु माने जाते हैं।

  5. गुरु पर्व गुरु नानक के जन्मदिवस यानि हर साल कार्तिक महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।

  6. इस पर्व के अवसर पर गुरुद्वारों को फूल-मालाओं और रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया जाता है।

  7. गुरु पर्व का उत्सव तीन दिनों तक चलता है, जिसमें प्रभातफेरी, शबद-कीर्तन, अखंड पाठ, लंगर का आयोजन होता है।

  8. सिख धर्म के लोगों के लिए गुरु पर्व एक बहुत महत्वपूर्ण दिन है।

  9. ‘गुरुपूरब’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, गुरु का अर्थ है ‘शिक्षक’ और पूरब का अर्थ है ‘त्योहार’।

  10. गुरु पर्व के दिन कई तरह के धार्मिक आयोजन किए जाते हैं, जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ, गुरवाणी का पाठ आदि होता है।

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प्रकाश पर्व कब मनाया जाता है?

हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन प्रकाश पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन सिखों के पहले गुरु और सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक का जन्म हुआ था।

प्रकाश पर्व क्यों मनाया जाता है?

गुरु नानक जयंती जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन पाकिस्तान में स्थित श्री ननकाना साहिब में हुआ था। गुरु नानक जयंती की जयंती को गुरु पर्व और प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गुरुद्वारों में विशेष शबद कीर्तन और गुरवाणी का पाठ होता है।

प्रकाश पर्व का मतलब क्या होता है?

प्रकाश पर्व का अर्थ बाहरी रोशनी नहीं बल्कि भीतर के अंधेरे को दूर करने का संकल्प है। प्रकाश पर्व के दिन सुबह 4-5 बजे से ही सिख समुदाय के लोग वाहे गुरु, वाहे गुरु जपते हुए सुबह-सुबह प्रभात फेरी निकालते हैं। विशेष अरदास का आयोजन होता है।

गुरु नानक की उपदेश किस भाषा में हैं?

गुरु नानक ने अपनी बातों को लोगों तक पहुंचाने के लिए स्थानीय भाषा पंजाबी लोक भाषा का उपयोग किया।

गुरु नानक जयंती 2024 में कब मनाई जाएगी?

इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर को है और इसी दिन गुरु नानकदेव जी की जयंती मनाई जाएगी। इसलिए 15 नवंबर, 2024 को सिख धर्म के पहले गुरु नानक देव जी जयंती का उत्सव प्रकाश पर्व मनाया जाएगा।

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