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दुर्गा पूजा पर निबंध (Durga Puja Essay in Hindi) 100, 200, 500, 1000 शब्दों में

दुर्गा पूजा पर निबंध (Durga Puja Essay in Hindi) 100, 200, 500, 1000 शब्दों में

Edited By Mithilesh Kumar | Updated on Oct 11, 2024 02:27 PM IST
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दुर्गा पूजा सबसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों में से एक है। इस उत्सव का दूसरा नाम दुर्गोत्सव है। देश के अनेक हिस्सों में दुर्गा पूजा के दौरान दस दिवसीय उत्सव और पूजा-पाठ का दौर चलता है। महा सप्तमी, महा अष्टमी और महानवमी में उत्सव अपने चरम पर रहता है और इसका समापन विजयादशमी को होता है। मां दुर्गा की प्रतिमा में उनके दस हाथ दर्शाए जाते हैं। इन दस हाथों में तलवार, भाला, गदा, सुदर्शन चक्र जैसे अस्त्र-शस्त्र के साथ कमल, शंख भी रहते हैं। मां दुर्गा शेर की सवारी करती हैं और वे असुर सम्राट महिषासुर का वध करते दिखाया जाता है।
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कहा जाता है कि शिव की पत्नी पार्वती ने इन देवियों के विभिन्न रूप धारण किए थे। लोग अनुष्ठानों, सांस्कृतिक प्रदर्शनी और पंडाल के माध्यम से बड़े उत्साह के साथ जश्न मनाते हैं। त्योहार की भव्यता, विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में, लोगों को खुशी और भक्ति में एकजुट करती है। छात्रों को दुर्गा पूजा पर हिंदी में निबंध (durga puja per nibandh) लिखने को कहा जाता है। यहां 'दुर्गा पूजा' विषय पर कुछ नमूना निबंध दिए गए हैं।

दुर्गा पूजा पर निबंध 100 शब्दों में ( Durga Puja Essay in hindi 100 Words)

दुर्गा पूजा हिंदू कैलेंडर में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाता है और देवी दुर्गा का सम्मान करता है, जिन्हें शक्ति और शक्ति का अवतार माना जाता है। दुर्गा पूजा बंगालियों द्वारा दुनिया भर में मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह दस दिवसीय त्योहार है जो राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत का जश्न के रूप में मनाया जाता है। हिंदू देवी दुर्गा को समर्पित यह त्योहार हिंदू महीने अश्विन में मनाया जाता है, जो आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर में पड़ता है। यह त्यौहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है और सभी क्षेत्रों के लोग इसे मनाने के लिए एक साथ आते हैं।

दुर्गा पूजा निबंध 150 शब्दों में (Durga puja essay in hindi 150 words)

दुर्गा पूजा बंगालियों के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत की याद में मनाया जाता है। यह त्यौहार पूरे देश में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यह घटना बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। दुर्गा पूजा भारत के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। एक हिंदू अवकाश होने के अलावा यह परिवार और दोस्तों के मिलने मिलने का मौका होता है। यह सांस्कृतिक मूल्यों और प्रथाओं को जीवंत रखने का उत्सव है। मां दुर्गा के दस हाथों में से प्रत्येक में एक अनूठा हथियार होता है। नवरात्रि के दौरान देवी अम्बा (दुर्गा) की पूजा होती है, उनके बारे में माना जाता है कि वे विभिन्न रूपों में प्रकट होती हैं। इन देवियों को सामूहिक रूप से "शक्ति" कहा जाता है, जो उनकी अपार शक्ति का प्रतीक है और इसे महिषासुर जैसे राक्षसों पर उनकी विजय की कहानियों में दर्शाया गया है।

दुर्गा पूजा पर निबंध 200 शब्दों में (Durga Puja Essay in hindi 200 Words)

दुर्गा पूजा निबंध (durga puja nibandh) : दुर्गा पूजा त्यौहार की उत्पत्ति महाभारत काल से मानी जाती है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने राक्षसों से लड़ने और देवताओं की मदद करने के लिए दुर्गा की रचना की थी। 10 दिनों तक चलने वाला यह त्योहार पूरे देश में बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। उत्सव के दौरान विशाल पंडाल बनाए जाते हैं और रंग-बिरंगी सजावट की जाती है।

दुर्गा पूजा का उत्सव : परिवार देवी से आशीर्वाद और समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं और उन्हें फल, मिठाइयां अर्पित करते हैं। पंडालों को विस्तृत रूप से सजाया जाता है और लोगों को उत्सव मनाते देखा जा सकता है। त्योहार का समापन दशमी को होता है, जब भक्त देवी से प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें ज्ञान, शक्ति और धन का आशीर्वाद दें।

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मां दुर्गा की पौराणिक कथा (Mythology of Maa Durga in hindi)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महिषासुर नाम का एक राक्षस था जिसे भगवान ब्रह्मा से वरदान मिला था कि उसे कोई भी देवता या मनुष्य नहीं हरा सकता है। यह वरदान पाते ही वह शक्तिशाली हो गया और उसने स्वर्ग में देवताओं को परेशान करना शुरू किया। देवताओं ने त्रिदेव से मदद की गुहार लगाई और भगवान ब्रह्मा ने भगवान विष्णु और भगवान शिव के साथ मिलकर देवी दुर्गा का निर्माण किया और उन्हें राक्षस महिषासुर से लड़ने के लिए अपनी शक्तियां प्रदान की। इसके बाद महिषासुर और देवी दुर्गा के बीच भयंकर युद्ध हुआ। अपने बचाव के लिए महिषासुर राक्षस ने खुद को भैंसे के रूप में बदल लिया। यह संघर्ष 10 दिनों तक चला, जिसके अंत में मां दुर्गा ने भैंसे का सिर काटकर और महिषासुर को हराकर विजय प्राप्त की।

दुर्गा पूजा पर निबंध 500 शब्दों में (Durga Puja Essay in hindi 500 Words)

दुर्गा पूजा पर निबंध (durga puja par nibandh) : दुर्गा पूजा का त्योहार राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय की याद में मनाया जाता है। यह उसी दिन शुरू होता है जिस दिन नवरात्रि शुरू होती है। महालया, दुर्गा पूजा का पहला दिन, देवी के आगमन का प्रतीक है।

दुर्गा पूजा समारोह: उत्तर और दक्षिण भारत (Durga Puja Celebrations: North And South India)

उत्तर भारत में दुर्गा पूजा बड़े उत्साह और भव्यता के साथ मनाई जाती है। मंदिरों को खूबसूरती से सजाया जाता है और देवी दुर्गा की मूर्तियों की बड़ी भक्ति के साथ पूजा की जाती है। पंडाल भी बहुत रंगीन बनाए जाते हैं और बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करते हैं।

दक्षिण भारत में उत्सव थोड़ा अलग होता है। पूजा समारोह समाप्त होने के बाद देवी दुर्गा की मूर्तियों को नदी में विसर्जित कर दिया जाता है। इस नजारे को देखने के लिए नदी के किनारे भारी भीड़ जमा हो जाती है।

दुर्गा पूजा: पवित्र समारोह (Durga Puja : Sacred Ceremonies)

दुर्गा पूजा के दौरान आयोजित होने वाले समारोह काफी पवित्र होते हैं। पूजा के दौरान, देवी दुर्गा और उनके विभिन्न रूपों की प्रार्थना की जाती है। यह देवी से शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मांगने के लिए किया जाता है।

मुख्य अनुष्ठानों में फूल चढ़ाना, दीपक जलाना, पवित्र धागा बांधना (मौली), माथे पर पवित्र सिन्दूर लगाना या 'टीका' लगाना और संस्कृत या बंगाली में मंत्रों के साथ देवी की आरती करना शामिल है।

हालांकि किसी की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के आधार पर अनुष्ठान थोड़े भिन्न हो सकते हैं, यह सब दिव्य माँ दुर्गा की आध्यात्मिक ऊर्जा और ऊर्जा का आह्वान करने के लिए किया जाता है। मेहमानों को फल, मिठाई जैसे प्रसाद भी दिए जाते हैं, जिसके बाद परिवार के सदस्यों और भक्तों द्वारा पारंपरिक गीत गाए जाते हैं।

थीम और सजावट के विचार (Themes And Decoration Ideas)

हर साल, स्थानीय रीति-रिवाजों और रुझानों के आधार पर, दुर्गा पूजा अपनी थीम के साथ मनाई जाती है। लोग देवी दुर्गा को अपनी शक्ति को दर्शाने के लिए अपनी 10 भुजाओं वाले कई हथियारों के साथ एक योद्धा के रूप में देख सकते हैं।

दुर्गा पूजा पर निबंध 1000 शब्दों में (Durga Puja Essay in hindi 1000 Words)

दुर्गापूजा के दौरान दस दिवसीय उत्सव में मां दुर्गा के 10 रूपों की पूजा की जाती है। अलग-अलग राज्यों में इस दौरान कई तरह के आयोजन होते हैं। पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। इसकी तैयारी दो-तीन महीने पहले से शुरू हो जाती है। लाखों की लागत से भव्य पंडाल बनाए जाते हैं। दिव्य प्रतिमा स्थापित की जाती है। इस आयोजन को देखने के लिए देशभर से लोग दुर्गा पूजा के दौरान पश्चिम बंगाल जाते है। इसके पड़ोसी राज्य बिहार, झारखंड और ओडिशा में भी दुर्गा पूजा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दौरान हर छोटे-बाजार में मां दुर्गा की प्रतिमा रखी जाती है। आकर्षक पंडाल बनाए जाते हैं और रोशनी-पताखों के साथ सजावट की जाती है।

दुर्गा पूजा के लिए पंडाल की थीम (Pandal theme for Durga Puja)

इन दिनों पंडाल की साज-सज्जा खास थीम पर की जाने लगी है। लकड़ी, प्लाई, बांस-बल्ले, थर्मोकोल, कपड़े और अन्य चीजों की मदद से पंडाल को देश के बड़े व प्रसिद्ध मंदिर जैसे जगन्नाथ मंदिर, बिरला मंदिर, अक्षरधाम मंदिर, केदारनाथ मंदिर या किसी अन्य प्रसिद्ध इमारत का रूप दिया जाता है। इन दिनों पंडाल देश-विदेश के प्रसिद्ध इमारत या स्थानों की थीम पर भी बनाने का चलन बढ़ा है। पंडाल और थीम आधारित सजावट समाज में कई तरह के संदेश देती है। पंडाल में प्रतिमा के साथ आयोजक पर्यावरण, शिक्षा, सामाजिक कुरीति, भ्रष्टाचार, अंधविश्वास आदि थीम पर झांकियां भी सजाते हैं।

भक्ति भाव से लोग इन पंडाल में स्थापित प्रतिमा की पूजा-अर्चना करते हैं। इस दौरान बच्चों में खूब उत्साह रहता है। पंडाल के आसपास मेला लगता है। मिठाइयां और खिलौने बिकते हैं। विजयादशमी के बाद प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है और इस त्योहार का समापन होता है।

विभिन्न राज्यों में दुर्गा पूजा (Durga Puja in different states)

गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान में दुर्गा पूजा के दिनों में डांडिया और गरबा रास का आयोजन होता है। गरबा की तैयारी भी लोग पहले से शुरू कर देते हैं। महीनों उसकी प्रैक्टिस करते हैं और नवरात्रि के दिनों में गरबा में नृत्य के माध्यम से देवी की आराधना करते हैं।

दिल्ली, यूपी, हरियाणा, मध्य प्रदेश आदि में दुर्गा पूजा (durga pooja nibandh) की जगह दशहरा मनाने का चलन है। इस दौरान रामलीला का आयोजन होता है और विजयदशमी के दिन रावण दहन किया जाता है। रावण दहन में रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले बनाए जाते हैं और राम, लक्ष्मण का अभिनय करने वाले लोग उस पुतले में तीर मारकर उसका दहन करते हैं। यह बुराई को नाश करने का प्रतीक है।

बंगाल, असम और ओडिशा जैसी जगहों पर, दुर्गा पूजा का उत्सव मनाने के लिए स्थानीय क्लब और धार्मिक संगठन अलग-अलग थीम पर पंडाल लगाते हैं। दुर्गा पूजा लगभग पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है। यह राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत का प्रतीक है। दुर्गा पूजा बुराई पर अच्छाई की जीत, अंधकार पर प्रकाश और दुनिया की रक्षा करने की दिव्य शक्ति का प्रतीक है।

सजावट के विचारों में प्रकृति की अनंत शक्ति को दर्शाने के लिए बांस और कपड़े की पट्टियों से बने पंडाल या टेराकोटा या मिट्टी से बनी मूर्तियां भी शामिल रहती हैं। आधुनिक पूजा में कुछ अनूठे विषयों का भी उपयोग किया जाता है जैसे कि महिला सशक्तीकरण और सम्मान को कायम रखना, प्रदूषण विरोधी संदेश और सौर ऊर्जा जैसे हरित ऊर्जा स्रोत आदि।

हर किसी को अपने जीवन में एक बार दुर्गा पूजा के उत्सव के दौरान पंडाल में जाना चाहिए, जो पश्चिम बंगाल में और भारतीय प्रवासियों के बीच सबसे बड़े हिंदू त्योहारों में से एक है। लोग उत्साह और जीवंतता में डूब जाते हैं और उत्सव को अपनी सारी चिंताओं से दूर कर देते हैं। जीवन का उत्सव और उसके सभी वैभव दुर्गा पूजा का मुख्य केंद्र बिंदु है।

दुर्गा पूजा के दौरान किए जाने वाले अनुष्ठान

दुर्गा पूजा के दौरान पंडाल में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करने के साथ 10 दिनों तक अनुष्ठान किया जाता हैं :

1. कलश स्थापना : दुर्गा पूजा के प्रारंभ में देवी मां दुर्गा की प्रतिमा के पास कलश स्थापित किया जाता है।

2. देवी का जागरण : महालया के दिन जागरण का आयोजन किया जाता है और देवी दुर्गा को धरती पर आमंत्रित किया जाता है।

3. नवपत्रिका पूजा : नवपत्रिका अनुष्ठान में नौ विभिन्न पौधों को देवी मां दुर्गा के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।

4. सप्तमी, अष्टमी और नवमी पूजा : दुर्गा पूजा के सातवें, आठवें, और नौवें दिन (सप्तमी, अष्टमी और नवमी) विशेष पूजा अनुष्ठान होते हैं।

5. कन्या पूजा : अष्टमी या नवमी के दिन छोटी कन्याओं को देवी दुर्गा का रूप मानकर पूजा जाता है। यह अनुष्ठान देवी के बाल्य रूप की पूजा का प्रतीक होता है।

6. संधि पूजा : यह अनुष्ठान अष्टमी और नवमी के मिलन के समय किया जाता है। माना जाता है कि इस समय देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था।

7. दर्पण विसर्जन : नवमी के दिन, देवी की पूजा के बाद, एक दर्पण में देवी की प्रतिमा के प्रतिबिंब को देखकर उनकी विदाई की जाती है।

8. विजयादशमी और मूर्ति विसर्जन : दशमी के दिन दुर्गा पूजा का अंतिम अनुष्ठान होता है, जिसे विजयादशमी कहा जाता है। इस दिन, देवी की मूर्ति का विसर्जन नदी या तालाब में किया जाता है।

9. आरती : दुर्गा पूजा के प्रत्येक दिन सुबह और शाम को देवी की आरती की जाती है।

10. भोग और प्रसाद : पूजा के दौरान देवी दुर्गा को विभिन्न प्रकार के भोग अर्पित किए जाते हैं, जिसमें फल, मिठाई और अन्य पकवान होते हैं। इसे बाद में इसे भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।

दुर्गा पूजा पर 10 लाइन्स (Durga puja essay in hindi 10 lines)

दुर्गा पूजा पर निबंध लिखने के लिए (Essay on Durga Puja in Hindi) 10 लाइनें नीचे दी गई हैं :

  • दुर्गा पूजा हिन्दुओं का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है।

  • दुर्गा पूजा पश्चिम बंगाल में सर्वाधिक प्रसिद्ध है क्योंकि यह बंगालियों का प्रमुख त्यौहार है।

  • इस उत्सव के दौरान देवी दुर्गा की नौ दिनों तक विशेष रूप से पूजा की जाती है।

  • दुर्गा पूजा को दुर्गोत्सव भी कहते हैं।

  • देशभर में देवी के प्रमुख मंदिरों में अनुष्ठान, पूजा और भंडारा आयोजित किया जाता है।

  • दुर्गा पूजा के दौरान बहुत से लोग नौ दिनों तक उपवास रखते हैं और ‘दुर्गा चालीसा’ का पाठ करते हैं।

  • पूरे देश में दुर्गा पूजा पर देवी मां की प्रतिमा रखने के लिए भव्य पंडाल बनाए जाते हैं।

  • देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था, जो बुराई पर अच्छाई के जीत का प्रतीक है।

  • अष्टमी और महानवमी पर नौ कन्याओं को दुर्गा माता के रूप में पूजा जाता है।

  • दुर्गा पूजा के दसवें दिन रावण दहन और मूर्ति विसर्जन किया जाता है।

वर्ष 2024 में शारदीय नवरात्र

उदया तिथि के अनुसार कलश स्थापना 3 अक्टूबर को की जाएगी।

  • पहला दिन : 3 अक्टूबर को नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि। गुरुवार को मां शैलपुत्री की पूजा।

  • दूसरा दिन : 4 अक्टूबर को नवरात्रि की द्वितीय तिथि। शुक्रवार को मां ब्रह्मचारिणी पूजा।

  • तीसरा दिन : 5 अक्टूबर को नवरात्रि की तृतीया तिथि। शनिवार को मां चंद्रघंटा पूजा।

  • चौथा दिन : 6 अक्टूबर को नवरात्रि की तृतीया तिथि रहेगी । दिन रविवार। चतुर्थी का संयोग रहेगा। मां चंद्रघंटा और गणेशजी की पूजा।

  • पांचवां दिन : 7 अक्टूबर को नवरात्रि की चतुर्थी तिथि। दिन सोमवार को मां कूष्मांडा पूजा।

  • छठा दिन : 8 अक्टूबर को नवरात्रि की पंचमी। मंगलवार को मां स्कंद पूजा।

  • सातवां दिन : 9 अक्टूबर को नवरात्रि की षष्ठि। दिन बुधवार को मां का कात्यायनी पूजा। सरस्वती आवाहन।

  • आठवां दिन : 10 अक्टूबर को नवरात्रि की सप्तमी। दिन गुरुवार को मां काल रात्रि पूजा। सरस्वती पूजा।

  • नौवां दिन : 11 अक्टूबर को नवरात्रि की अष्टमी दिन शुक्रवार को मां महागौरी पूजा। संधि पूजा सुबह 11:42 से दोपहर 12:30 के बीच। महानवमी भी इसी दिन।

  • दसवां दिन : 12 अक्टूबर को नवरात्रि की नवमी दिन शनिवार। मां महागौरी पूजा। संधि पूजा सुबह 11:42 से दोपहर 12:30 के बीच। महानवमी भी इसी दिन। आयुध पूजा , दशहरा और विजया दशमी भी इसी दिन ।

दुर्गा पूजा पर निबंध कैसे तैयार करें? (How to prepare an essay on Durga Puja?)

दुर्गा पूजा पर निबंध (Essay on Durga Puja in Hindi) लिखने के दौरान इन बिंदुओं को ध्यान में रखें :

  • सबसे पहले एक आकर्षक शीर्षक बनाएं।

  • दुर्गा पूजा के बारे में बताएं।

  • दुर्गा पूजा क्यों होती है, उसका इतिहास, महत्व, तिथि के बारे में बताएं।

  • पूरे निबंध को सकारात्मक और उत्सव आयोजन के अनुसार लिखें।

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Frequently Asked Questions (FAQs)

1. दुर्गा पूजा पर निबंध कैसे लिखा जाता है?

दुर्गा पूजा समाज को बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देती है। इस दौरान लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर मेला देखते हैं, विभिन्न पंडालों में विराजित मां दुर्गा का दर्शन कर पूजा-अर्चना करते हैं, खुशियां मनाते हैं। इस अवसर पर लोग नए कपड़े पहनते हैं। लोग पूजा के दौरान मां दुर्गा से शक्ति और खुशहाली का आशीर्वाद मांगते हैं। यह त्यौहार विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम और झारखंड में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

2. हम दुर्गा पूजा को 150 शब्दों में क्यों मनाते हैं?

महिषासुर नाम के एक राक्षस ने लोगों को बहुत परेशान किया। उसके कहर से परेशान होकर देवताओं ने देवी दुर्गा दूर्गा से महिषासुर के अत्याचार समाप्त करने की विनती की। देवी मां दुर्गा और महिषासुर के बीच पूरे नौ दिनों तक युद्ध चलता रहा और दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। इसलिए दसवें दिन दुर्गा पूजा मनाई जाती है।

3. दुर्गा पूजा का महत्व क्या है?

दुर्गा पूजा का सांस्कृतिक महत्व यह है कि यह लोगों को एकजुट करता है। बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक देवी दुर्गा की अराधना की जाती है। यह त्योहार सामाजिक और सांस्कृतिक सद्भाव को बढ़ावा देता है।

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