रक्षाबंधन पर निबंध (Essay on Raksha Bandhan in hindi) - राखी 2024 पर निबंध हिंदी में कैसे लिखें

रक्षाबंधन पर निबंध (Essay on Raksha Bandhan in hindi) - राखी 2024 पर निबंध हिंदी में कैसे लिखें

Edited By Team Careers360 | Updated on Aug 16, 2024 09:05 AM IST
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रक्षाबंधन पर निबंध (Essay on Rakshabandhan in hindi): भारत देश विविध त्योहारों का देश है। एक ऐसा देश जहां विभिन्न संस्कृतियां, धर्म, संप्रदाय एक साथ फल-फूल रहे हैं। हर त्योहार किसी न किसी सामाजिक ताने-बाने, रिश्ते का प्रतीक होता है। ऐसा ही एक प्रमुख त्योहार है रक्षाबंधन, यह त्योहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। तमाम विविधताओं के बावजूद रक्षाबंधन (rakshabandhan) एक ऐसा त्योहार है, जो धर्म, संप्रदाय तथा संस्कृतियों की सभी दीवारों को तोड़ कर सभी त्योहारों के बीच एक अलग ही स्थान रखता है। अपने सांस्कृतिक मूल्यों और प्रेमभाव की वजह से देशभर में रक्षाबंधन को सभी उत्साह से मनाते हैं। इस रक्षाबंधन निबंध (Essay on Rakshabandhan in hindi) में रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है, रक्षाबंधन कैसे मनाया जाना चाहिए, रक्षाबंधन 2024 का शुभ मुहूर्त (Rakhi shubmuhurat 2024) रक्षाबंधन के दिन में भद्रा कब है... जैसे प्रश्नों के उत्तर भी मिलेंगे।
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रक्षाबंधन पर निबंध (Essay on Raksha Bandhan in hindi) - राखी 2024 पर निबंध हिंदी में कैसे लिखें
रक्षाबंधन पर निबंध (Essay on Raksha Bandhan in hindi) - राखी 2024 पर निबंध हिंदी में कैसे लिखें

क्या है रक्षाबंधन

रक्षाबंधन 'रक्षा' और 'बंधन' दो शब्दों से मिलकर बना है। इसका मतलब होता है सुरक्षा के लिए प्रतिबद्धता यानी रक्षा का बंधन बांधने वाले की सुरक्षा का संकल्प। रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के पवित्र और आत्मीय रिश्ते को स्वीकार करने का प्रतीक है। रक्षाबंधन उन सभी भाई-बहन के लिए एक ऐसा शुभ और सांस्कृतिक अवसर होता है, जब वे एक-दूसरे को खासकर भाई अपनी बहनों को उपहार, आशीर्वाद, बधाई देकर उनके प्रति अपनी स्नेह को व्यक्त करते हैं। रक्षाबंधन सिर्फ पारिवारिक ही नहीं सामाजिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण है। यह त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। रक्षाबंधन मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाओं को आधार के तौर पर बताया जाता है जिसे आप इस लेख में पढ़ सकते हैं।

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रक्षाबंधन का त्योहार का महत्व भाई-बहन के आपसी स्नेह के चलते है। इसे मनाने के दौरान बहन अपने भाई को आसन पर बिठाकर तिलक लगाकर आरती करती है और भाई के सुखी और समृद्ध तथा लंबे जीवन की ईश्वर से प्रार्थना करते हुए भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं। रक्षाबंधन मंत्र (Rakshabandhan mantra 2024)- "ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामभि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल" का पाठ करते हुए बहनें भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं। श्रावण पूर्णिमा 2024 की शुरुआत 19 अगस्त 2024 को सुबह 3.04 बजे से हो रही है लेकिन राखी का त्योहार मनाते समय शुभमुहूर्त और भद्राकाल का विशेष ध्यान रखकर राखी बाँधी जानी चाहिए। पूर्णामासी की तिथि 19 अगस्त को रात 11.55 बजे तक रहेगी। रक्षाबंधन पर निबंध (essay on rakshabandhan in hindi) के जरिए रक्षाबंधन 2024 त्योहार के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी दी जाएगी।

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रक्षाबंधन पर निबंध - राखी 2024 शुभ मुहूर्त (Rakhi 2024 Shubh muhurat)

रक्षाबंधन के लिए एक शुभ मुहूर्त होता है। इस हिंदी रक्षाबंधन निबंध (Essay on Raksha Bandhan in Hindi) में रक्षाबंधन के शुभ समय की जानकारी दी गई है जिसके दौरान भाई को रक्षासूत्र बाँधने पर शुभ परिणाम मिलते हैं। भद्रा अवधि को अशुभ माना जाता है। भद्राकाल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। ऐसे में भद्रा के समय राखी नहीं बांधी जानी चाहिए। रावण की बहन ने भद्राकाल में रावण को राखी बांधी थी, कहते हैं इसके प्रभाव से पूरे कुल का विनाश हो गया। 19 अगस्त, 2024 श्रावणी पूर्णिमा है और इसी दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। 2024 में भी राखी पर भद्रा का साया रहेगा। रक्षा बंधन के दिन भद्राकाल के कारण राखी बांधने का शुभ मुहूर्त कब है इस बारे में प्रश्न किए जा रहे हैं।

19 अगस्त को राखी बांधने का पहला शुभ मुहूर्त दोपहर 1:32 बजे से आरंभ है और रात 9:07 बजे तक राखी बांधने का शुभ मुहूर्त बताया जा रहा है। हालांकि सूर्यास्त के बाद राखी नहीं बांधी जाती है। दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर 1.42 बजे से शाम 4.19 मिनट तक है।

रक्षा बंधन डेट 2024 राखी बांधने का समय

ईवेंटरक्षाबंधन 2024
अन्य लोकप्रिय नामराखी
महत्वभाई-बहन के आपसी प्रेम का पर्व
रक्षाबंधन 2024 कब मनाया जाएगा19 अगस्त, 2024
रक्षाबंधन 2024 भद्राकाल19 अगस्त सुबह 5:52 बजे से दोपहर 1:32 बजे तक
रक्षाबंधन मुहूर्त 2024 शुभमुहूर्त19 अगस्त 2024- दोपहर 1:42 बजे के बाद

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रक्षाबंधन पर निबंध (Essay on Rakhsabandhan in Hindi) और विद्यार्थी

हिंदी में रक्षाबंधन पर निबंध (essay on raksha bandhan in hindi) का एक रोचक पहलू यह है कि इस त्योहार की जानकारी बच्चों को परीक्षा में अच्छे अंक लाने में भी मददगार होती है। छोटी कक्षाओं की परीक्षा में कई बार रक्षाबंधन पर निबंध (Rakshabandhan Essay in hindi) लिखने से संबंधित प्रश्न पूछा जाता है जो कि पेपर की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में अक्सर कई छात्र जिन्हें निबंध लिखना नहीं आता, वे इस बात को लेकर चिंतित रहते हैं कि रक्षाबंधन पर निबंध कैसे लिखें, या फिर ऐसे छात्र जिन्हें हिंदी विषय कठिन लगता है, वे भी इस दुविधा में रहते हैं कि रक्षाबंधन पर हिंदी में निबंध कैसे लिखा जाए?

कई बार छात्रों को अभिभावक या शिक्षक हिंदी में रक्षाबंधन पर निबंध (essay on raksha bandhan in hindi) या राखी पर निबंध (essay on rakhi in hindi) लिखने के लिए भी कह देते हैं। रक्षाबंधन पर निबंध (essay on rakshabandhan in hindi) छात्रों को इस त्योहार का महत्व बताने का भी काम करेगा। हिंदी में लिखा गया यहा रक्षाबंधन निबंध (essay on raksha bandhan in hindi) छात्रों के लिए सहायक होगा, ऐसी हम आशा करते हैं। इसलिए हम आपके लिए यह हिंदी रक्षाबंधन निबंध (Essay on Raksha Bandhan in Hindi) लेकर आए हैं।

इस हिंदी रक्षाबंधन पर निबंध (rakshabandhan essay in hindi) से आपकी उपर्युक्त सारी समस्याओं का समाधान हो जाएगा, ऐसी हमें आशा है। Essay on Raksha Bandhan in Hindi निबंध से न सिर्फ आपको रक्षाबंधन पर निबंध हिंदी में (essay on rakshabandhan in hindi) लिखने में सहायता मिलेगी, बल्कि आप इस निबंध का विश्लेषण कर निबंध लिखने का तरीका भी समझ सकते हैं। इसके अलावा इस लेख से रक्षाबंधन पर निबंध (essay on raksha bandhan in hindi) लेखन का कौशल बेहतर होगा और रक्षाबंधन (rakshabandhan) के पर्व को लेकर जानकारी भी बढ़ेगी, ऐसी हम उम्मीद करते हैं। हम अनुरोध करते हैं कि आप इस रक्षाबंधन पर निबंध (essay on rakshabandhan in hindi) की पूरी नकल करने से बचें और इस निबंध से लिखने की प्रेरणा लेकर, स्वयं ही रक्षाबंधन पर निबंध हिंदी में (rakshabandhan essay in hindi) लिखने की कोशिश करें। लेख शुरू करने से पहले आपको बता दें कि इस वर्ष यानी रक्षाबंधन 2024 (rakshabandhan 2024 in hindi) में 19 अगस्त, 2024 को मनाया जाएगा।

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रक्षाबंधन पर निबंध : रक्षाबंधन 2024 (Rakshabandhan essay in hindi : Rakshabandhan 2024)

भारत को दुनिया भर में त्योहारों के देश के तौर पर जाना जाता है। इसकी एक खास वजह भी है। दरअसल यहां साल भर किसी न किसी त्योहार को लेकर हलचल होती रही होती है। यह सरगर्मी और बाजार व देश में होने वाली हलचल पूरी तरह से त्योहारों के महत्व पर निर्भर करती है। सीधे शब्दों में समझें तो त्योहार जितना बड़ा यानी महत्वपूर्ण होगा, देशभर में उसे लेकर उतनी ही ज्यादा हलचल देखने को मिलेगी। इनमें से ही एक महत्वपूर्ण त्योहार है रक्षाबंधन का यानी राखी का। रक्षाबंधन वैसे तो पूरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन उत्तर भारत के लोग इसे विशेष तौर पर मनाते हैं। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके लंबी उम्र की कामना करती हैं। इसके बदले में भाई उन्हें कोई तोहफा देने के साथ-साथ मन ही मन एक वचन भी देते हैं कि वे अपने पूरे जीवन उनका सुख-दुख व मुश्किलों में साथ देंगे।

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इसके अलावा इस दिन भारत के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को छोटी-छोटी बच्चियां राखी बांधती हैं। अब तो कई जगह पर इस दिन पर्यावरण प्रेमियों द्वारा पेड़ों को भी राखी बांधने की परंपरा शुरू हो गई है। वैसे सही मायनों में देखा जाए, तो रक्षाबंधन असल में दो शब्दों के मेल से बना है, रक्षा और बंधन। रक्षा जिसका शाब्दिक अर्थ है सुरक्षा और बंधन का अर्थ है बांधना। ऐसे में इस शब्द का मतलब ही यह है कि ऐसा धागा जो सुरक्षा की कामना के साथ बांधा गया हो।

रक्षाबंधन के अलग-अलग नाम

रक्षाबंधन का यह त्योहार कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है। चूंकि यह प्रत्येक वर्ष हिंदू कैलेंडर के अनुसार सावन महीने के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है इसलिए कई जगह पर इसे राखी पूर्णिमा भी कहा जाता है। महाराष्ट्र में इसे श्रावणी या फिर नारियल पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र व ओडिशा के ब्राह्मणों के बीच यह पर्व अवनि अवित्तम के नाम से भी प्रसिद्ध है। वहीं कुछ इलाकों में इसका एक और नया नाम उपक्रमण भी है। कई जगहों पर इसे श्रावण पूजन के तौर पर भी मनाया जाता है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान श्रीराम के पिता राजा दशरथ के हाथों गलती से श्रवण कुमार की हत्या हो गई थी, जिसके बाद राजा दशरथ ने पश्चाताप करने के लिए इस दिन को श्रावणी पूर्णिमा के तौर पर मनाने की परंपरा शुरू की। मगर रक्षाबंधन के त्योहार के पीछे महज एक नहीं, बल्कि कई लोकप्रिय कथा प्रचलित हैं।

रक्षाबंधन के लिए प्रचलित कथाएं

एक कथा के अनुसार द्रौपदी ने भगवान कृष्ण के हाथ पर चोट लगने पर, अपने साड़ी का एक हिस्सा फाड़कर उनके हाथों पर बांध दिया था, जिसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को उसकी रक्षा का वचन दिया था। ऐसे में जब द्रौपदी का चीरहरण किया जा रहा था, तब भगवान श्री कृष्ण ने उनकी रक्षा कर, अपना वचन पूरा किया। एक अन्य लोकप्रिय कहानी यह है कि इस दिन चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने मुग़ल सम्राट हुमायूँ को रक्षाबंधन भिजवाया था, जिसके बाद हुमायूँ ने अपने भाई होने का कर्तव्य निभाते हुए गुजरात के सम्राट से चित्तौड़ की रक्षा में रानी कर्णावती की मदद की थी। हालांकि रक्षाबंधन के बारे में कहा जाता है कि यह प्रमुख तौर पर हिंदुओं का त्योहार है, लेकिन इस त्योहार की उत्पत्ति की एक कहानी जैन धर्म से भी जुड़ी है जिसके अनुसार बिष्णुकुमार नामक मुनिराज ने इस दिन 700 जैन मुनियों की रक्षा की थी जिसके बाद से ही रक्षाबंधन मनाने का सिलसिला शुरू हुआ।

जैन धर्म से जुड़ी रक्षाबंधन की कहानी को अगर छोड़ दें, तो रक्षाबंधन की इन कहानियों में भले ही हमें तमाम तरह की विविधता देखने को मिलती है, लेकिन एक चीज जो समान रूप से सभी कहानियों में मौजूद है, वह है भाइयों का अपनी बहनों की रक्षा हेतु वादा तथा समय आने पर उस वादे पर अटल रहने की इच्छाशक्ति। भाइयों की ये इच्छाशक्ति और बहनों का प्रेम ही इस पर्व को और भी खास व पवित्र बना देता है। यह पर्व न सिर्फ भाई और बहनों के बीच मौजूद प्रेम को और भी गहरा करता है, बल्कि जीवन भर उनके साथ इसकी यादें भी जुड़ी रहती हैं, जिसकी वजह से उन्हें कभी भी अकेलेपन का एहसास नहीं होता है।

इस दिन कई जगहों पर मेले लगते हैं। बाज़ारों में इस दिन की रौनक देखते ही बनती है। मगर आज के दौर में एक कड़वा सच यह भी है कि रक्षाबंधन एक पर्व से ज्यादा दिखावटी संस्कृति हो चला है, जहां कलाई पर बांधी जाने वाली रक्षासूत्र की जगह फ़ैन्सी राखियों ने ले ली है और बहनों को किए जाने वाले वादे की जगह आकर्षक तोहफों और सोशल मीडिया पर हँसती-मुसकुराती तस्वीरों ने ले ली है। भाई और बहन के इस पवित्र पर्व पर व्यापारीकरण हावी हो चला है। बाजार में और टीवी पर इस दौरान दुनिया भर के लुभावने उत्पादों का विज्ञापन चलाकर इस पर्व को इस तरह से पेश किया जाता है कि यदि आपने ये उपहार इस रक्षाबंधन अपनी बहन या भाई को न दिया, तो फिर इस त्योहार का महत्व ही नहीं रह जाएगा।

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जबकि इस पर्व का संदेश और सार इनसब चीजों से अलग, भाई और बहन के रिश्ते को और भी मजबूत करने से जुड़ा है। यह प्रेम का पर्व है, पवित्रता का पर्व है, जहां महंगे कपड़ों, उपहार, फ़ैन्सी राखियों से ज्यादा एक बहन का अपने भाई की कलाई पर धागा बांधना और भाई का इसके बदले अपनी बहन को उसकी मुश्किलों से दूर रखने के वादे का महत्व है। रक्षाबंधन साल में एक बार आता है, लेकिन भाई-बहनों का संबंध जीवन भर के लिए रहता है। मुमकिन है कि समय बीतने के साथ एक वक्त ऐसा भी आए जब भाई-बहन साथ न रहें, मगर उन दोनों के बीच चाहे कितनी भी दूरी हो जाए, वो हमेशा भावनाओं की एक डोर से जुड़े रहते हैं। यही भावनाओं की डोर रक्षाबंधन के दिन मन से निकल कर भाइयों की कलाई पर सजती है। यह पर्व एक तरह से उन भाई-बहनों के लिए भी साल भर में एक बार मिलने का एक बहाना भी बन जाता है, जिनके बहनों का विवाह हो गया है या फिर किसी भी वजह से उन दोनों को दूर-दूर रहना पड़ता है। निश्चित ही रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहनों के लिए किसी महापर्व से कम नहीं है।

हम उम्मीद करते हैं कि उपर्युक्त रक्षाबंधन पर निबंध (Rakshabandhan Essay in hindi) के माध्यम से रक्षाबंधन पर निबंध (Rakshabandhan Essay in hindi) से संबंधित आपकी सभी समस्याओं का समाधान हो गया होगा। इस लेख में दी गई जानकारी का उपयोग कर आप भविषय में रक्षाबंधन पर निबंध लिखने में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं महसूस करेंगे। धन्यवाद।

Frequently Asked Questions (FAQs)

1. रक्षाबंधन पर निबंध कैसे लिखें?

रक्षाबंधन पर निबंध लिखने के लिए सबसे पहले इसके बारे में बताएं कि यह क्या है, क्यों मनाया जाता है, इसका महत्व क्या है? रक्षाबंधन भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है। रक्षाबंधन त्योहार भाई-बहन के रिश्ते के महत्व को स्पष्ट करता है और यह उनके प्यार और साथी बंधन का प्रतीक होता है। राखी बांधने से पहले, बहनें अपने भाइयों की पूजा करती हैं, तिलक लगाती हैं और फिर उनके कलाई पर एक धागा या राखी बांधती हैं, जिससे रिश्ता गहरा और मजबूत होता है। उसके बाद उन्हें मिठाई खिलाती हैं। भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं। रक्षाबंधन को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। इस लेख में उनका उल्लेख किया गया है।

2. रक्षाबंधन की कहानी क्या है?

रक्षाबंधन को लेकर कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं। इनमें से एक है- कृष्‍ण और द्रौपदी का रक्षाबंधन। महाभारत के समय एक बार भगवान श्री कृष्ण की अंगुली में चोट लग गई थी और उसमें से खून बहने लगा था। द्रौपदी वहां मौजूद थीं। द्रौपदी कृष्ण की सखा भी थीं। द्रौपदी ने तुरंत अपनी आंचल का पल्लू फाड़कर उनकी कटी अंगुली में बांध दिया और रक्त प्रवाह रूक गया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन से रक्षासूत्र या राखी बांधने की परंपरा शुरू हुई।

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