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महात्मा गांधी पर स्पीच (Mahatma Gandhi Speech Hindi)

महात्मा गांधी पर स्पीच (Mahatma Gandhi Speech Hindi)

Edited By Nitin | Updated on Oct 01, 2024 04:51 PM IST

महात्मा गांधी पर स्पीच (Mahatma Gandhi speech hindi) - महात्मा गांधी जी का नाम सुनते ही हमारा मन देश भक्ति की भावना से अभिभूत हो जाता है। महात्मा गांधी जी का व्यक्तित्व ही ऐसा है जिससे कोई भी व्यक्ति प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता। महात्मा गांधी जी पर वैसे तो बहुत सारे निबंध तथा भाषण आपको मिल जाएंगे परन्तु हम आपके समक्ष विस्तार से और सरल भाषा में उनके व्यक्तित्व की विशेषताओ का वर्णन करने का प्रयास कर रहे हैं। किसी ऐसे व्यक्ति जिसने पूरी दुनिया को शांति और अहिंसा का संदेश दिया हो और अपने देश की आजादी के लिए जीवन न्योछावर किया हो, उसे शब्दों में ढालना काफी कठिन कार्य है। फिर भी, हम आपके समक्ष महात्मा गांधी जी के जीवन तथा उनके व्यक्तित्व से प्राप्त होने वाली शिक्षाओं को उजागर करने का छोटा सा प्रयास कर रहे हैं।

महात्मा गांधी पर स्पीच (Mahatma Gandhi Speech Hindi)
महात्मा गांधी पर स्पीच (Mahatma Gandhi Speech Hindi)

महात्मा गांधी पर स्पीच (speech on Mahatma Gandhi in hindi ) आपको गांधी जी के बारे में सपूर्ण ज्ञान प्रदान करने के साथ-साथ, किसी विशेष अवसर पर महात्मा गांधी पर स्पीच (speech on Mahatma Gandhi in hindi) बोलने में सहायता करेगी। साथ ही आप उनके दर्शन को अपने जीवन में आत्मसात कर एक बेहतर व्यक्ति भी बन सकते हैं।
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महात्मा गांधी पर स्पीच (Mahatma Gandhi Speech hindi): महात्मा गांधी का जीवन परिचय

महात्मा गांधी जिनका पूरा नाम मोहन दास करमचंद गांधी था। इनके पिता का नाम करमचंद गांधी था तथा माता का नाम पुतली बाई था। इनका जन्म 2 अक्टूबर1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में ही हुई थी और यही से उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की थी। मैट्रिक के बाद उन्होंने भावनगर के शामलदास कॉलेज से उच्च शिक्षा उत्तीर्ण की। गांघी जी का विवाह केवल 13 वर्ष की आयु में कस्तूर बाई मकनजी से हुआ था जो बाद में कस्तूरबा गाँधी के नाम से प्रसिद्ध हुई।

गांधी जी डॉक्टर बनना चाहते थे परन्तु उनका परिवार उन्हें बैरिस्टर बनाना चाहता था । उस समय लंदन को शिक्षा का केंद्र माना जाता था इसलिए 4 सितंबर 1888 को गाँधी जी वकालत की पढाई करने के लिए लंदन चले गए थे।

इंग्लैंड और वेल्स के बार एसोसिएशन के द्वारा उन्हें वापस बुलाने पर वे भारत लौट आये थे परन्तु बम्बई में वकालत करने में उन्हें सफलता प्राप्त नहीं हुई। इसके पश्चात् हाई स्कूल में एक शिक्षक के रूप में नौकरी प्राप्त करने का प्रार्थना पत्र अस्वीकार कर दिये जाने पर उन्होंने जरूरतमन्दों के लिये मुकदमे की अर्जियाँ लिखने का कार्य राजकोट से ही किया। परन्तु एक अंग्रेज अधिकारी की मूर्खता के कारण उन्हें यह कार्य भी छोड़ना पड़ा। उन्होंने अपनी आत्मकथा में इस घटना को अपने बड़े भाई की ओर से परोपकार का असफल प्रयास के रूप में वर्णन किया है। यही वह कारण था जिस वजह से उन्होंने सन् 1893 में एक भारतीय फर्म से नेटाल दक्षिण अफ्रीका में, जो उन दिनों ब्रिटिश साम्राज्य का भाग हुआ करता था, एक वर्ष के करार पर वकालत करना स्वीकार किया।

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महात्मा गांधी पर स्पीच (Mahatma Gandhi Speech hindi): महात्मा गांधी जी का दक्षिण अफ्रीका में संघर्ष

दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी को भारतीयों पर नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ा। प्रथम श्रेणी का टिकट होने के बाद भी तीसरी श्रेणी के डिब्बे में जाने से मना करने पर उन्हें ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया था। उन्होंने अपनी दक्षिण अफ्रीका की यात्रा में अन्य भी बहुत सी कठिनाइयों का सामना किया। अफ्रीका में कई होटलों को उनके लिए वर्जित कर दिया गया था। इसी प्रकार की बहुत सी घटनाओं में से एक घटना यह भी थी कि अदालत के न्यायाधीश ने उन्हें अपनी पगड़ी उतारने का आदेश दिया था जिसे उन्होंने मानने से इंकार कर दिया था। ये सभी घटनाएँ गाँधी जी के जीवन में परिवर्तन का एक बिंदु था और समाज में विद्यमान अन्याय के प्रति जागरुकता का कारण बना। दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों पर हो रहे अत्याचार के लिए गाँधी जी ने अंग्रेजी साम्राज्य के अन्तर्गत अपने देशवासियों के सम्मान तथा देश में स्वयं की स्थिति पर प्रश्न उठाये।
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गाँधी जी ने दक्षिण अफ्रीका से ही सत्याग्रह की शुरुआत की, उनके दक्षिण अफ्रीका में कुछ कार्य इस प्रकार हैं:-

  • उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में भारतियों और अफ़्रीकी नागरिकों के प्रति नस्लीय भेदभाव के विरुद्ध 1894 में अहिंसक विरोध किया, इस विरोध में हजारो लोगो ने उनका साथ दिया

  • 1899 में बोअर युद्ध के समय अंग्रेजो के लिए एम्बुलैंस का प्रबंध किया परन्तु इसके बावजूद भी उन्हें नस्लीय भेद का सामना करना पड़ा

  • गाँधी जी ने डरबन के निकट फिनिक्स फार्म की स्थापना की जहाँ उन्होंने अपने लोगो को शांतिपूर्ण, संयमित और अहिंसक सत्याग्रह की शिक्षा प्रदान की। यह ही वास्तव में सत्याग्रह का जन्मस्थान था।

  • उन्होंने टॉलस्टॉय फार्म की भी स्थापना की जहाँ सत्याग्रह को अत्याचार के विरोध के रूप में प्रयोग करने की शिक्षा का प्रसार हुआ।

  • महात्मा गाँधी जी ने पहला सत्याग्रह ट्रांसवाल एशियाटिक अध्यादेश के विरोध में 1906 में किया था। इसके बाद उन्होंने 1907 में काले अधिनियम के विरोध में सत्याग्रह किया था।

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महात्मा गांधी पर स्पीच (Mahatma Gandhi Speech in Hindi): भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी जी की भूमिका

गाँधी जी 1915 में वापस भारत लौट आये। इसके पश्चात 1917 से उन्होंने सक्रिय रूप से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। गाँधी जी को पहली बड़ी सफलता 1918 में खेडा सत्याग्रह में प्राप्त हुई थी। इस वर्ष खेडा के कुनबी-पाटीदार किसानो ने सरकार से लगान में राहत देने की मांग की थी, क्योंकि पुरे गुजरात में फसल नहीं हुई थी। परन्तु सरकार ने किसानों की बात नहीं सुनी। इसके विरोध में गांधी जी ने वहां सत्याग्रह किया। गाँधी जी ने जनता से इस आंदोलन के माध्यम से स्वयं सेवक बनने की अपील की, यह गांधी जी का प्रभाव ही था कि सरदार पटेल अपनी वकालत छोड़ कर इस आंदोलन में शामिल हो गए थे।

चंपारण सत्याग्रह बिहार के चंपारण जिले में नील की खेती करने वाले किसानों पर यूरोपीय लोगो की दमनकारी नीति के विरोध में किया गया आंदोलन था। वहां के स्थानीय नेता राजकुमार शुक्ल द्वारा महात्मा गाँधी जी को किसानों की पीड़ा हरने के लिए आमंत्रित किया गया। गाँधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में अपनाये गए अस्त्र सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह को यहाँ भी अपनाया और केवल 4 महीने के भीतर किसानों को उनकी पीड़ा से मुक्ति प्रदान की।

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महात्मा गांधी पर स्पीच (Mahatma Gandhi speech hindi): असहयोग आंदोलन

असहयोग आंदोलन की शुरुआत अंग्रेजो द्वारा किये गए जलियांवाला बाग़ हत्याकांड के विरोध में की गई थी। इसकी शुरुआत करते हुए गाँधी जी ने कहा था कि “राष्ट्रिय सम्मान की पुष्टि करने तथा भविष्य में गलतियों की पुनरावृति को रोकने का एकमात्र साधन स्वराज की स्थापना है।” इसमें गांधीजी ने देश में अहिंसक विरोध के साथ-साथ सरकार के साथ सहयोग न करने पर बल दिया था। साथ ही सरकार की सभी वस्तुओं, शिक्षा केन्द्रों, सरकारी नौकरियों आदि का बहिस्कार करने की रणनीति अपनाई थी तथा स्वदेशी का प्रसार करने तथा खादी के वस्त्रो का उपयोग करने की नीति का प्रयोग किया गया था। परन्तु फरवरी 1922 में चोरा-चोरी की घटना के कारण गाँधी जी को यह आंदोलन वापस लेना पड़ा ।

इसके पश्चात गाँधी जी मूलतः सक्रीय राजनीती से दूर रहे परन्तु जब भी देश को उनकी आवश्यकता हुई वह सामने आये और देश के हित के लिए आंदोलन किए। उनके द्वारा नमक आंदोलन भी किया गया जिसमे उन्होंने दांडी मार्च किया और नमक बनाकर सरकार की दमनकारी नीतियों का विरोध किया। इसके पश्चात 1932 में, जब अंग्रजो ने दलितों को अलग निर्वाचन क्षेत्र देने का प्रयास किया और दलित नेता और प्रकांड विद्वान बाबासाहेब अम्बेडकर को पृथक करने का प्रयास किया तब इस पृथक्करण की नीति के विरोध में गांधी जी ने सितंबर 1932 में छ: दिन का अनशन किया जिसने सरकार को अपना फैलसा बदलने पर विवश किया। दलितों के जीवन को सुधारने के लिए गांधी जी ने इस अभियान की शुरूआत की थी। गांधी जी ने दलितों को हरिजन का नाम दिया था जिन्हें वे भगवान की संतान मानते थे।

महात्मा गांधी पर स्पीच (Mahatma Gandhi speech hindi) : महात्मा गांधी जी का भारत छोड़ो आंदोलन

महात्मा गांधी जी ने 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी। इसी आंदोलन की शुरुआत के दौरान गाँधी जी ने ग्वालिया टैंक मैदान में “करो या मरो” का नारा दिया था। यह गाँधी जी का सबसे बड़ा आंदोलन था यह आंदोलन द्वितीय विश्वयुद्ध के मध्य में भारत को स्वतंत्र करवाने के लिए किया गया था। इस आंदोलन की विफलता का कारण क्रिप्स मिशन की विफलता था।

महात्मा गांधी पर स्पीच (Mahatma Gandhi speech hindi): महात्मा गांधी जी का दर्शन

महात्मा गाँधी जी के दर्शन के चार महत्वपूर्ण स्तंभ – सत्य, अहिंसा, प्रेम और सद्भाव है। इसमें सत्य उनकी आत्मा है इसी के कारण वह स्वाबलंबी बने और इसीलिए उन्होंने अपनी आत्मकथा का नाम “सत्य से मेरे प्रयोग” रखा इसे उन्होंने गुजराती भाषा में ही लिखा है। अहिंसा से तात्पर्य किसी को आहात न करना है इसलिए ही उनकी जयंती अर्थात 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है तथा प्रेम, सभी प्राणियों से प्रेम करने की भावना का प्रतिनिधि करता है। गाँधी जी ने इन्ही के बल पर हमारे इतने विशाल देश को स्वतंत्रता दिलवायी। उन्होंने अक्रामक, निर्दयी अंग्रेज सरकार से भारत को अहिंसा, सत्य प्रेम और सद्भाव के माध्यम से स्वतंत्र करवाया।

महात्मा गांधी पर स्पीच (Mahatma Gandhi speech hindi)

गांधी जी का व्यक्तित्व पर्वत के समान विशाल था तथा उनके विचार उस से भी अधिक विशाल । उनके विचार हमें आज भी प्रेरणा प्रदान करते है और अपने चरित्र के निर्माण में सहायता करते हैं। आज भी गाँधी जी के प्रत्येक विचार प्रासंगिक है। हमे अपने जीवन में उनके विचारों को आत्मसात करना चाहिए।

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Frequently Asked Questions (FAQs)

1. महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम क्या था?

महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहन दास करमचंद गाँधी था

2. गाँधी जी के पिता और माता का क्या नाम था?

गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतली बाई था

3. गाँधी जी का जन्म कब हुआ था?

गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था

4. महात्मा गाँधी जी की प्रारंभिक शिक्षा कहा हुई?

महात्मा गाँधी जी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में ही हुई

5. महात्मा गाँधी जी के दर्शन के कितने स्तंभ है?

महात्मा गाँधी जी के दर्शन के चार स्तंभ है

6. महात्मा गाँधी जी के दर्शन के चार स्तंभ कौन से है?

महात्मा गाँधी जी के दर्शन के चार स्तंभ:- सत्य, अहिंसा, प्रेम और सद्भाव है

7. महात्मा गाँधी जी की आत्मकथा का नाम क्या है?

महात्मा गाँधी जी की आत्मकथा का नाम “सत्य से मेरे प्रयोग है”

8. महात्मा गाँधी जी की आत्मकथा किस भाषा में लिखी गयी है?

महात्मा गाँधी जी की आत्मकथा मूलतः गुजराती में लिखी गयी है

9. अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस कब मनाया जाता है?

अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस 2 अक्टूबर को मनाया जाता है

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