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वसुधैव कुटुंबकम् पर निबंध (Vasudhaiva Kutumbakam Essay)

वसुधैव कुटुंबकम् पर निबंध (Vasudhaiva Kutumbakam Essay)

Edited By Alok Mishra | Updated on Feb 08, 2024 11:20 AM IST
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वसुधैव कुटुंबकम् पर निबंध (Vasudhaiva Kutumbakam Essay) - वसुधैव कुटुंबकम् भारतीय जीवन दर्शन का सार वाक्य है। हर भारतीय इस पर गर्व करता है। विश्व बंधुत्व की भावना को प्रगाढ़ करने वाले इस सूत्र वाक्य के मूल तथा भारतीय दर्शन की गहराई को दुनिया ने समझ लिया है और इसे बढ़ावा देने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। इन प्रयासों ने वसुधैव कुटुंबकम् (Essay on Vasudhaiva Kutumbakam in Hindi) को विश्व भर में तेजी से लोकप्रिय बनाने का काम किया है।

वसुधैव कुटुंबकम् पर निबंध (Vasudhaiva Kutumbakam Essay)
वसुधैव कुटुंबकम् पर निबंध (Vasudhaiva Kutumbakam Essay)

इसका प्रभाव हमें हाल ही में आयोजित हुए जी-20 (G-20) सम्मेलन में देखने को मिला जिसमें दुनिया भर के देशों के प्रतिनिधि भारत में आए और विश्व बंधुत्व की भावना को और प्रगाढ़ करने की बात पर बल देते हुए भारतीयों के इस भावना का सम्मान करते दिखे जो पूरे विश्व को एक परिवार की तरह देखने की बात करता है। जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन में कहे गए इस वक्तव्य की वैश्विक स्तर पर चर्चा हुई जब उन्होंने कहा कि हमारा देश भारत परंपरा, आध्यात्म और आस्था की भूमि है। यहां दुनिया के हर धर्म ने सम्मान पाया है। प्रधानमंत्री ने वैश्विक स्तर पर ग्लोबल वार्मिंग की समस्या और उसके निजात के प्रयास की चर्चा कर भारत के वसुधैव कुटुंबकम् की भावना को रेखांकित किया।

भारतीय संस्कृति में हजारों वर्ष पहले से ही शांतिपूर्ण सहअस्तित्व और बंधुत्व की भावना के महत्व को समझ लिया गया था। वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना उसी ओर इंगित करती है, अब इसकी बढ़ती प्रासंगिकता और जरूरत ने भारतीय संस्कृति और साहित्य की ओर भी विश्व का ध्यान आकृष्ट करने का काम किया है। सभी भारतीय विचार पद्धति की दूरदर्शिता से बेहद प्रभावित हैं। वसुधैव कुटुंबकम् का विचार भारतीय दर्शन को वैश्विक स्तर पर और सशक्त बनाने का कार्य कर रहा है।

समूची दुनिया में वसुधैव कुटुंबकम भारतीयता की पहचान स्थापित कर रहा है। वसुधैव कुटुंबकम का दर्शन (Vasudhaiva Kutumbakam philosophy) पारस्परिक सद्भाव, गरिमा और जवाबदेही को प्रोत्साहित करता है। वसुधैव कुटुंबकम की भावना स्थिरता, समझ और शांति को पोषित कर संसार को बेहतर बनाने की क्षमता रखती है। इस अवधारणा को अपनाकर हम सभी के लिए एक बेहतर, अधिक समावेशी और सामंजस्यपूर्ण दुनिया बनाने की दिशा में काम कर सकते हैं। वसुधैव कुटुंबकम् पर निबंध (Vasudhaiva Kutumbakam Essay) के जरिए इस पर अधिक प्रकाश डालने का प्रयास किया गया है।

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वसुधैव कुटुंबकम की भावना को पोषित करने की आवश्यकता सदैव रही है पर इसकी आवश्यकता इस समय में पहले से कहीं अधिक है। समय की जरूरत को देखते हुए इसके महत्व से भावी नागरिकों को अवगत कराने के लिए वसुधैव कुटुंबकम विषय पर निबंध या भाषणों का आयोजन भी स्कूलों में किया जाता है। कॅरियर्स360 के द्वारा छात्रों की इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए वसुधैव कुटुंबकम विषय पर यह लेख तैयार किया गया है। वसुधैव कुटुंबकम के इस निबंध (essay on Vasudhaiva Kutumbakam in hindi) से जहां इस विषय के प्रति छात्रों में समझ बढ़ेगी वहीं परीक्षा में इसका प्रश्न पूछे जाने पर बेहतर अंक लाने में भी उन्हें मदद मिलेगी। यहां वसुधैव कुटुंबकम पर कुछ नमूना निबंध (sample essays on Vasudhaiva Kutumbakam) दिए गए हैं।

वसुधैव कुटुंबकम पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay on Vasudhaiva Kutumbakam)

वसुधैव कुटुंबकम् एक संस्कृत वाक्यांश है जिसका अर्थ है "संपूर्ण विश्व एक परिवार है"। यह महा उपनिषद् से लिया गया है। वसुधैव कुटुंबकम् वह दार्शनिक अवधारणा है जो सार्वभौमिक भाईचारे और सभी प्राणियों के परस्पर संबंध के विचार को पोषित करती है। यह वाक्यांश संदेश देता है कि प्रत्येक व्यक्ति वैश्विक समुदाय का सदस्य है और हमें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए, सभी की गरिमा का ध्यान रखने के साथ ही सबके प्रति दयाभाव रखना चाहिए। यह सिद्धांत विविधता को अपनाने और सभी देशों और संस्कृतियों के बीच शांति, एकता और सहयोग को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर देता है। वैश्विक महाशक्ति बनने को आतुर देशों के कारण वैश्विक शांति पर बहुत बड़ा खतरा बहुत मंडरा रहा है। आपस में मजबूती से जुड़ी हुई इस दुनिया में अब वसुधैव कुटुंबकम का संदेश पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है। गरीबी, असमानता और संघर्ष जैसी चुनौतियां मुंह फैलाकर पूरी दुनिया को निगलने के लिए तैयार खड़ी हैं।

वसुधैव कुटुंबकम् का पूरा श्लोक और भी गहरा अर्थ समेटे हुए है। आइए जानते हैं क्या है पूरा श्लोक

अयं निजः परो वेति गणनालघु चेतसाम्, उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् |

इसका अर्थ है - यह मेरा है, यह पराया है इस तरह की गणना छोटी सोच रखने वाले करते हैं। उदार चरित्रवालों के लिए तो पूरी पृथ्वी ही परिवार है।

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वसुधैव कुटुंबकम क्या है

वसुधैव कुटुंबकम का सही अर्थ सार्वभौमिक भाईचारे और सभी प्राणियों के परस्पर जुड़ाव के सार को समाहित करता है। यह प्राचीन भारतीय दर्शन के इस विचार पर प्रकाश डालता है कि संपूर्ण विश्व एक बड़ा परिवार है, जहां हर व्यक्ति इस परिवार का एक सदस्य है, चाहे उसकी नस्ल, धर्म, राष्ट्रीयता या जातीयता कुछ भी हो। वसुधैव कुटुंबकम वाक्यांश इस विश्वास का प्रतिनिधित्व करता है कि हमें सभी के साथ दया, करुणा और सम्मान के साथ व्यवहार करना चाहिए और शांति और सद्भाव के साथ रहने का प्रयास करते रहना चाहिए।

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वसुधैव कुटुंबकम निबंध (Essay on Vasudhaiva Kutumbakam in Hindi)- वसुधैव कुटुंबकम का महत्व

आज के आपाधापी से भरे और आपस में जुड़े इस संसार में, वसुधैव कुटुंबकम का संदेश पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है। हम एक ऐसे वैश्विक गांव में रहते हैं जहां राष्ट्रों, संस्कृतियों और लोगों के बीच की सीमाएं तेजी से धुंधली होती जा रही हैं। इसलिए, वसुधैव कुटुंबकम के दर्शन को अपनाना और एक ऐसी दुनिया बनाने का प्रयास करना अनिवार्य हो जाता है, जहां सभी के साथ समान रूप से और गरिमापूर्ण व्यवहार किया जाता हो।

वसुधैव कुटुंबकम का सिद्धांत बेहतर भविष्य का खाका पेश करता है। एकता, सहयोग और आपसी सम्मान को बढ़ावा देकर हम संघर्षों को दूर करने और सुलझाने तथा असमानताओं को कम करने की दिशा में काम कर सकते हैं। वसुधैव कुटुंबकम् की भावना एक ऐसी दुनिया का निर्माण करेगी जो अधिक शांतिपूर्ण, सामंजस्यपूर्ण और समावेशी होगी। वसुधैव कुटुंबकम का भाव हम सभी को इस तथ्य की याद दिलाता है कि एक बेहतर दुनिया के निर्माण में प्रत्येक व्यक्ति की अहम भूमिका है।

वसुधैव कुटुंबकम पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay on Vasudhaiva Kutumbakam in Hindi)

वसुधैव कुटुंबकम का मूल

वसुधैव कुटुंबकम एक संस्कृत वाक्यांश है जो सदियों से भारतीय दर्शन और आध्यात्मिकता में उपयोग किया जाता रहा है। ऐसा माना जाता है कि महाभारत और उपनिषद जैसे प्राचीन भारतीय शास्त्रों से उत्पत्ति हुई है, यह सार्वभौमिक भाईचारे और सभी प्राणियों के अंतर्संबंध के विचार को पोषित करता है। भारतीय साहित्य, संगीत और कला में इसके उपयोग के कारण यह वाक्यांश आधुनिक युग में अधिक व्यापक रूप से जाना जाने लगा है।

समय के साथ, वसुधैव कुटुंबकम को भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत के प्रतीक के रूप में देखा जाने लगा है, जो करुणा के मूल्यों, विविधता के प्रति सम्मान और दुनिया में शांति और एकता को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हालिया वर्षों में वसुधैव कुटुंबकम को अधिक मान्यता और लोकप्रियता प्राप्त हुई है। कई संगठनों, सरकारों और व्यक्तियों के ने वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा को वैश्विक सहयोग और समझ को बढ़ावा देने के वाले माध्यम के रूप में अपनाया है।

वसुधैव कुटुंबकम एक कालातीत सिद्धांत है, जो सदियों से भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक विरासत का हिस्सा रहा है। सार्वभौमिक भाईचारे और सभी प्राणियों के परस्पर जुड़ाव का इसका संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि पहले था, और सभी के लिए एक बेहतर, अधिक सामंजस्यपूर्ण विश्व का सृजन करने की दिशा में काम करने के लिए व्यक्तियों और संगठनों को प्रेरित करने का काम करता आ रहा है।

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वसुधैव कुटुंबकम पर निबंध (Essay on Vasudhaiva Kutumbakam in Hindi) - इसके दर्शनशास्त्र को आत्मसात करना

वसुधैव कुटुंबकम एक संस्कृत वाक्यांश है जिसका अर्थ है "विश्व एक परिवार है"। इस तरह हम वसुधैव कुटुंबकम के दर्शन को विस्तार दे सकते हैं-

विविधता को गले लगाएं- लोगों, संस्कृतियों और विश्वासों में अंतर को स्वीकार करें और उसका जश्न मनाएं।

तद्अनुभूति का अभ्यास करें- दूसरे लोगों के दृष्टिकोण और भावनाओं को समझने की कोशिश करें।

दयालुता को बढ़ावा दें- प्यार और सकारात्मकता फैलाएं, और ज़रूरतमंदों की मदद करें।

करके दिखाएं- अपने कार्यों से दिखाएं कि आप समस्त मानवता की एकता में विश्वास करते हैं।

लोगों को शिक्षित करें- सभी लोगों के परस्पर जुड़ाव के बारे में अपने ज्ञान और विश्वासों को साझा करें और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करें।

इन सिद्धांतों को अपने दैनिक जीवन में शामिल करके, आप एक ऐसी दुनिया बनाने में मदद कर सकते हैं जो विविधता को महत्व देती है और उसका सम्मान करती है, और जहां हर कोई एक दूसरे से अपनेपन और जुड़ाव की भावना महसूस करता है।

वसुधैव कुटुंबकम की प्रासंगिकता

वसुधैव कुटुंबकम का दर्शन आज अत्यधिक प्रासंगिक है क्योंकि यह सभी मनुष्यों के बीच उनकी जाति, धर्म या राष्ट्रीयता की परवाह किए बिना एकता और जुड़ाव के विचार पर जोर देता है।

शांति को बढ़ावा देता है- यह पहचान कर कि सभी लोग एक वैश्विक परिवार का हिस्सा हैं, यह सहानुभूति और करुणा की भावना को प्रोत्साहित करता है, जिससे शांति और सहयोग के स्तर में बढ़ाया जा सकता है।

विविधता के प्रति सम्मान को प्रोत्साहित करता है- वसुधैव कुटुंबकम का दर्शन विविधता को अपनाकर आपसी सम्मान और समझ को बढ़ावा देता है, जो संघर्षों को कम करने और सद्भाव को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।

वैश्विक जिम्मेदारी को बढ़ावा देना- यह मानते हुए कि एक व्यक्ति के कार्य पूरे विश्व को प्रभावित कर सकते हैं, यह दर्शन वैश्विक जिम्मेदारी की भावना को प्रोत्साहित करता है और व्यक्तियों को ऐसे कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करता है जो न केवल स्वयं को बल्कि दूसरों को भी लाभान्वित करते हैं।

स्थिरता का समर्थन करता है- इस विचार को बढ़ावा देकर कि सभी लोग आपस में जुड़े हुए हैं और एक व्यक्ति की भलाई दूसरों की भलाई से जुड़ी हुई है, वसुधैव कुटुंबकम का दर्शन स्थिरता का समर्थन करता है और भविष्य की पीढ़ियों के लिए ग्रह की सुरक्षा को प्रोत्साहित करता है।

वसुधैव कुटुंबकम का दर्शन एकता, सम्मान और जिम्मेदारी को बढ़ावा देता है और इसमें शांति, समझ और स्थिरता को बढ़ावा देकर दुनिया पर सकारात्मक प्रभाव डालने की क्षमता है।

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Frequently Asked Question (FAQs)

1. वसुधैव कुटुम्बकम् का क्या अर्थ है?

पहले जानते हैं इसमें प्रयुक्त दोनों शब्दों का अर्थ-  वसुधा का अर्थ है पृथ्वी, कुटुंब का अर्थ है परिवार। वसुधैव कुटुंबकम् का अर्थ है कि संपूर्ण विश्व एक परिवार है वसुधैव कुटुंबकम् वह दार्शनिक अवधारणा है जो सार्वभौमिक भाईचारे और सभी प्राणियों के परस्पर संबंध के विचार को पोषित करती है।

2. वसुधैव कुटुम्बकम् कहां से लिया गया है?

वसुधैव कुटुंबकम् एक संस्कृत वाक्यांश है जो कि महा उपनिषद् से लिया गया है।

3. वसुधैव कुटुम्बकम् पूरा श्लोक क्या है?

वसुधैव कुटुंबकम् पूरा श्लोक इस प्रकार है- अयं निजः परो वेति गणनालघु चेतसाम्, उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् |

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