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ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (Global Warming Essay in hindi) : आमतौर पर पृथ्वी के औसत तापमान में हो रही बढ़ोतरी को ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) कहा जाता है। पृथ्वी के औसत तापमान के बढ़ने का कारण दुनिया में तेजी से हो रहे आधुनिकीकरण को माना जा रहा है जिससे हमारी धरती बदलाव के दौर से गुजर रही है। एक तरफ बढ़ती जनसंख्या तथा दूसरी ओर विकास के नाम पर दुनिया भर में हरित आवरण को खत्म करते हुए बड़ी संख्या में उद्योगों की स्थापना की जा रही है। लेकिन जैसे-जैसे विकास की रफ्तार बढ़ी है, पृथ्वी की पारिस्थितिकी (इको सिस्टम) की स्थिति काफी हद तक खराब हो गई है।
पर्यावरण के खतरों पर चर्चा करते समय, "ग्लोबल वार्मिंग" वाक्यांश का अक्सर उपयोग किया जाता है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण और परिणाम अभी भी कई लोगों के लिए पूरी तरह जानकारी में नहीं हैं। इन दिनों कई प्रतियोगी परीक्षा से लेकर स्कूल,कॉलेज की परीक्षाओं में भी ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (Essay on Global warming in hindi) संबंधी प्रश्न आ रहे हैं। यहां ग्लोबल वार्मिंग पर कुछ नमूना निबंध दिए गए हैं जिससे परीक्षार्थियों को ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध लिखने के लिए दृष्टिकोण मिलेंगे।
पृथ्वी के औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि को ग्लोबल वार्मिंग के रूप में जाना जाता है। ग्लोबल वार्मिंग अधिकतर जीवाश्म ईंधन जलाने और वायुमंडल में खतरनाक प्रदूषकों के उत्सर्जन के कारण होती है। ग्लोबल वार्मिंग के परिणामस्वरूप जीवित चीजों को बहुत नुकसान हो सकता है। कुछ स्थानों पर तापमान अचानक बढ़ जाता है, जबकि कुछ स्थानों पर अचानक गिर जाता है।
ऊर्जा के लिए जीवाश्म ईंधन का उपयोग ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण है। यह देखा गया है कि पिछले दस वर्षों में पृथ्वी का औसत तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है। यह चिंता का कारण है क्योंकि यह पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है और पर्यावरणीय गड़बड़ी पैदा कर सकता है। यदि हम अपने जंगलों में नष्ट हो चुकी वनस्पतियों को फिर से लगाने के लिए निर्णायक कार्रवाई करते हैं, तो हम ग्लोबल वार्मिंग को रोक सकते हैं। ग्लोबल वार्मिंग की दर को धीमा करने के लिए हम सौर, पवन और ज्वारीय ऊर्जा जैसे टिकाऊ ऊर्जा स्रोतों का भी उपयोग कर सकते हैं।
समय के साथ पृथ्वी के औसत वैश्विक तापमान में सतत वृद्धि को ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है। ऐसा कहा गया है कि विभिन्न कारणों से मनुष्यों द्वारा जल, जंगल और जमीन खासकर बड़े पैमाने पर वनों की कटाई इसके लिए जिम्मेदार है। हर साल, हम बहुत अधिक ईंधन का उपयोग करते हैं। मानव जनसंख्या बढ़ने के कारण लोगों की ईंधन जरूरतों को पूरा करना असंभव होता जा रहा है। प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग सावधानी से करना चाहिए क्योंकि वे सीमित हैं। यदि मनुष्य वनों और अन्य खनिज संपदा का अत्यधिक उपयोग करेगा तो पारिस्थितिकी तंत्र असंतुलित हो जाएगा। केवल तापमान वृद्धि ही ग्लोबल वार्मिंग का एकमात्र संकेत नहीं है। इसके अन्य परिणाम भी हैं।
तूफान, बाढ़ और हिमस्खलन सहित प्राकृतिक आपदाएँ पूरे पृथ्वी पर हो रही हैं। इन सबका सीधा संबंध ग्लोबल वार्मिंग से है। अपने पर्यावरण की रक्षा के लिए हमें ग्लोबल वार्मिंग के नकारात्मक प्रभावों से बचाव के लिए अपनी पारिस्थितिकी का पुनर्निर्माण करना होगा। इस विश्व को आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अच्छी जगह बनाने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना चाहिए। पेड़-पौधे लगाना एक ऐसा कार्य है जिसे करके हम समग्र रूप से अपनी दुनिया की स्थिति को बेहतर बना सकते हैं। हमारा मुख्य उद्देश्य पुनर्वनीकरण होना चाहिए।
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जनसंख्या, औद्योगिकीकरण, शहरीकरण के कारण जल, जंगल और जमीन को लगातार दोहन होने से धरती के औसत तापमान में वृद्धि होना ग्लोबल वार्मिंग के मुख्य कारणों में है। हालांकि अधिकांश लोगों को इसकी जानकारी है, लेकिन इसको लेकर जिस हद तक जागरुकता होनी चाहिए, उतनी देखने को नहीं मिलती।
हमारे देश के संदर्भ में ही देखें तो बड़े स्तर पर खेतों में फसल कटाई के बाद बचे अवशेषों (पराली, खर-पतवार आदि) को जलाकर वायु प्रदूषण फैलाने, फैक्ट्रियों द्वारा उत्पन्न धुआं, केमिकल कचरा फैलाना भी कहीं न कहीं ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनता है। इसके अलावा वनों की कटाई कर बड़े पैमाने पर उद्योग, सड़क, पुल आदि का निर्माण होना भी इसका कारण है। हालांकि इसके एवज में आसपास के क्षेत्र में हरित आवरण बसाने की कोशिश होती है, लेकिन अधिकांश मामलों में यह सफल नहीं हो पाने से तापमान में वृद्धि पर रोक नहीं लग पा रही है।
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव मौसम और जैव विविधता पर पड़ता है। इसके प्रभाव के तौर पर हम उदाहरण के रूप में हम अत्यधिक गर्मी, ठिठुरन भरी रात या बारिश को ले सकते हैं। पिछले कुछ वर्षों में कई वैसे स्थानों पर गर्मी का प्रकोप देखने को मिला है जहां आज से 8-10 पहले तक हरियाली के कारण तापमान नियंत्रित रहता था। वहीं कई ऐसे क्षेत्रों में बारिश नाम मात्र की होती है जहां कुछ साल पहले तक औसत से अधिक बारिश होती थी। मौसम में इस बदाव को हमारा शरीर जल्दी से अनुकूलन नहीं कर पाता है जिससे हम अक्सर बीमार पड़ जाते हैं और हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को नुकसान पहुँचता है। इसके अलावा, बाढ़ और सूखे जैसी आपदाएँ खाद्य आपूर्ति को प्रभावित करती हैं, जिससे हमारे दैनिक जीवन में बाधा आती है। इंसानों की तरह ही जानवरों और पौधों को भी अनुकूलन के लिए समय की आवश्यकता होती है और असंतुलित वातावरण उनके लिए केवल समस्याएँ ही पैदा करता है।
इसलिए ग्लोबल वार्मिंग से बचाव के उपाय को बड़े स्तर पर प्रचारित कर सभी को जागरूक करना जरूरी है। वनों का क्षेत्रफल बढ़ने से प्राकृतिक संतुलन बेहतर होगा। यदि हम अपने जीवनकाल में अधिक से अधिक पौधे लगाने के लिए प्रतिबद्ध हों, तो पृथ्वी एक बेहतर स्थान बन जाएगी।
विभिन्न कारकों के कारण सतही जलवायु में होने वाली क्रमिक वृद्धि को ग्लोबल वार्मिंग के रूप में जाना जाता है। यह पर्यावरण और मानवता दोनों के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों में ग्लोबल वार्मिंग भी शामिल है। ग्लोबल वार्मिंग में मुख्य योगदानकर्ता ग्रीनहाउस गैसों का अपरिहार्य उत्सर्जन है। मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड दो मुख्य ग्रीनहाउस गैसें हैं। इस वार्मिंग के कई अन्य कारण और प्रभाव हैं, जो पृथ्वी के जीवन को खतरे में डाल रहे हैं।
ग्लोबल वार्मिंग के कई कारण हैं। ये समस्याएँ प्रकृति और मानवजनित दोनों के कारण उत्पन्न होती हैं। वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की उपस्थिति के कारण पृथ्वी की सतह से परावर्तित होने वाली ऊष्मा किरणें वहीं फंस जाती हैं। इस घटना का परिणाम "ग्रीनहाउस प्रभाव" है। अत्यधिक कार्बन डाइऑक्साइड के कारण ग्लोबल वार्मिंग होता है। ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनने वाली प्राथमिक गैसों को ग्रीनहाउस गैसें कहा जाता है।
मुख्य ग्रीनहाउस गैसें मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, ओजोन और कार्बन डाइऑक्साइड हैं। जब इनकी सांद्रता असंतुलित हो जाती है तो ये गैसें ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनती हैं। ज्वालामुखी विस्फोट, सौर विकिरण और अन्य प्राकृतिक घटनाएँ कुछ उदाहरण हैं जो ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाते हैं। लोगों द्वारा कारों और जीवाश्म ईंधन के अत्यधिक उपयोग से भी कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ता है। ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनने वाला सबसे चर्चित मुद्दा वनों की कटाई है। पेड़ों की कटाई के कारण हवा में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देने वाले अतिरिक्त कारणों में बढ़ती जनसंख्या, औद्योगीकरण, प्रदूषण आदि शामिल हैं।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण मौसम में कई बदलाव आते हैं, जिनमें लंबी गर्मी और कम सर्दी, अधिक तापमान, व्यापारिक हवाओं में बदलाव, साल भर होने वाली बारिश, ध्रुवीय बर्फ की चोटियों का पिघलना, कमजोर ओजोन अवरोध आदि शामिल हैं। इसके परिणामस्वरूप प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि हो सकती है, जिनमें गंभीर तूफान, चक्रवात, बाढ़ और कई अन्य आपदाएं शामिल हैं।
ग्लोबल वार्मिंग से होने वाले नुकसान से पौधे, जानवर और अन्य पर्यावरणीय तत्व सीधे प्रभावित होते हैं। समुद्र का बढ़ता स्तर, तेजी से ग्लेशियर का पिघलना और ग्लोबल वार्मिंग के अन्य महत्वपूर्ण प्रभाव हैं। जैसे-जैसे ग्लोबल वार्मिंग की स्थिति बिगड़ती जा रही है, समुद्री जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, जिससे समुद्री जीवन काफी हद तक नष्ट हो रहा है और अतिरिक्त समस्याएं पैदा हो रही हैं।
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ग्लोबल वार्मिंग रोकने के लिए उचित समाधान ढूंढना अब पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग एक गंभीर मुद्दा बन गया है और अंतरराष्ट्रीय मंचों और सम्मेलनों में विश्व स्तर पर इस पर चर्चा की जा रही है। अब समय आ गया है कि औद्योगीकरण के युग को नियंत्रित किया जाए और इसे टिकाऊ विकास के तरीके से जारी रखा जाए।
ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को हल करने के लिए समुदायों से लेकर सरकारों तक सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है। प्रदूषण पर नियंत्रण, जनसंख्या वृद्धि और प्राकृतिक संसाधनों का सीमित दोहन विचार करने योग्य कुछ प्रमुख कारक हैं। सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना या दूसरों के साथ कारपूलिंग करना बहुत मददगार होगा। लोगों को रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देना होगा। प्लास्टिक का उपयोग कम करना होगा। औद्योगिक कचरे और हवा में हानिकारण गैसों के उत्सर्जन पर नियंत्रण करने से भी मदद मिलेगी।
नासा से जुड़े वैज्ञानिकों की मानें तो जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले प्रभावों की गंभीरता भविष्य की मानवीय गतिविधियों के मार्ग पर निर्भर करेगी। अधिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से हमारे ग्रह पर अधिक जलवायु परिवर्तन और व्यापक हानिकारक प्रभाव होंगे। हालाँकि, ये भविष्य के प्रभाव हमारे द्वारा उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड की कुल मात्रा पर निर्भर करते हैं। इसलिए, यदि हम उत्सर्जन को कम कर सकते हैं, तो हम कुछ सबसे बुरे प्रभावों से बच सकते हैं।
इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि से धरती पर जीवन नष्ट हो जाएगा। ग्लोबल वार्मिंग मानवता के लिए सबसे बड़ा ख़तरा है और इसे नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। साथ ही इसे संभालना भी मुश्किल है। इसलिए हमें ग्लोबल वार्मिंग रोकने वाले अभियान जैसे पेड़-पौधे लगाना, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा का उपयोग, औद्योगिकीकरण को कम करने, ग्लाेबल वार्मिंग बढ़ाने वाली चीजों जैसे एसी वगैरह का उपयोग कम करके, प्रदूषण की रोकथाम आदि की मदद से हम इसके प्रभावों को कम कर सकते हैं।
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