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दहेज प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi) : दहेज पर निबंध 100, 200, 500 शब्दों में

दहेज प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi) : दहेज पर निबंध 100, 200, 500 शब्दों में

Edited By Nitin | Updated on Nov 13, 2024 06:32 PM IST
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दहेज प्रथा पर निबंध ( Dowry System Essay in Hindi ) - दहेज वर्तमान समय में इतनी बड़ी समस्या है कि इसके कारण कई बोटियों को शारीरिक, मानसिक प्रताड़ना के साथ जीवन से भी हाथ धोना पड़ जाता है। दहेज प्रथा हमारे भारतीय समाज में बस चुकी एक ऐसी महामारी है, जिससे मुक्ति पाना एक सपने जैसा दिखने लगा है। वर्तमान समय में इसने एक बहुत बड़ी कुप्रथा का रूप ले लिया है। इसका प्रमाण कई बार समाचार पत्रों व अन्य मीडिया के माध्यम से कुछ घटनाओं की खबरों के तौर पर सामने आ जाता है। शादी-विवाह लग्न के बीच दहेज की चर्चाएं भी समाज में अक्सर सुनने में मिल जाती है। इससे पता चलता है कि समाज में दहेज प्रथा किस तरह हावी है। इस लेख में दहेज क्या है, दहेज कुप्रथा क्यों है, इसे कैसे रोका जाएं आदि बिंदु पर समझाते हुए कुछ निबंध के नमूने दिए गए हैं जो प्रतियोगी परीक्षा से लेकर वाद-विवाद में शामिल होने वाले छात्रों के लिए उपयोगी हो सकता है।
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बाध्यता बन गई बेटी से स्नेह जताने की परंपरा

दहेज प्रथा (Dahej pratha in hindi) भारतीय समाज की प्रमुख समस्याओं में से एक है। हर माता-पिता द्वारा बेटी को शादी के समय स्नेहवश उपहार दिए जाने की परंपरा रही है। विवाह के समय दिए जाने वाले इस उपहार को दहेज कहा जाता है। घर से विदा करते समय दिए जाने वाले घरेलू जरूरत के सामान, आभूषण, कपड़ा, फर्नीचर, उपकरण आदि दहेज में शामिल होते हैं। बेटी के नए जीवन को आसान बनाने का स्वैच्छिक प्रयास कालांतर में बाध्यता में परिवर्तित हो गया। ससुराल पक्ष के लोग अब उपहारों की सूची बनाकर रखने लगे हैं दहेज प्रथा में बेटी को क्या दिया जाना है, इसका फैसला वही करने लगे हैं। इसके चलते दहेज प्रथा की समस्या मुंह फैलाने लगी। हालांकि सरकार ने संविधान के हवाले से इस कुप्रथा को रोकने के लिए सजा का प्रावधान किया है, लेकिन फिर भी अधिकांश शादियों में चोरी-छिपे यह प्रथा जारी है।

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दहेज प्रथा पर निबंध (Dahej Pratha par nibandh in hindi)

भारत में सदियों पुरानी प्रथा रही है कि शादी के समय दुल्हन को विदाई के समय धन, उपहार दिया जाता है। आमतौर पर यह प्रथा दूल्हे के परिवार को संपत्ति और धन के हस्तांतरण करने को संदर्भित करती है। यह प्रणाली भारत के अलावा कुछ अन्य देशों में लोकप्रिय है, लेकिन समय बीतने के साथ दुल्हन के परिवार पर धन, संपत्ति देने का दबाव बढ़ने से और डिमांड पूरा न होने से होने वाले घरेलु हिंसा ने इसका विकृत चेहरा सामने ला दिया। यहां 'दहेज प्रथा पर हिन्दी में निबंध (Dowry System Essay in Hindi)' पर कुछ नमूना निबंध दिए गए हैं।

दहेज की परिभाषा क्या है?(Dahej ki paribhasha kya hai?)

भारतीय परंपरा में कन्या की शादी के समय, कन्या पक्ष की तरफ से दूल्हे तथा उसके परिवार को बहुत से उपहार स्नेह वश प्रदान किए जाते हैं, ये परंपरा हमारे समाज में सदियों से चली आ रही है। परंतु जब यह उपहार प्रदान करना कन्या पक्ष के लिए शोषण का रूप धारण कर लेता है, तो इसे दहेज कहा जाता है। विवाह जैसी पवित्र रीति में जब लालच की भावना शामिल हो जाती है, तो यह दहेज का रूप धारण कर लेती है।

दहेज प्रथा पर निबंध (Dahej Pratha par nibandh)

उपहार में क्या मिलना चाहिए जब यह फैसला पाने वाला करेगा तो उसकी मंशा तो यही होगी कि अच्छे से अच्छा और महंगे से महंगा उपहार उसे मिले। यह बात हर कोई जानता है कि लोभ और लालच का कोई अंत नहीं हैं। ससुराल पक्ष की अनाप-शनाप मांगों ने दहेज की समस्या को विकराल बना दिया है क्योंकि ससुराल पक्ष के लोग दहेज को अपना अधिकार समझकर लड़की के मां-बाप के सामने अपनी मांगसूची पेश करने लगे और दावे करते हैं कि यह सब लड़की के लिए ले रहे हैं। ऐसे में यदि सूची में शामिल सामान देने में कन्यापक्ष असमर्थता जताए तो शादी करने से इंकार कर दिया जाने लगा। अब तो ऐसी स्थिति से बन गई है कि रिश्ते तय करने से पहले दहेज तय किया जाता है।

संपन्न और शिक्षित परिवार में बेटी खुश रहेगी यह सोचकर मजबूरी में अपनी क्षमता से बाहर जाकर लड़की के मां-बाप किसी तरह शादी के लिए दहेज में चाहे गए सामान जुटाते हैं। अनंत विस्तार वाली लालची प्रवृत्ति ने दहेज प्रथा को विकराल बना दिया है। भारतीय समाज में लंबे समय से चली आ रही कुरीतियों में से एक है दहेज प्रथा जो कि दो दिलों और परिवारों का मेल कराने वाले पवित्र बंधन विवाह को कलंकित करने लग गई है। दहेज प्रथा को रोकने के लिए कानून भी बनाया गया, बावजूद इसके दहेज प्रथा 21वीं सदी में अब भी विद्यमान है।

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दहेज प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi)

दहेज प्रथा हमारे भारतीय समाज में बस चुकी एक ऐसी महामारी है, जिससे अधिकतर लोग ग्रसित है। यह कुप्रथा सादियों से हमारे समाज को दूषित करती आ रही है। दहेज प्रथा हमारे समाज की मानसिकता को कुंठित करती है, जो अधिकतर लोगों को किसी न किसी रूप में प्रभावित करती है। जिसकी वजह से कन्या भूर्ण हत्या, लड़कियों के प्रति भेदभाव, ऑनर किलिंग तथा महिलाओं के प्रति अपराध में वृद्धि होती हैं। यही वजह है कि लोगों के बीच इस कुप्रथा को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए दहेज पर निबंध (Essay on Dowry in hindi) लिखा व लिखवाया जाता है। छात्रों को परीक्षा में कभी-कभी अच्छे अंक के लिए दहेज प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi) लेखन से संबंधित प्रश्न पूछ लिए जाते हैं। नीचे हमने इस बेहद ही संवेदनशील विषय पर निबंध प्रदान किए है।

महत्वपूर्ण लेख :

दहेज प्रथा पर निबंध 100 शब्दों में (100 Words Essay On Dowry System in hindi)

भारत में दहेज प्रथा (dahej pratha) एक लंबे समय से चली आ रही प्रथा है और यह भारतीय संस्कृति में गहराई से बसी हुई है। यह दो परिवारों के बीच एक पूर्व-निर्धारित समझौता है और आम तौर पर शादी के समय तय किया जाता है। दुल्हन का परिवार दूल्हे के परिवार को विभिन्न उपहार तथा धन प्रदान करता है। इन उपहारों में आमतौर पर आभूषण, कपड़े तथा नकदी शामिल होते हैं। हालाँकि यह प्रणाली व्यापक रूप से स्वीकृत है, फिर भी इसके कई नकारात्मक प्रभाव हैं। सबसे गंभीर परिणाम यह है कि इसके कारण समाज में लैंगिक भेदभाव उत्पन्न होता है। कुछ मामलों में, दूल्हे के परिवार की ओर से दहेज की मांग इतनी अधिक हो जाती है कि दुल्हन के परिवार के लिए उन्हें पूरा करना असंभव हो जाता है। इससे दुल्हन के परिवार को सामाजिक भेदभाव तथा आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

महत्वपूर्ण लेख :

दहेज प्रथा पर निबंध 200 शब्दों में (200 Words Essay On Dowry System in hindi)

दहेज प्रथा भारत में सदियों पुरानी प्रथा है और यह आज भी हमारे समाज में विध्यमान है। दहेज धन और/या संपत्ति का एक उपहार है जो दुल्हन का परिवार, दूल्हे के परिवार को उनकी शादी के समय देता है। यह आम तौर पर दूल्हे के परिवार को दुल्हन की देखभाल करने के लिए दिया जाता है। यह प्रणाली आज भी भारत में बहुत प्रचलित है, और इसे अक्सर सामाजिक स्थिति के संकेत के रूप में देखा जाता है।

दहेज प्रथा के नकारात्मक प्रभाव बहुत अधिक है। दहेज प्रथा (dahej pratha) भारतीय समाज में गहरी जड़ें जमा चुकी है तथा यह दहेज प्रथा (dahej pratha) लैंगिक असमानता को प्रोत्साहित करती है। दहेज प्रथा पर निबंध लिखने की नौबत ही इसलिए आई क्योंकि इस सामाजिक कुरीति ने एक भयावह सामाजिक समस्या का रूप ले लिया है। इसके चलते परिवार लड़कियों को बोझ के रूप में देखने लग जाते हैं क्योंकि परिवारों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी बेटी की शादी के समय मोटी रकम अदा करेंगे। संपन्न परिवारों में भी वित्तीय शोषण के मामले सामने आए हैं। इसके अलावा, बड़ी मात्रा में दहेज देने के दबाव के कारण अक्सर परिवार कर्ज में डूब जाते हैं। यह विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में समस्याग्रस्त है, जहां कई लोग पहले से ही अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। परिणामस्वरूप, कई लड़कियाँ शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल जैसी बुनियादी आवश्यकताओं से वंचित रह जाती हैं।

महत्वपूर्ण लेख :

हालाँकि, भारत में मौजूदा दहेज प्रथा (dahej pratha) के खिलाफ लड़ने के लिए कई पहल शुरू की गई हैं। भारत सरकार ने दहेज की मांग करना गैरकानूनी बना दिया है, और गैर-लाभकारी संगठन यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं कि महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की जाए।

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दहेज पर निबंध 500 शब्दों में (500 Words Essay On Dowry in hindi)

दहेज प्रथा (dahej pratha) भारत में सदियों पुरानी प्रथा है जो दुल्हन के परिवार से दूल्हे के परिवार को संपत्ति और धन के हस्तांतरण करने को संदर्भित करती है। यह प्रणाली भारत और कुछ अन्य देशों में सबसे लोकप्रिय है। बड़े होते हुए, हममें से अधिकांश ने इस प्रणाली को देखा या सुना है। दहेज प्रथा के कारण दुल्हन का परिवार पीड़ित होता है। कई बार दूल्हे पक्ष की दहेज की मांग पूरी न होने पर शादी अचानक रद्द कर दी जाती है। इसके अलावा, यह प्रणाली दुल्हन के परिवार, विशेषकर दुल्हन के पिता पर भी बहुत दबाव डालती है। उससे अपेक्षा की जाती है कि वह दूल्हे के परिवार को सभी उपहार और धन प्रदान करेगा। यह एक बड़ा वित्तीय बोझ हो सकता है और परिवार की वित्तीय अस्थिरता का कारण बन सकता है।

1961 का भारत सरकार अधिनियम इस घृणित सामाजिक प्रथा को समाप्त करने के सरकार के प्रयास के रूप में व्यक्तियों को दहेज स्वीकार करने से रोकता है।

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दहेज प्रथा पर निबंध ((dahej pratha par nibandh) Dowry System Essay in Hindi) : दहेज का नकारात्मक प्रभाव

अन्याय | दुल्हन के परिवार के लिए, दहेज एक महत्वपूर्ण वित्तीय बोझ वहन करता है। इसलिए लड़कियों को परिवार पर संभावित बोझ और संभावित वित्तीय बर्बादी के रूप में देखा जाता है। यही दृष्टिकोण कन्या भ्रूण हत्या और भ्रूण हत्या का रूप ले लेता है। स्कूली शिक्षा के उन क्षेत्रों में जहाँ परिवार के लड़कों को प्राथमिकता दी जाती है, लड़कियों को अक्सर हाशिए पर रखा जाता है। पारिवारिक सम्मान बनाए रखने के नाम पर उन पर कई तरह की सीमाएं लगाई जाती हैं और घर के अंदर रहने के लिए मजबूर किया जाता है। आयु को अभी भी पवित्रता के माप के रूप में देखा जाता है, जिसके कारण बाल विवाह की प्रथा जारी है। इस प्रथा को इस तथ्य से समर्थन मिलता है कि दहेज की राशि लड़की की उम्र के साथ बढ़ती जाती है।

महिलाओं के विरुद्ध हिंसा | आम धारणा के विपरीत, दहेज हमेशा एक बार दिया जाने वाला भुगतान नहीं होता है। पति का परिवार, जो लड़की के परिवार को धन की अंतहीन आपूर्ति के रूप में देखता है, हमेशा मांग करता रहता है। लड़की के परिवार की आगे की माँगों को पूरा करने में असमर्थता के परिणामस्वरूप अक्सर मौखिक दुर्व्यवहार, पारस्परिक हिंसा और यहाँ तक कि हत्या भी होती हैं। महिलाएं लगातार शारीरिक और मनोवैज्ञानिक शोषण सहती हैं और इसलिए उनमें अवसाद का उत्पन्न होने और यहां तक कि आत्महत्या का प्रयास करने का जोखिम बढ़ जाता है।

वित्तीय बोझ | दूल्हे के परिवार द्वारा की जाने वाली दहेज की माँगों के कारण, भारतीय माता-पिता अक्सर लड़की की शादी को पर्याप्त धनराशि से जोड़कर देखते हैं। परिवार अक्सर बड़ी मात्रा में कर्ज लेते हैं और घर गिरवी रखते हैं, जो उनके आर्थिक स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंचाता है।

लैंगिक असमानता | किसी लड़की से शादी करने के लिए दहेज देने की धारणा लिंगों के बीच असमानता की भावना को बढ़ाती है, जिससे पुरुषों को महिलाओं से बेहतर समझा जाता है। युवा लड़कियों को स्कूल जाने से रोक दिया गया है जबकि उनके लड़कों को स्कूल जाने की अनुमति दी जाती है। उन्हें अक्सर व्यवसाय करने से हतोत्साहित किया जाता है क्योंकि उन्हें घरेलू कर्तव्यों के अलावा अन्य नौकरियों के लिए अयोग्य माना जाता है। अधिकांश समय, उनकी राय को चुप करा दिया जाता है, नज़रअंदाज कर दिया जाता है, या अनादर के साथ व्यवहार किया जाता है।

दहेज की अन्यायपूर्ण प्रथा से निपटने के लिए, एक राष्ट्र के रूप में भारत को अपनी वर्तमान मानसिकता में भारी बदलाव करने की आवश्यकता है। उन्हें यह समझना चाहिए कि आज की दुनिया में महिलाएं हर उस कार्य को करने में पूरी तरह सक्षम हैं जिसे करने में पुरुष सक्षम हैं। महिलाओं को स्वयं यह धारणा छोड़ देनी चाहिए कि वे पुरुषों के अधीन हैं और उनकी देखभाल के लिए उन पर निर्भर रहना चाहिए।

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