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मकर संक्रांति पर निबंध (Essay on Makar Sankranti in Hindi) - 100, 200 और 500 शब्द

मकर संक्रांति पर निबंध (Essay on Makar Sankranti in Hindi) - 100, 200 और 500 शब्द

Edited By Mithilesh Kumar | Updated on Jan 14, 2025 11:50 AM IST

मकर संक्रांति पर निबंध (Essay on Makar Sankranti in Hindi) - भारत देश धर्म, कृषि-विज्ञान और परंपरा के साथ एक अनूठे सांस्कृतिक देश के तौर पर विश्व में प्रसिद्ध है। इस देश में कई त्योहार धर्म पर आधारित होते हैं तो कई कृषि यानी खेती-किसानी पर। इन्हीं में से एक है मकर संक्रांति। यह सौर वर्ष पर आधारित है जिसमें धर्म, कृषि और विज्ञान सभी का समावेश है। भारतीय लोग प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाते हैं। आमतौर पर यह त्योहार हिंदू समाज के लोग धूमधाम से मनाते हैं। यह विशेष रूप से फसल का त्योहार है। इस त्योहार का उद्देश्य नई फसल के मौसम की शुरुआत की खुशी मनाना है। मकर संक्रांति एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक व ऐतिहासिक पर्व भी है। मकर संक्रांति के दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान के बाद पूजा और दान करते हैं। गंगा नदी के तटों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु एक दिन पहले से ही जुटने लगते हैं और ब्रह्मबेला से ही स्नान के बाद पूजा का दौर शुरू हो जाता है।

This Story also Contains
  1. मकर संक्रांति का महत्व क्या है?
  2. मकर संक्रांति पर निबंध कैसे लिखें? (How to write essay on Makar sankranti in hindi)
  3. मकर संक्रांति पर निबंध (Essay on Makar Sankranti in hindi) - 100 शब्द
  4. मकर संक्रांति पर निबंध (Essay on Makar Sankranti in hindi) - मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है निबंध? 200 से 300 शब्द में
  5. मकर संक्रांति पर निबंध (Essay on Makar Sankranti in hindi) - 500 शब्द
  6. विभिन्न राज्यों में मकर सक्रांति (makar sankranti in different states)
  7. महाकुंभ मेला 2025 (Maha Kumbh 2025 in hindi)
  8. महाकुंभ 2025
मकर संक्रांति पर निबंध (Essay on Makar Sankranti in Hindi) - 100, 200 और 500 शब्द
मकर संक्रांति पर निबंध (Essay on Makar Sankranti in Hindi) - 100, 200 और 500 शब्द

इस मकर संक्रांति महाकुंभ 2025 का आयोजन

प्रयागराज में मकर संक्रांति पर कुंभ मेले या माघ मेले की शुरुआत होती है। माघ मास में तीर्थ में गंगा स्नान का महत्व अश्वमेध यज्ञ करने के बराबर बताया गया है। इस साल प्रयाग साल में संगम पर महाकुंभ 2025 मेला लगा है। कहा जाता है कि इस संगम में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। संगम नगरी प्रयागराज में 14 जनवरी 2025 से महाकुंभ शुरू हो गया है। कुंभ में अनेक रंग देखने को मिल रहे हैं। देश के कोने-कोने से लाखों लोग और साधु संत यहां पहुंच रहे हैं। महाकुंभ 2025 में मोक्ष की तलाश में विदेशी पर्यटक भी महाकुंभ, प्रयागराज में पहुंच रहे हैं।

मकर संक्रांति का महत्व क्या है?

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, पुराण में कहा गया है कि-

प्रयागे माघमासे तुत्र्यहं स्नानस्य यद्रवेत्।

दशाश्वमेघसहस्त्रेण तत्फलं लभते भुवि।।

अर्थात प्रयाग में माघ मास के अन्दर तीन बार स्नान करने से जो फल मिलता है, वह पृथ्वी पर दस हज़ार अश्वमेध यज्ञ करने से भी प्राप्त नहीं होता। पद्मपुराण में शिवजी नारद से कहते हैं कि जो मानव प्रयाग में माघ स्नान करता है, उसे प्राप्त होने वाले पुण्यकाल की कोई गणना नहीं है।

मकर संक्रांति पर निबंध कैसे लिखें? (How to write essay on Makar sankranti in hindi)

कई बार नवोदय विद्यालय, सैनिक स्कूल, नेतरहाट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के अलावा स्कूलों में भी लघु या दीर्घ स्तर पर मकर संक्रांति पर निबंध (Essay on Makar Sankranti in Hindi) लिखने को कहा जाता है। किसी भी विषय पर निबंध लिखने के लिए मुख्य चरण इस तरह से हैं -

संक्रांति पर निबंध कैसे लिखा जाता है?

सबसे पहले परिचय लिखें : मकर संक्रांति के बारे में दो लाइन में बताएं, जैसे मकर संक्रांति हर साल कब मनाया जाता है और मकर संक्रांति का मतलब क्या है ( जैसे- यह सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है।)

महत्व बताएं : मकर संक्रांति का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व और इसके आध्यात्मिक पहलू को बताएं। जैसे नदियों में स्नान के बाद सूर्य को अर्घ देना और दान-पुण्य करना।

त्योहार से जुड़ी प्रमुख परंपरा बताएं : तिलगुड़, खास व्यंजन बनाने की परंपरा और समुदाय, सद्भाव, आनंद और आध्यात्म का संगम, दान देने के महत्व को समझाएं।

विविधता को दिखाएं : यह त्योहार देश के अगलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है, जैसे खिचड़ी, पोंगल, माघ बिहू और उत्तरायण।

समाज को संदेश दें : त्योहार के दौरान लोगों के एक साथ आने और खुशी बांटने की परंपरा को दर्शाएं।

निष्कर्ष लिखें : निबंध के अंत में मकर संक्रांति के महत्व और इसके जीवन में लाए जाने वाले सकारात्मक बदलावों को संक्षेप में बताएं।

मकर संक्रांति पर निबंध (Essay on Makar Sankranti in hindi) - 100 शब्द

मकर संक्रांति, "मकर" (Makar) और "संक्रांति" (Sankranti) शब्दों का संयोजन से बना है। मकर संक्रांति (makar sankranti) उस समय को दर्शाता है जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। हिंदू धर्म में इस दिन को एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है क्योंकि यह बहुत महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। लोग अनाज की फसल मिलने पर आभार व्यक्त करने के लिए भगवान सूर्य की पूजा करते हैं। विविधता और अनेकता में एकता वाले देश में विभिन्न प्रकार के त्योहार में से एक मकर संक्रांति का अपना अनूठा सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है।

भारत में लोग यह भी मानते हैं कि सर्दी ख़त्म होने पर दिन की लंबाई बढ़ने लगती है। मकर संक्रांति हिंदू त्योहारों में से एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह उत्सव सौर कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक वर्ष 14 या 15 जनवरी को आयोजित किया जाता है। हिंदू धर्मावलंबी सुबह नदी में स्नान करते हैं और सूर्य भगवान को जल अर्पण कर प्रार्थना करते हैं।

मकर संक्रांति पर निबंध (Essay on Makar Sankranti in hindi) - मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है निबंध? 200 से 300 शब्द में

भारत को विविध आबादी और लंबे इतिहास के लिए जाना जाता है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के दिन की याद में भारतीय लोग 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाते हैं। मकर संक्रांति भारत के कई हिस्सों में मनाया जाने वाला एक लोकप्रिय त्योहार है। यह फसल का समय है, एक ऐसा समय जब लोग अपने खेतों की उर्वरता या उत्पादकता बनाए रखने के लिए भगवान के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।

भारतीयों का मानना है कि गंगा में पवित्र स्नान करने से उनकी आत्माएं सभी पापों से मुक्त हो जाती हैं। इसके अतिरिक्त, यह वर्ष की वह अवधि भी है जब दिन बड़े होने शुरू होते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं।

मकर संक्रांति की एक और उल्लेखनीय विशेषता यह है कि लोग इस दिन "त्रिवेणी संगम" प्रयागराज में पवित्र स्नान करते हैं, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियां मिलती हैं। इस दिन लोगों के मेले को कुंभ मेला के रूप में जाना जाता है।

त्योहार समुदाय, सद्भाव, आनंद और स्वाद का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसलिए, मकर संक्रांति भारत में मनाई जाने वाली अन्य हिंदू त्योहार के समान ही है। मकर संक्रांति के दौरान परोसे जाने वाले प्राथमिक व्यंजनों में से एक है खिचड़ी। यह मुख्य रूप से चावल, दाल, मटर, गोभी, आलू, मूली, टमाटर और घी से तैयार किया जाता है। खिचड़ी के दिन तिल के लड्‌डू, तले हुए अनाज, गुड़, मूंगफली और सूखा नारियल जश्न मनाने के लिए खाए जाने वाले आम खाद्य पदार्थ हैं।

ये भी देखें :

मकर संक्रांति पर निबंध (Essay on Makar Sankranti in hindi) - 500 शब्द

मकर संक्रांति मनाने की वजह क्या है? 14 जनवरी को मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है?

हर जनवरी में, जब सूर्य मकर राशि या मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो हिंदू लोग मकर संक्रांति का त्योहार मनाते हैं। यह कुछ हिंदू त्योहारों में से एक है जो सौर वर्ष पर आधारित है, यही कारण है कि यह हर साल एक ही दिन 14 जनवरी को मनाया जाता है। कभी-कभी यह 15 जनवरी को भी मनाया जाता है। अन्य सभी त्योहार चंद्र चक्र के अनुसार मनाए जाते हैं। यह दिन भारतीय कैलेंडर में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पौष महीने के अंत और उसके बाद माघ महीने की शुरुआत का प्रतीक है।

तुलसीदास कृत रामचरित मानस में भी मकर का उल्लेख आया है। याज्ञवल्क्य-भरद्वाज संवाद तथा प्रयाग माहात्म्य का वर्णन करते हुए तुलसीदास रामचरित मानस में लिखते हैं कि

माघ मकरगत रबि जब होई। तीरथपतिहिं आव सब कोई॥

देव दनुज किंनर नर श्रेनीं। सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनीं॥2॥

इसका भावार्थ जानें:-माघ में जब सूर्य मकर राशि पर जाते हैं, तब सब लोग तीर्थराज प्रयाग को आते हैं। देवता, दैत्य, किन्नर और मनुष्यों के समूह सब आदरपूर्वक त्रिवेणी में स्नान करते हैं॥

मकर के महीने में प्रयाग स्नान का बड़ा महत्व है।

अनुष्ठान और उत्सव

दान मकर संक्रांति का एक महत्वपूर्ण पहलू है। जरूरतमंद लोगों को अनाज, चावल और मिठाई आदि देना अनुष्ठान का हिस्सा है। आम धारणा के अनुसार, जो कोई भी खुले दिल से दान करता है, उसे समृद्धि और खुशी का अनुभव होता है और साथ ही भगवान उसके जीवन से सभी समस्याओं को दूर कर देते हैं।

मकर संक्रांति को धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है जिसे माघी के नाम से जाना जाता है। उगते सूर्य की पूजा करने का एक तरीका यह है कि जल और फूल देते समय गायत्री मंत्र का जाप करें। त्यौहार का मुख्य भोजन तिल और गुड़ का व्यंजन है।

मकर संक्रांति पर मनाये जाने वाले प्रमुख खेलों में से एक है पतंग उड़ाना। उस दिन हम आसमान में रंग-बिरंगी पतंगें उड़ते हुए देख सकते हैं। लोहड़ी की रात को, कई समुदाय अनुष्ठान करने और भगवान का सम्मान करने के लिए पूरे राज्य में अलाव जलाते हैं। यह उत्सव एकजुटता और दयालुता के महत्व पर जोर देता है।

विभिन्न राज्यों में मकर सक्रांति (makar sankranti in different states)

आइए अब देखते हैं कि भारत के विभिन्न राज्य मकर संक्रांति कैसे मनाते हैं।

उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश में इस दिन दान का त्योहार मनाया जाता है, जिसे खिचड़ी के नाम से जाना जाता है। यह प्रयागराज में उस स्थान पर महीने भर चलने वाले माघ मेले की शुरुआत का प्रतीक है जहां आध्यात्मिक नदियां यमुना, गंगा और सरस्वती का संगम है। इस दिन कई लोग खिचड़ी खाने और चढ़ाने के अलावा व्रत भी रखते हैं।

बिहार : खिचड़ी बिहार में मकर संक्रांति उत्सव का एक अनिवार्य हिस्सा है। लोग गंगा, सरयू, घाघरा, गंडक, सोन आदि नदियों में स्नान कर पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन भोजन में खिचड़ी खाने की प्रथा है। उत्सव में उड़द, चावल, सोना, कपड़े और अन्य वस्तुओं का दान भी शामिल है।

हरियाणा और पंजाब : पंजाब और हरियाणा राज्य इस दिन को लोहड़ी के रूप में मनाते हैं। लोग कैम्प फायर के चारों ओर एकत्रित होते हैं और आग की लपटों में पॉपकॉर्न और चावल के फूल फेंकते हुए नृत्य करते हैं।

तमिलनाडु : इस दिन को तमिलनाडु में पोंगल के रूप में मनाया जाता है। लेकिन इस क्षेत्र में पोंगल उत्सव अतिरिक्त चार दिनों तक चलता है।

गुजरात : इस दिन गुजरात में पतंग उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

महाराष्ट्र : इस दिन को मनाने के लिए, महाराष्ट्र में विवाहित महिलाएं अन्य विवाहित महिलाओं को नमक, तेल और कपास देती हैं।

मैं मकर संक्रांति का त्यौहार कैसे मनाता हूं

हर साल, मेरी दादी दोपहर में हमें बैठाती हैं और घर के सभी बच्चों को त्योहार की मूल कहानी सुनाती हैं। उन्होंने हमें बताया कि मकर संक्रांति की जड़ें भारतीय पौराणिक कथाओं में हैं और भगवान संक्रांति ने राक्षस शंकरासुर को मार डाला था, यही कारण है कि इस जीत को याद करने के लिए मकर संक्रांति मनाई जाती है।

वह यह भी बताती हैं कि कैसे सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के आरोहण के साथ मेल खाने के लिए मकर संक्रांति सामान्य से 80 दिन बाद मनाई जाती है। कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तर की ओर बढ़ना शुरू कर देते हैं और इस 'उत्तरायण गति' के कारण इस दिन को उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है। तत्पश्चात सूर्य की पूजा करते हुए हम सभी घर के सभी बड़ों के साथ गायत्री मंत्र का पाठ करते हैं। मेरी मां और दादी भी रात में लोहड़ी की रस्मों के लिए चावल की खिचड़ी, नारियल की चिक्की, गनी की खीर आदि जैसे विशेष व्यंजन तैयार करती हैं।

महाकुंभ मेला 2025 (Maha Kumbh 2025 in hindi)

प्रयागराज में आस्था का महाकुंभ 2025 पौष पूर्णिमा के दिन यानी 13 जनवरी 2025 से प्रारंभ होगा और 26 फरवरी 2025 को समाप्त होगा। महाकुंभ मेला हर 12 साल में एक बार होता है। महाकुंभ में दुनिया भर के संत-साधु व भक्त आस्था की डुबकी लगाते हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं में भी महाकुंभ मेला उल्लेख आता है। यह दुनिया का सबसे बड़ा सार्वजनिक जमावड़ा और आस्था का सामूहिक आयोजन है। इस जमावड़े में मुख्य रूप से तपस्वी, संत, साधु, साध्वी, कल्पवासी और सभी क्षेत्रों के तीर्थयात्री शामिल होते हैं।

कुंभ मेला, हिंदू धर्म में, एक धार्मिक तीर्थयात्रा है जो 12 वर्षों के दौरान चार बार मनाई जाती है। कुंभ मेले का आयोजन भारत में चार स्थानों पर होता है और मेला चार पवित्र नदियों के चार तीर्थस्थलों में से किसी एक स्थान पर बारी-बारी से आयोजित होता है :

  • हरिद्वार, उत्तराखंड में, गंगा के तट पर
  • उज्जैन, मध्य प्रदेश में शिप्रा के तट पर
  • नासिक, महाराष्ट्र में गोदावरी के तट पर
  • प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में, गंगा, यमुना और पौराणिक अदृश्य सरस्वती के संगम पर

महाकुंभ 2025

प्रत्येक स्थल का उत्सव सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति की ज्योतिषीय स्थितियों पर आधारित है। कुंभ मेले में सभी वर्गों से तीर्थयात्री आते हैं, जिनमें साधु (संत) और नागा साधु शामिल हैं। नागा साधु 'साधना' करते हैं और आध्यात्मिक अनुशासन के सख्त मार्ग का पालन करते हैं, वे अपना एकांत छोड़कर केवल कुंभ मेले के दौरान लोगों के बीच आते हैं। कुंभ मेले के दौरान कई समारोह होते हैं; 'शाही स्नान' के दौरान नागा साधुओं की चमचमाती तलवारें और अनुष्ठान के साथ हिस्सा लेते हैं। हाथी, घोड़ों और रथों पर अखाड़ों का पारंपरिक जुलूस जिसे 'पेशवाई' कहा जाता है, यह आकर्षण का केंद्र होता है। कई अन्य सांस्कृतिक गतिविधियाँ आयोजित होती है, जो कुंभ मेले में भाग लेने के लिए लाखों तीर्थयात्रियों को आकर्षित करती हैं। प्रयागराज में महाकुंभ के लिए सरकारी स्तर पर भव्य तैयारी की गई है। संगम तट पर महाकुंभ के लिए अस्थायी शहर बसाया गया है। इसमें टेंट सिटी का निर्माण हुआ है जिसमें श्रद्धालु, साधु-संतों के ठहरने की व्यवस्था की गई है। महाकुंभ मेला 2025 प्रयागराज में 13 जनवरी, 2025 से 26 फरवरी, 2025 तक आयोजित होने जा रहा है। नीचे महाकुंभ मेले की महत्वपूर्ण तिथियों का उल्लेख करने वाली तालिका दी गई है।

त्यौहार का नाम दिनांक/दिन

  • 1 पौष पूर्णिमा 13-01-2025/सोमवार
  • 2 मकर संक्रांति 14-01-2025/मंगलवार
  • 3 मौनी अमावस्या (सोमवती) 29-01-2025/बुधवार
  • 4 बसंत पंचमी 03-02-2025/सोमवार
  • 5 माघी पूर्णिमा 12-02-2025/बुधवार
  • 6 महाशिवरात्रि 26-02-2025/बुधवार

महत्वपूर्ण प्रश्न :

मकर संक्रांति कब है? मकर संक्रांति (makar sankranti in 2025) कितनी तारीख को है?

मकर संक्रांति हिंदू त्योहारों में से वह त्योहार है जो सौर वर्ष पर आधारित है। यही कारण है कि यह हर साल एक ही दिन 14 जनवरी को मनाया जाता है। अन्य सभी त्योहार चंद्र चक्र के अनुसार मनाए जाते हैं।

जब सूर्य धनु से मकर राशि में जाते हैं तो इस संक्रांति को मकर संक्रांति कहते हैं। पंचांग के अनुसार, सूर्य मकर राशि में 14 जनवरी 2025 को प्रवेश करेंगे और संक्रांति का समय 9.03 बजे निर्धारित है। इस प्रकार, मकर संक्रांति मंगलवार, 14 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन मकर संक्रांति के पुण्यकाल में स्नान, दान और पूजा-पाठ करना अत्यंत फलदायक माना जाता है।

मकर संक्रांति डेट : पंचाग के अनुसार मकर संक्रांति का पावन पर्व 14 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा।

मुहूर्त - मकर संक्रांति पुण्य काल सुबह 9 बजकर 3 मिनट से शाम 5 बजकर 46 मिनट तक

अवधि- 8 घंटे 42 मिनट

मकर संक्रांति महा पुण्य काल- सुबह 9 बजकर 3 मिनट से 10 बजकर 48 मिनट तक

अवधि- एक घंटा 45 मिनट


क्या मकर संक्रांति एक सार्वजनिक अवकाश है? (makar sankranti is a public holiday)

नहीं, अलग-अलग राज्यों में यह प्रतिबंधित अवकाश है। वहीं कुछ राज्यों में और बैंक आदि सस्थानों में छुट्‌टी भी रहती है।

मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है? (makar sankranti kyon manae jaati hai)

हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव उत्तरायण हो जाते हैं। सूर्य देव के धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करने के दिन मकर संक्रांति मनाई जाती है। संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है।

मकर संक्रांति के बारे में कैसे लिखें?

जिस दिन से सूर्य उत्तर दिशा (उत्तरायण) की ओर बढ़ना प्रारंभ करता है, उस दिन को मकर संक्रांति मनाने हैं। मकर संक्रान्ति (मकर संक्रांति) भारत के प्रमुख पर्वों में से एक है। मकर संक्रांति पूरे भारत और नेपाल में के साथ विभिन्न राज्यों में भिन्न रूपों में मनाया जाता है। पौष मास में जिस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है उस दिन इस पर्व को मनाया जाता है।

साल 2025 के पहले त्योहार मकर संक्रांति की आप सबको ढेर सारी बधाई। यह त्योहार आपके जीवन में नई आशाएं जगाए और जीवन में खुशी और प्यार लाए।

Frequently Asked Questions (FAQs)

1. मकर संक्रांति कब है 14 तारीख या 15 तारीख?

पृथ्वी की तुलना में जब सूर्य आकाश में धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, उसी दिन को मकर संक्रांति कहा जाता है। मकर संक्रांति का धार्मिक, ज्योतिष और वैज्ञानिक हर तरह से महत्व हैं और ये सब आपस में जुड़े भी हैं। पिछले कई दशकों से यह तारीख 14 जनवरी को ही पड़ रही थी. लेकिन 2017 के बाद से कभी कभी यह 15 जनवरी को भी आने लगी है। 2025 में यह 14 जनवरी को मनाई जाएगी।

2. मकर संक्रांति तारीख और शुभ मुहूर्त क्या है?

वर्ष 2025 में 14 जनवरी को सुबह 8 बजकर 55 मिनट पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा। ऐसे में सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक स्नान दान का शुभ मुहूर्त रहेगा। इसमें सुबह 8 बजकर 55 मिनट से लेकर दोपहर में 12 बजकर 51 मिनट तक का समय पुण्य काल रहेगा।

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