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डिजिटल इंडिया पर निबंध (Essay on Digital India in Hindi) : डिजिटल इंडिया भारत सरकार की एक बेहद ही महत्वाकांक्षी पहल है। भारत सरकार द्वारा 1 जुलाई 2015 को 'डिजिटल इंडिया पहल' की शुरुआत की गई थी। डिजिटल इंडिया का उद्देश्य देश के प्रत्येक नागरिक को डिजिटल रूप से साक्षर करना तथा भारत सरकार के ई-गवर्नेंस कार्यक्रम को प्रत्येक नागरिक तक पहुंचाना है। इसके साथ ही देश के प्रत्येक कोने में हाई स्पीड इंटरनेट के माध्यम से उच्च कनेक्टिविटी प्रदान करना है।
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डिजिटल इंडिया पर निबंध (Essay on digital india in hindi) अक्सर ही परीक्षा में पूछा जाता है। छात्रों की जानकारी के लिए बता दें डिजिटल इंडिया निबंध विषय बेहद ही विशाल है। Careers360 के इस लेख में डिजिटल इंडिया निबंध के हर पहलू को कवर करने के प्रयास किया गया है। 'डिजिटल इंडिया निबंध' विषय पर अपनी जानकारी को समृद्ध करने के लिए पूरा लेख पढ़ें।
भारत सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में एक महा-शक्ति है। भारतीय पूरे विश्व में सूचना और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहे हैं। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान देश के ऐसे निकाय हैं जो देश के प्रतिभाशाली युवाओं को प्रशिक्षण देकर इस क्षेत्र में अपना निरंतर योगदान दे रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद भी देश की अधिकांश जनता डिजिटल रूप से सक्षम नहीं थी। देश को डिजिटल रूप से साक्षर तथा जनता को डिजिटली सक्षम करने के लिए जुलाई 2015 को डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इसके अंतर्गत सरकार द्वारा आम- नागरिकों तक सरकार द्वारा संचालित विभिन्न पहलों, सूचनाओं तथा प्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा डिजिटल इंडिया प्रोग्राम की शुरूआत की गई। जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरी झंडी दिखाई।
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डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के मूल रूप से तीन सिद्धांत है:
आईटी: इंडियन टैलेंट- पहला सिद्धांत भारतीय कौशल पर ध्यान केंद्रित करना हैं। भारतीय युवाओं के कौशल को प्रशिक्षण के माध्यम से विकसित कर उनका सर्वांगीण विकास डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का प्राथमिक उद्देश्य है। इसके अंतर्गत सरकार द्वारा स्किल इंडिया डिजिटल (एसआईडी) की शुरुआत की गई। स्किल इंडिया डिजिटल (एसआईडी) एक व्यापक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिसका उद्देश्य भारत में कौशल, शिक्षा, रोजगार और उद्यमिता परिदृश्य का समर्थन करना है।
आईटी: इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी- डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का दूसरा उद्देश्य सूचना प्रौद्योगिकी का विकास है। इसके अंतर्गत दूरस्थ क्षेत्रों तथा छोटे गावों के युवाओं को सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में साक्षर करके उन्हें आत्म-निर्भर बनाना है। सरकार का मूल लक्ष्य एक इंटरनेट हाइवें का निर्माण कर भारत के कोने-कोने को इंटरनेट तथा मोबाइल कनेक्टिविटी के माध्यम से जोड़ना है।
आईटी: इंडिया टुमॉरो- डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का तीसरा उद्देश्य देश के डिजिटल भविष्य की कल्पना को साकार करना है। देश डिजिटल रूप से साक्षर हो तथा सभी नागरिक सरकार द्वारा चलाई जाने वाली सभी डिजिटल पहलों तथा सुविधाओं का लाभ उठा सकें, यह ही इस कार्यक्रम का मूल उद्देश्य हैं।
डिजिटल इंडिया की मूल रूप से तीन संकल्पनाएं हैं। जिसमें सबसे पहले प्रत्येक नागरिक के लिए डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर/अवसंरचना एक उपयोगी सुविधा के रूप में प्रदान करना हैं। एक विकसित राष्ट्र के लिए एक छोर से दूसरे छोर तक जुड़ाव होना बेहद जरूरी है। यदि भारत के छोटे-छोटे गावों तथा क्षेत्रों को हाई स्पीड इंटरनेट तथा ब्रॉडबैंड सेवा के माध्यम से जोड़ दिया जाये, तो भारत के प्रत्येक नागरिक तक सरकार द्वारा चलाई जानें वाली ई-सेवा तथा सामाजिक लाभ प्रदान करने वाली पहलों को वास्तविक रूप से पहुंचाया जा सकता है। इसके साथ ही दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले नागरिक देश के बाकी हिस्से से भी आसानी से जुड़े रह सकते हैं।
इस कार्यक्रम के अंतर्गत निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है:
देश के नागरिकों को मूल सुविधा प्रदान करने के लिए हाई-स्पीड इंटरनेट की उपलब्धता।
प्रत्येक नागरिक को डिजिटल, ऑनलाइन तथा प्रमाणीकृत पहचान (आईडी) प्रदान करना।
मोबाइल फोन तथा बैंक अकाउंट से नागरिकों की डिजिटल तथा वित्तीय क्षेत्रों में भागीदारी सुनिश्चित करना।
कॉमन सर्विस सेंटर तक पहुँच प्रदान करना।
सुरक्षित तथा संरक्षित साइबर स्पेस प्रदान करना।
डिजिटल इंडिया की दूसरी मूल संकल्पना मांग आधारित शासन और सेवाएं प्रदान करना है। सरकार विभिन्न पहलों की शुरुआत नागरिकों को सुविधा प्रदान करने के लिए करती है। लेकिन यह सुविधाएं आम-जन तक नहीं पहुँच पाती हैं। देश के दूरस्थ क्षेत्रों से लेकर देश के शहरी क्षेत्रों तक सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न सुविधाओं को प्रत्येक नागरिक तक कुशलता तथा पारदर्शिता के साथ पहुंचाना एक बेहद जरूरी लक्ष्य है। इसके लिए ही एक डिजिटल अवसंरचना का निर्माण किया गया है, ताकि नागरिकों तक विभिन्न सुविधाएं आसानी से पहुँच पाएँ।
मांग आधारित शासन और सेवाओं के अंतर्गत निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है:
सभी विभागों अथवा अधिकार क्षेत्रों में समेकित रूप से मूल सेवाएं प्रदान करना।
ऑनलाइन तथा मोबाइल के माध्यम से कम समय में सेवाओं को प्रदान करना।
व्यापार को अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए डिजिटल एप्लिकेशन का प्रयोग करना।
वित्तीय लेन-देन को नकदी रहित (कैश-लेस) बनाना।
निर्णय समर्थन प्रणाली तथा विकास के लिए जीआईएस का उपयोग करना।
नागरिकों को डिजिटल रूप से साक्षर करना इस कार्यक्रम की तीसरी संकल्पना है। भारतीय नागरिकों डिजिटल रूप से सशक्त बनाना बेहद जरूरी है। इंटरनेट तथा मोबाइल के माध्यम देश के विभिन्न क्षेत्रों के लोगो में समानता स्थापित की जा सकती है। डिजिटल नेटवर्क के माध्यम से देश के नागरिक आसानी से एक-दूसरे से जुड़ सकते हैं। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का उद्देश्य देश के नागरिकों को डिजिटल रूप से साक्षर करना तथा डिजिटल संसाधनों का सहयोगपूर्ण उपयोग कर देश को डिजिटल रूप से सशक्त बनाना है। डिजिटल साक्षारता तथा डिजिटल संसाधनों का भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होना भी इस संकल्पना का अभिन्न भाग है।
इस संकल्पना के अंतर्गत निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है:
सार्वभौमिक डिजिटल साक्षारता का लक्ष्य प्राप्त करना।
सार्वभौमिक रूप से सुगम्य डिजिटल संसाधन प्रदान करना।
डिजिटल संसाधनों का भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होना।
नागरिक भागीदारी के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म प्रदान करना।
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए सरकार ने कुछ महत्वपूर्ण लक्ष्यों का निर्धारण किया। जिन्हें प्राप्त करना तथा स्थापित करना भारत सरकार का लक्ष्य है। इन स्तंभों की संख्या नौ निर्धारित की गई है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के नौ स्तंभ इस प्रकार हैं:
ब्रॉडबैंड हाईवे का निर्माण करना
मोबाइल कनेक्टिविटी के लिए सार्वभौमिक पहुँच प्रदान करना
पब्लिक इंटरनेट एक्सेस कार्यक्रम स्थापित करना
ई-गवर्नेंस - प्रौद्योगिकी के माध्यम से सरकार की कार्य-प्रणाली में सुधार करना
ई-क्रांति - सेवाओं की इलेक्ट्रानिक डिलीवरी करना
सभी तक सूचना का हस्तांतरण करना
इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण
नौकरियों के लिए आईटी क्षेत्र को बढ़ावा देना
अर्ली हार्वेस्ट कार्यक्रम स्थापित करना
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का कार्य-क्षेत्र बहुत ही वृहत है। जिस देश की अधिकांश जनसंख्या तकनीकी शिक्षा से दूर हो, उस देश में लोगो को प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में साक्षर करना एक बेहद ही चुनौतीपूर्ण कार्य है। ऐसे कुछ कार्य-क्षेत्र सरकार द्वारा निर्धारित किए गए है है। डिजिटल इंडिया कार्य क्षेत्र इस प्रकार हैं:
भारत के नागरिकों को डिजिटल रूप से साक्षर करना।
भारतीय प्रतिभा, सूचना प्रौद्योगिकी तथा भावी भविष्य को सकारात्मक रूप से परिवर्तित करना।
परिवर्तन को सक्षम करने के लिए प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित करना।
महत्वपूर्ण योजनाएं बनाना जो विभिन्न विभागों को कवर करती हैं।
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम कई मौजूदा योजनाओं को पुनर्गठित और पुन: केंद्रित करके सुगठित तरीके से लागू किया जाएगा । डिजिटल इंडिया के रूप में कार्यक्रमों की सामान्य ब्रांडिंग, उनके परिवर्तनकारी प्रभाव को प्रस्तुत करती है।
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम भारत की आवश्यकता है। समय के साथ चलना बेहद जरूरी है। यदि किसी देश की जनता समय के साथ परिवर्तित नहीं होगी और सकारात्मक परिवर्तनों को स्वीकार नहीं करेगी तो ऐसे देश का कभी विकास नहीं हो सकता। इसलिए डिजिटल इंडिया कार्यक्रम भारत की आवश्यकता के रूप में उभर के सामने आया है।
देश में डिजिटल इंडिया तेजी से बढ़ा है। अब गांव-गांव तक दुकानों में, पेट्रोल पंप पर, टैक्सी, रेलवे स्टेशन आदि पर ऑनलाइन पेमेंट का चलन बढ़ा है। इंटरनेट में 5जी के बढ़ते चलन ने डिजिटल इंडिया को और सशक्त किया है। हाईस्पीड इंटरनेट से बच्चों की पढ़ाई, वीडियो स्ट्रीमिंग तेज हुई है। लेकिन अब डिजिटल इंडिया के दौर में साइबर फ्रॉड भी तेजी से बढ़ा है। अपराधी लोगों को झांसे में लेकर ऑनलाइन ठगी कर लेते हैं। इससे लोगों को सचेत रहने की जरूरत है। और सरकार, पुलिस प्रशासन को ऑनलाइन ठगी पर लगाम लगाने की जरूरत है जिससे लोगों का डिजिटल इंडिया पर भरोसा बना रहे।
डिजिटल इंडिया मिशन की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 जुलाई 2015 को की थी। ग्रामीण क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया मिशन योजना शुरू की गई है।
राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क (एनओएफएन) परियोजना के तहत केरल ने राज्य के सभी गांवों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी से जोड़ने वाला देश का पहला डिजिटल राज्य होने का गौरव हासिल किया।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 जुलाई 2015 को डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का शुभारंभ किया। डिजिटल इंडिया को भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के रूप में देखा गया है।
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