भगत सिंह पर निबंध (Bhagat Singh Essay in Hindi) - 100, 200, 500 शब्दों में
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भगत सिंह पर निबंध (Bhagat Singh Essay in Hindi) - 100, 200, 500 शब्दों में

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Nitin SaxenaUpdated on 23 Sep 2025, 10:58 AM IST
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भगत सिंह पर निबंध: शहीद-ए-आजम भगत सिंह का नाम युवाओं में आज भी जोश भर देता है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भगत सिंह ऐसे क्रांतिकारी युवा थे जिन्होंने भारतीय स्वाधीनता संग्राम में न सिर्फ अपने प्राणों की आहुती दी बल्कि देश के युवाओं को वतन के लिए कुर्बान होने का जज्बा दे गए। भगत सिंह जैसे सपूतों के कारण ही आज हम आजाद भारत में सांस ले पा रहे हैं। शहीद भगत सिंह महज 23 साल की उम्र में देश को स्वतंत्र कराने के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया।
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भगत सिंह पर निबंध (Bhagat Singh Essay in Hindi) - 100, 200, 500 शब्दों में
भगत सिंह पर निबंध (Bhagat Singh par nibandh)

भगत सिंह एक युवा क्रांतिकारी थे जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर भाग लिया। देश के स्वतंत्रता संग्राम को एक नया मोड़ भगत सिंह की विचारधारा से मिला। शहीद भगत सिंह ही ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने सबसे पहले पूर्ण स्वराज्य की मांग की थी। भगत सिंह पर हिंदी निबंध (Bhagat Singh Essay in Hindi) से उनके जीवन को बेहतर ढंग समझने में मदद मिलेगी।

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स्वतंत्रता आंदोलनन के दौरान 1920 के दशक में हमारे देश के नेता अधिराज्य (Dominion status) की मांग करते थे। भगत सिंह कार्ल मार्क्स से बहुत अधिक प्रभावित थे तथा वे चाहते थे कि सभी को समानता का अधिकार प्राप्त हो। उन्होने ऐसी स्वतंत्र सुबह का सपना देखा था जिसमें सभी को समान अधिकार प्राप्त हो। भगत सिंह जी करतार सिंह सराभा तथा लाला लाजपत राय से भी बहुत अधिक प्रभावित थे। देश के लिए उनकी भक्ति, आस्था तथा समर्पण निर्विवाद है। यहां भगत सिंह पर कुछ निबंध दिए गए हैं।

भगत सिंह पर निबंध (Bhagat Singh par nibandh) : भगत सिंह पर निबंध 100 शब्दों (100 Words Essay On Bhagat Singh in hindi)

भगत सिंह भारत के सबसे उल्लेखनीय तथा प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने एक समाजवादी क्रांतिकारी के रूप में वीरतापूर्वक भारत की स्वतंत्रता के लिए कड़ा संघर्ष किया। सितंबर 1907 में पंजाब के शहर बंगा में एक सिख परिवार में जन्मे भगत सिंह के मां का नाम विद्यावती था और उनके पिता का नाम किशन सिंह था। उनके परिवार के कुछ सदस्यों ने महाराजा रणजीत सिंह की सेना में सेवा की, जबकि अन्य भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख सदस्य थे। वे स्वदेशी आंदोलन के प्रबल समर्थक थे। अहिंसा में भगत सिंह का विश्वास समय के साथ फीका पड़ गया और उनका मानना था कि केवल सशस्त्र विद्रोह ही स्वतंत्रता प्रदान कर सकता है। वह बहुत कम उम्र में आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए थे।

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भगत सिंह पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay On Bhagat Singh in hindi)

भगत सिंह पर निबंध (bhagat singh par nibandh)

भगत सिंह को सबसे महत्वपूर्ण समाजवादी क्रांतिकारियों में से एक माना जाता है। सिंह के दादा ने लाहौर में खालसा हाई स्कूल में भाग लेने के सिंह के आवेदन को अस्वीकार कर दिया क्योंकि वह ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति उनकी भक्ति से असहमत थे। आर्य समाज संस्थान में शिक्षा प्राप्त करने के परिणामस्वरूप भगत सिंह आर्य समाज सिद्धांत से बहुत प्रभावित थे। वह ब्रिटिश सरकार के खिलाफ किए गए दो हिंसक कृत्यों तथा बाद में उनकी मृत्यु के कारण प्रसिद्ध हुए।

भगत सिंह का बलिदान (Bhagat Singh’s Death in hindi)

भारतीय स्वायत्तता की जांच के लिए 1928 में ब्रिटिश सरकार द्वारा साइमन कमीशन की स्थापना की गई थी। हालाँकि, इस पैनल में एक भारतीय प्रतिनिधि की अनुपस्थिति के कारण, कई राजनीतिक संगठनों द्वारा इसका बहिष्कार किया गया था। लाला लाजपत राय ने एक जुलुस का नेतृत्व किया और स्थिति के विरोध के रूप में लाहौर स्टेशन की ओर मार्च किया। पुलिस ने लाठी चार्ज किया परिणामस्वरूप प्रदर्शनकारियों को बेरहमी से पीटा गया। लाला लाजपत राय को बुरी तरह घायल होने के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया और कुछ सप्ताह बाद उनकी मृत्यु हो गई। भगत सिंह इस घटना से बहुत क्रोधित हुए और प्रतिशोध लेने का फैसला किया। उन्होंने ब्रिटिश पुलिसकर्मी जॉन पी. सॉन्डर्स की हत्या कर दी और बाद में अपने सहयोगियों के साथ दिल्ली की सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली में बम फेका। भगत सिंह ने उस घटना में अपनी भूमिका को स्वीकार किया जब पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया। भगत सिंह ने मुकदमे के दौरान हुई जेल के दौरान भूख हड़ताल का नेतृत्व किया। 23 मार्च, 1931 को भगत सिंह उनके साथियों राजगुरु और सुखदेव को फाँसी दे दी गई।

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भगत सिंह पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay On Bhagat Singh in hindi)

भगत सिंह, जिन्हें शहीद भगत सिंह के नाम से जाना जाता है, एक स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में सुधार लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रभावशाली क्रांतिकारियों में से एक कहा जाता है। वह अपने लक्ष्यों तक पहुँचने के लिए समर्पित थे और उनकी दृष्टि स्पष्ट थी।

भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर को हुआ था। 1912 में हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड से भगत सिंह बेहद परेशान थे। वह उस समय सिर्फ बारह वर्ष के थे, और इस घटना ने उसे स्थायी घाव दिया था। वह मिट्टी की एक बोतल लाए जो पीड़ितों के खून से सनी हुई थी, और वह उसकी पूजा करने लगे। समाजवाद के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने राजनीतिक क्रांतियों का निर्माण किया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। उनके जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय की हत्या थी। भगत सिंह अन्याय को बर्दाश्त नहीं कर सके और राय की मौत का बदला लेने की योजना बनाई। उसने ब्रिटिश अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की हत्या और सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली में बम फेकने की योजना बनाई।

भगत सिंह का बचपन

उनके जन्म के समय उनके परिवार ने भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई में सक्रिय रूप से भाग लिया था। उनके चाचा सरदार अजीत सिंह और पिता सरदार किशन सिंह दोनों उस समय के प्रसिद्ध मुक्ति सेनानी थे। दोनों गांधीवादी दर्शन का समर्थन करने के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने लगातार लोगों को अंग्रेजों के विरोध में बड़ी संख्या में भाग लेने के लिए प्रेरित किया और इसलिए भगत सिंह भी इससे गहरे प्रभावित हुए। भगत सिंह का जन्म राष्ट्रीय देशभक्ति की भावना और देश को ब्रिटिश शासन से मुक्त करने के दृढ़ संकल्प के साथ हुआ था। उसके रक्त और शिराओं में देशभक्ति समाहित थी।

भगत सिंह की शिक्षा

जब महात्मा गांधी ने सरकार द्वारा समर्थित संस्थानों के बहिष्कार का आह्वान किया, तो भगत सिंह के पिता ने उनका समर्थन किया। इसलिए भगत सिंह ने 13 साल की उम्र में स्कूल छोड़ दिया। लाहौर का नेशनल कॉलेज उनका अगला पड़ाव था। उन्होंने कॉलेज में यूरोपीय क्रांतिकारी आंदोलनों का अध्ययन किया और बहुत प्रभावित हुए।

भगत सिंह का देश के लिए योगदान

भगत सिंह ने यूरोप में राष्ट्रवादी आंदोलनों के बारे में बहुत सारे पत्र पढ़े। परिणामस्वरूप, 1925 में, वे उसी से बहुत प्रेरित हुए। अपने राष्ट्रीय आंदोलन के समर्थन में उन्होंने नौजवान भारत सभा की स्थापना की। बाद में, वे हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य बन गए, जहाँ उनकी मुलाकात कुछ प्रसिद्ध क्रांतिकारियों से हुई, जिनमें चंद्रशेखर आज़ाद, राजगुरु और सुखदेव शामिल थे।उन्होंने कीर्ति किसान पार्टी की पत्रिका के लिए भी लिखना शुरू किया। उस समय उनके माता-पिता चाहते थे कि वे शादी कर लें लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया क्योंकि उनका इरादा अपना पूरा जीवन स्वतंत्रता के संघर्ष को समर्पित करने का था। अनेक क्रांतिकारी कार्रवाइयों में भाग लेने के कारण वे ब्रिटिश पुलिस के लिए चुनौती बन गए थे। इस प्रकार पुलिस ने उन्हें मई 1927 में हिरासत में लिया। कुछ महीनों के बाद, उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया और उन्होंने एक बार फिर क्रांतिकारी समाचार पत्र लिखना शुरू कर दिया।

भगत सिंह एक महान देशभक्त थे। उन्होंने न केवल भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी, बल्कि वह इसे हासिल करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने को भी तैयार थे। उनके बलिदान ने पूरे देश को देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत कर दिया। समूचा देश इस शहीद का बेहद सम्मान करता है। वह हमेशा अमर शहीद भगत सिंह के नाम से भारतीयों के दिलों में जीवित रहेंगे।

उम्मीद करते हैं कि भगत सिंह पर निबंध (Bhagat Singh par nibandh in hindi) से उपयोगी जानकारी मिली होगी। यह जानकारी न केवल भगत सिंह जी और उनके जीवन को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगी बल्कि देशभक्ति की भावना जगाने के साथ ही अच्छा इंसान बनने में भी मददगार होगी।

महत्वपूर्ण प्रश्न :

भगत सिंह का नारा क्या है?

भगत सिंह ने नारा दिया- “सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजु-ए-कातिल में है।” भगत सिंह (bhagat singh Birthday) का यह नारा आजादी के 77 साल बाद भी रग-रग में देशभक्ति और जुनून भर देता है।

भगत सिंह ने अपनी मां से आखिरी मुलाकात में कहा कि मेरी मौत का आंसू मत बहाना।

Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: भगत सिंह का आखिरी नारा क्या था?
A:

ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार, जब भगत सिंह को लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी के तख्ते पर ले जाया जा रहा था, तो उन्होंने न तो पश्चाताप दिखाया और न ही डर दिखाया, बल्कि 'इंकलाब जिंदाबाद' के नारे लगाते हुए खुशी-खुशी मौत को गले लगा लिया। 

जैसा कि हम सभी जानते हैं, 23 मार्च, 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दे दी गई थी। उन्हें लाहौर षडयंत्र मामले में मौत की सज़ा सुनाई गई थी। ब्रिटिश गवर्नर-जनरल ने लाहौर षडयंत्र मामले की सुनवाई के लिए एक विशेष न्यायाधिकरण स्थापित करने हेतु एक अध्यादेश जारी किया, जबकि अभियुक्तों को अपील करने का अधिकार नहीं दिया गया। "सभी दृष्टिकोणों से, यह एक हास्यास्पद मुकदमा था"।

साइमन कमीशन के खिलाफ एक प्रदर्शन का नेतृत्व करते समय लाला लाजपत राय को पुलिस अधीक्षक जे.एस. स्कॉट ने बेरहमी से पीटा था। 17 नवंबर, 1928 को घातक चोटों के कारण उनकी मृत्यु हो गई। इस क्रूरता से क्रोधित होकर, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और चंद्रशेखर आज़ाद ने स्कॉट की हत्या करके लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने का फैसला किया।

Q: भगत सिंह को फांसी देने की उम्र कितनी थी?
A:

जब भगत सिंह को फांसी दी गई, उस समय उनकी आयु महज 23 वर्ष थी। उन्हें 23 मार्च, 1931 को अंग्रेजों ने लाहौर जेल में फांसी पर चढ़ाया था। 

Q: भगत सिंह केस में कौन गवाह थे?
A:

भगत सिंह केस में कई गवाह थे, जिनमें कुछ उनके साथी ही थे जिन्होंने सरकार के पक्ष में गवाही दी, जैसे कि फणिंद्र नाथ घोष, जय गोपाल, हंसराज वोहरा, और कुछ ब्रिटिश पुलिस अधिकारी और नागरिक भी थे, जैसे कि सरदार शोभा सिंह और जगत नारायण। ये गवाह भगत सिंह और उनके सहयोगियों के खिलाफ सबूत पेश करने के लिए सरकारी पक्ष में पेश हुए थे।

Q: भगत सिंह का जन्म कब हुआ?
A:

भगत सिंह भारतीय इतिहास के सबसे महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। उनका जन्म 28 सितंबर, 1907 को पंजाब के एक संधू जाट परिवार में हुआ था। 

Q: भगत सिंह के माता-पिता का क्या नाम है?
A:

शहीद भगत सिंह के पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर है।  

Q: भगत सिंह का पूरा नाम क्या है?
A:

अमर शहीद भगत सिंह का पूरा नाम भगत सिंह संधू है।

Q: भगत सिंह की मृत्यु कब हुई?
A:

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिकाओं के कारण अंग्रेज सरकार ने उनको खतरा माना और उन पर मुकदमा चलाया और फांसी की सजा सुनाई गई। 23 मार्च, 1931 को भगत सिंह को सुखदेव थापर और शिवराम राजगुरू को लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी दी गई।